मोदी सरकार के कार्यकाल के चार सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश यूपीए के समय से दोगुना से ज्यादा हो गया है
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नई दिल्ली: गुरुवार को पेश होने वाले आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश में बढ़ोतरी बरकरार रखे जाने की उम्मीद है. संभावना है कि नई नौकरियां पैदा करने और अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए सरकार इंफ्रास्ट्रक्टचर पर खर्च बढ़ा सकती है.
दरअसल, मोदी सरकार के कार्यकाल में इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. चार सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश यूपीए के समय से दोगुना से ज्यादा हो गया है. केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन, भारतमाला, सागरमाला जैसे लाखों करोड़ रुपए के कार्यक्रमों की घोषणा की है. 2022 तक सबको घर देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी सहायता और ब्याज सब्सिडी का दायरा भी बढ़ाया गया. मोदी सरकार का फोकस गांवों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना है.
दोगुना हो गई है वृद्धि
वित्त वर्ष 2013-14 में सरकारी खाते से इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1.66 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे, जो 2016-17 में बढ़कर 2.21 लाख करोड़ रुपए हो गए. 2017-18 में यह राशि बढ़कर 3.96 लाख करोड़ रुपए हो गई. यानी चार सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यय पर दोगुने से अधिक की वृद्धि की गई है. 2017-18 में रेलवे को 1.31 लाख करोड़ रुपए मिले, जो बजट इतिहास में अब तक की सर्वाधिक राशि थी. वहीं इस बजट में राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 64 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था.
सड़क निर्माण के लिए मिलेगा ज्यादा धन!
2019 से 2022 तक नए नेशनल हाइवे बनाने के लिए 3.43 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि आम बजट में सड़क निर्माण के लिए इस आम बजट में तकरीबन 20-25 हजार करोड़ रुपए अधिक मिल सकते हैं. केंद्रीय सड़क एंव परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, आने वाले 5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में 25 लाख करोड़ रुपए निवेश की आवश्यकता होगी. सड़क जहाजरानी समेत इंफ्रास्ट्रक्चर के इस निवेश से जीडीपी ग्रोथ तीन फीसदी बढ़ जाएगी.
भारतमाला प्रोजेक्ट पर फोकस
भारतमाला प्रोजेक्ट सरकार का एक महत्वकांक्षी कार्यक्रम है. इसके तहत 2022 तक 6.92 लाख करोड़ के निवेश से 83 हजार 677 किलोमीटर नई सड़कें बनाई जानी हैं. इसके पूरा हो जाने के बाद आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने से 2.2 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे और इससे लॉजिस्टिक लागत जैसे यातायात, भंड़ारण आदि की लागत एक तिहाई रह जाएगी.
सबको घर देने के लिए चाहिए ज्यादा निवेश
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक सबको घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. इसे पूरा करने के लिए 2022 तक तीन करोड़ मकान बनाने होंगे. पहले चरण में 2019 तक एक करोड़ मकानों का निर्माण होना है. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो यह योजना लक्ष्य के अनुरूप चल रही है, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी अपने लक्ष्य से काफी पीछे चह रही है. इस योजना के तहत शहर में 1.2 करोड़ मकान बनाने हैं. यानी आने वाले 4 सालों में तकरीबन एक करोड़ मकान सरकार को बनाने होंगे. यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.