IT सेक्टर में लाखों का पैकेज...दो बच्चों के पिता...फिर भी सोलो ट्रैवलिंग का जुनून
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IT सेक्टर में लाखों का पैकेज...दो बच्चों के पिता...फिर भी सोलो ट्रैवलिंग का जुनून

बोरिंग लाइफ के बीच रोमांच के पल तो सभी बिताने चाहते हैं लेकिन इसके लिए हिम्मत कम ही लोग जुटा पाते हैं. 26 साल की उम्र में शादी और फिर एक बच्चा होने के बाद आईटी सेक्टर में लाखों के पैकेज पर काम कर रहे एक शख्स 29 साल की उम्र में अकेले ही घूमने निकले. उनके गांव से कन्याकुमारी तक बाइक राइडिंग के बाद यह सफर शुरू हुआ तो अब 34 साल की उम्र में वह चौथी ट्रिप में मध्य प्रदेश को एक्सप्लोर कर रहे हैं.

सोलो ट्रैवलर सूरज रानाडे.

श्याम सुंदर गोयल/ नई दिल्ली: पांच साल पहले शादी, आईटी फील्ड में लाखों का पैकेज, दो बच्चे लेकिन घूमने का जबरदस्त पैशन और वह भी अकेले...सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन यह हकीकत है. महाराष्ट्र के एक शख्स इस समय अकेले बाइक पर मध्य प्रदेश में करीब साढ़े चार हजार किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं जो लगभग आधी हो भी चुकी है. उस जुनूनी शख्स का नाम है सूरज रायनाडे जिनकी उम्र इस समय 34 साल है. वह महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से संबंध रखते हैं और पुणे की कंपनी में जॉब करते हैं.

  1. जिद और जुनून को पूरा करने बाइक से निकला फैमिली मैन 
  2. लाखों का पैकेज, दो बच्चे पर घूमने का जुनून बरकरार 
  3. शादी के बाद चौथी सोलो ट्रिप पर हैं रायनाडे
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जिद और जुनून को पूरा करने की चाहत 

जी न्यूज की टीम ने सूरज रायनाडे से बात की और इस सोलो ट्रैवलिंग से रिलेटेड एक्सपीरियंस पूछे तो उनकी एक अलग ही कहानी सामने आई. इससे लोगों में जिद और जुनून और उसे पूरा करने का हौसला मिलता है. 

15 दिन में साढ़े चार हजार किलोमीटर बाइक राइड का है प्लान 

रायनाडे ने बताया कि वह बाइक से इस तरह की तीन ट्रिप पहले भी कर चुके हैं. पहली कोल्हापुर से कन्याकुमारी, दूसरी कोल्हापुर से लद्दाख, तीसरी कोल्हापुर से विशाखापट्नम और कोणार्क और अब चौथी मध्य प्रदेश को एक्सप्लोर करने वाली यात्रा हो रही है. ये यात्रा उन्होंने अपने कोल्हापुर जिले के गांव अकिवाट से शुरू की और बीड़, बुलढाणा, बुरहानपुर, खंडवा, ओमकारेश्वर, भीमबेटका, भोजपुर, ओशो की जन्मस्थली कुचवाड़ा, रायसेन जिले की द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया, जबलपुर, कटनी, खजुराहो, छतरपुर, ओरछा होते हुए चंदेरी में हैं. यहां से वह विदिशा, सांची, भोपाल, इंदौर, मांडू, महेश्वर होते हुए पुणे के लिए निकलेंगे. यह पूरी यात्रा करीब साढ़े चार हजार किलोमीटर की होगी जिसमें 14 से 15 दिन लगने वाले हैं. यह यात्रा 12 दिसंबर से शुरू हुई है. 

सोलो राइड के लिए इस बार मध्य प्रदेश ही क्यों चुना  

सोलो राइडिंग के लिए मध्य प्रदेश ही क्यों, तो इस सवाल का जवाब देते हुए सूरज ने बताया कि महाराष्ट्र की इतिहास की किताबों में यूपी-बिहार के बारे में तो काफी जानकारी मिलती है लेकिन मध्य प्रदेश के बारे में ज्यादा जानकारी यहां के लोगों को नहीं होती है. महाराष्ट्र के लोगों में मध्य प्रदेश के लोगों के बारे में कोई इमेज ही नहीं है कि वह कैसे होते हैं और उनका व्यवहार कैसा होता है? वैसे तो मैंने भी उत्तराखंड या केरल का ट्रिप करने की सोची थी लेकिन अंतिम समय में मध्य प्रदेश घूमने का निर्णय किया. 

