इन सिम कार्ड्स को आगरा के मजदूरों के नाम पर थोड़े से पैसे देकर बनवाया गया था और उन्हें वियतनाम भेजा जा रहा था. इनको छिपाने के लिए कार्बन पेपर में लपेटा गया था और डायरी के अंदर छिपाया गया था.
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एयरपोर्ट पुलिस ने एक बड़े सिम कार्ड घोटाले का पर्दाफाश किया. पुलिस ने एक FedEx पैकेज पकड़ा, जिसमें प्री-एक्टिवेटेड इंडियन सिम कार्ड्स थे, जो विदेश जा रहे थे. इन सिम कार्ड्स को आगरा के मजदूरों के नाम पर थोड़े से पैसे देकर बनवाया गया था और उन्हें वियतनाम भेजा जा रहा था. इनको छिपाने के लिए कार्बन पेपर में लपेटा गया था और डायरी के अंदर छिपाया गया था.
स्कैम्स के लिए होता था इस्तेमाल
टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड चीनी नेशनल था, जिसको पुलिस लोकेट करने की कोशिश कर रही है. क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज बाइनेंस के जरिए इसका ट्रांसेक्शन किया गया था, जिसको सरकार ने जनवरी में बैन कर दिया था. एयरपोर्ट की डीसीपी ऊषा रंगनानी ने कहा कि जांच में पता चला कि इन सिम्स का इस्तेमाल गेमिंग ऐप्स और वर्क फ्रॉम होम और सोशल मीडिया स्कैम्स के लिए इस्तेमाल होना था.
चार लोगों को पकड़ा
सूत्रों का मानें तो इस तरह के एक्टिव सिम कार्ड जासूसी के काम आते हैं, जिन्हें चीन की सीक्रेट सर्विस मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी के लिए काम करने वाले जासूस इस्तेमाल करते हैं. अब तक पुलिस ने चार लोगों को पकड़ा है और गिरोह की जांच की जा रही है. अब तक 700 सिम कार्ड बरामद किए गए हैं. इन चार लोगों की पहचान मुकुल कुमार (22), हेमंत (26), कन्हैया गुप्ता (29) और अनिल कुमार (20) के रूप में हुई है.
मजदूरों के नाम से सिम लीं
पैकेज को हवाई अड्डे पर देखने के बाद कोरियर कंपनी ने शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने पैकेज से 60 सिम कार्ड निकाले और टेक्निकल जांच की मदद से पता लगाया कि ये सिम कार्ड आगरा के हैं. DCP ने बताया, 'इलाके में छापेमारी की गई. जांच में पता चला कि मुकुल कुमार नाम का एक शख्स फैक्ट्री में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के पास गया था. ये फैक्ट्री जूते बनाती थी. कुमार ने हर शख्स को सिम कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए 200 रुपये दिए और उसने यह झूठ बोला कि इससे उसके दोस्तों को सिम बेचने का लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी.'
हर सिम के मिलते थे 1,300 रुपये
ये सिम कार्ड कई लोगों के हाथों से होते हुए दिल्ली के अनिल कुमार तक पहुंचे. उसने हर सिम के लिए 500 रुपये दिए और उन्हें वियतनाम के किसी पते पर भेज दिया. अनिल को हर एक सिम को तस्करी करके विदेश भेजने के बदले में अपने बैंक खाते में एक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (digital currency exchange) के जरिए 1,300 रुपये मिलते थे. पूछताछ में, अनिल ने दावा किया कि उसे किसी वियतनामी व्यक्ति ने ऑनलाइन संपर्क किया था ताकि उन्हें गेमिंग ऐप आदि के लिए एक्टिव सिम कार्ड की आपूर्ति की जा सके. पुलिस ने उसके पास से 200 और सिम कार्ड बरामद किए हैं.
अनिल ने ऑनलाइन एक विज्ञापन भी डाला था जिसमें उसने बताया कि उन्हें सक्रिय सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाले लोगों की जरूरत है. इस विज्ञापन के जवाब में कन्हैया, हेमंत और कुछ अन्य लोगों ने उससे संपर्क किया. पुलिस को पता चला कि अनिल के बैंक खाते का इस्तेमाल 19 अन्य साइबर अपराधों में भी हो चुका है.