Economic Survey 2020: बच्चों के बीच में स्कूल छोड़े जाने का मुद्दा उठा
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Economic Survey 2020: बच्चों के बीच में स्कूल छोड़े जाने का मुद्दा उठा

सर्वेक्षण ने इस बात पर जोर दिया कि समग्र शिक्षा 2018-19 सभी को माध्यमिक स्तर तक शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया.

 निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. (फोटो: ANI)

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया. आर्थिक सर्वेक्षण में स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर उच्च ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने की दर) और उच्च शिक्षा में सामर्थ्य की कमी को इंगित किया गया. सर्वेक्षण ने इस बात पर जोर दिया कि समग्र शिक्षा 2018-19 सभी को वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया.

तदनुसार, सरकार ने गुणवत्तापरक शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक नई शिक्षा नीति तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है.

वर्ष 2019-20 के लिए देश के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, जहां सामान्य शिक्षा लोगों के ज्ञान को बढ़ाती है, वहीं कौशल प्रशिक्षण से बच्चों को रोजगार के क्षेत्र में औद्योगिक जरूरतों के लिए भी तैयार किया जाता है.

सर्वे में कहा गया है कि 2011-12 से 2017-18 के दौरान ग्रामीण और शहरी इलाकों में रोजगार के 2.62 करोड़ मौके बढ़े. इस दौरान महिलाओं के रोजगार में आठ फीसदी इजाफा हुआ. कच्चा माल सस्ता होने से चालू खाता घाटा कम हुआ, चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में निर्यात की तुलना में आयात कम हुआ. अप्रैल 2019 में महंगाई दर 3.2 फीसदी से घटकर दिसंबर 2019 में 2.6 फीसदी रह जाने से पता चलता है कि मांग में कमी की वजह से अर्थव्यवस्था दबाव में है.

सर्वेक्षण में सरकार को कुछ प्रमुख सुझाव भी दिए गए. इनमें 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की जरूरत बताई गई है.

वहीं विकास को बढ़ावा देने के लिए चालू वित्तवर्ष में वित्तीय घाटे के लक्ष्य से पीछे हटना पड़ सकता है. इसके साथ ही सुझाया गया है कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाहों पर लालफीताशाही खत्म होनी चाहिए, ताकि कारोबारी माहौल आसान हो सके.

सर्वेक्षण में व्यापार शुरू करने, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, टैक्स भुगतान और कॉन्ट्रैक्ट लागू करने के नियम आसान किए जाने की बात कही गई है.

इसके अलावा कहा गया है कि सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार और भरोसा बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा जानकारियां सार्वजनिक की जानी चाहिए.

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