जब ठंड की वजह से रोकनी पड़ी यात्रा 

मध्य प्रदेश घूमने में इस समय उन्हें सबसे बड़ा चैलेंज यहां की ठंड लग रही है. यहां शाम 5 बजे से ही शीतलहर चलना स्टार्ट हो जाती है जो काफी तकलीफ देती है. एक बार वह शाम 7 बजे के जबलपुर से खजुराहो के लिए निकले उन्होंने सोचा कि रात में बाइक चलाकर वह खजुराहो पहुंच जाएंगे लेकिन रात 12 बजे के बाद ऐसे हालात हो गए कि पन्ना में घाट उतरते वक्त एक ढाबा मिला तो वहीं रुक गए. इससे आगे जाने की हिम्मत ही नहीं हुई और वहीं ढाबे पर एक खटिया पर बिस्तर लगाया और रजाई ओढ़कर ऐसे सोए कि रात में आगे जाने की हिम्मत ही नहीं हुई. 

जब हादसा होते- होते बचा 

बाइक से सोलो यात्रा में खतरे भी कम नहीं होते हैं. नरसिंहपुर के पास एक हादसा होते-होते बचा. दरअसल, हुआ ये था कि एक ट्रक किसी गोदाम से निकलकर सड़क पर बाहर निकल रहा था. सूरज ने सोचा कि ट्रक आगे बढ़ जाएगा तो वह वहां से निकल जाएगा. जब बाइक, ट्रक से 100 मीटर दूर रह गई तो अचानक से ट्रक वाले ने बैक ले लिया. ऐसे में सूरज का बैलेंस बिगड़ गया और वह तेजी से ट्रक के अंदर घुसने ही वाले थे कि ट्रक वाले ने भी ब्रेक लगाए और सूरज ने भी. वह तो अच्छा था कि हादसा नहीं हुआ लेकिन अब वह इसको याद नहीं करना चाहते और फिर मस्ती से आगे बढ़ गए. 

पत्नी भी करती है सोलो ट्रैवलिंंग में सपोर्ट 

जब उनसे पूछा गया कि परिवार के होते हुए इस तरह सोलो राइड पर निकलने पर फैमिली का क्या रिएक्शन होता है, तो उन्होंने जवाब दिया कि इस मामले में मेरी पत्नी बहुत सपोर्ट करती है. शादी के बाद पहला बच्चा होने के बाद वह 2016 में पहली सोलो राइड पर निकले थे जो कोल्हापुर से कन्याकुमारी की थी. उसके बाद दो राइड और हुईं और अब चौथी राइड पर एमपी में हैं. अभी 4 महीने पहले ही दूसरा बच्चा भी हुआ है. 

जब दोस्त ने कहा-यार, हम भी ऐसी जिंंदगी जीना चाहते हैं 

इस तरह घूमने का प्रोफेशनल लाइफ पर क्या असर होता है, इस बारे में सूरज ने बताया कि वह अभी 15 से 25 लाख के बीच प्रति साल के पैकेज पर IntraEdge Technologies में Tech Lead में काम कर रहे हैं. उन्हें आइटी सेक्टर में काम करते हुए 12 साल हो गए हैं और वह काम को एन्जॉय करते हैं. उन्हें मैनेजमेंट लेवल की पोस्ट भी मिल रही थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और कॉन्ट्रीब्यूटर के रूप में काम कर रहे हैं. आईटी सेक्टर के मेरे साथी सोशल मीडिया पर मुझे आश्चर्य के साथ देखते हैं और हौसला भी बढ़ाते हैं. जब वह कहते हैं कि यार, हम तुम्हारी तरह जिंदगी जीना चाहते हैं तो मुझे भी सुकून मिलता है कि प्रोफेशन और पैशन का ये रास्ता चुनकर मैंने कोई गलती नहीं की है.

 

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