Chhattisgarh Election: छत्तीसगढ़ के इस पोलिंग बूथ पर पहुंचना.. चांद पर जाने जैसा! सिर्फ 5 वोटर करते हैं मतदान
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Chhattisgarh Election: छत्तीसगढ़ के इस पोलिंग बूथ पर पहुंचना.. चांद पर जाने जैसा! सिर्फ 5 वोटर करते हैं मतदान

Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ के सबसे कम वोटरों वाले पोलिंग बूथ शेराडांड़ पहुंचना अपने आप में एक चुनौती वाला काम है. यह पोलिंग बूथ कोरिया जिले के मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर है.

Chhattisgarh Election: छत्तीसगढ़ के इस पोलिंग बूथ पर पहुंचना.. चांद पर जाने जैसा! सिर्फ 5 वोटर करते हैं मतदान

Chhattisgarh Election 2023: चुनाव की वजह से छत्तीसगढ़ इन दिनों सुर्खियों में है. देश की दिग्गज सियासी हस्तियां छत्तीसगढ़ में डटी हुई हैं. राज्य में भाजपा सत्ता में आने के लिए और कांग्रेस सत्ता में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है. एक-एक वोट दोनों दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. एक-एक वोट की बात हुई है तो छत्तीसगढ़ के शेराडांड़ पोलिंग बूथ के बारे में बात करना जरूरी हो जाता है. क्योंकि यह देश का दूसरा सबसे छोटा पोलिंग बूथ है. यहां सिर्फ पांच मतदाता वोट डालने आते हैं. इस पोलिंग बूथ पर पहुंचना चांद पर पहुंचने जैसा है!  

पोलिंग बूथ पर पहुंचना चुनौती वाला काम

छत्तीसगढ़ के सबसे कम वोटरों वाले पोलिंग बूथ शेराडांड़ पहुंचना अपने आप में एक चुनौती वाला काम है. यह पोलिंग बूथ कोरिया जिले के मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर है. जिसमें करीब 20 किलोमीटर का सफर तो आप बड़ी गाड़ी से कर सकते हैं, लेकिन आखिर के 8 किलोमीटर का सफर आपको साइकिल, मोटर साइकिल या फिर ट्रैक्टर से करना पड़ेगा. तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए ज़ी न्यूज की टीम यहां का हाल जानने पहुंची.   

दूर-दूर तक नहीं है सड़क

72 किलोमीटर का सफर तय कर हम चंदहा पहुंचे. यहां से शेराडांड़ पहुंचने में हमारी मदद सोनहत के CEO एलेकजेंडर पन्ना ने की. आसपास के करीब 7 से 8 मोटर साइकिल वालों को उन्होंने पहले से यहां बुला लिया था, जो जंगल के रास्ते में गाड़ी चलाने में एक्सपर्ट थे. साथ ही, जंगल में जानवरों के खतरे से भी हमें बचा सकते थे. मोटर साइकिल पर सवार होकर हम निकल पड़े शेराडांड़ गांव की तरफ. घनघोर जंगल और सड़क का कोई नामों निशान दूर-दूर तक नहीं दिख रहा था.

रास्ते में घना जंगल भी

जंगल के बीच रास्ता इतना खराब था कि हमें कई बार बाइक से उतरकर पैदल भी चलना पड़ा. शेराडांड़ जाने के लिए मुड़की नदी को भी पार करना पड़ता है. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चुनाव आयोग की टीम यहां कैसे पहुंचती होगी. CEO बताते हैं कि चुनाव आयोग की टीम और सुरक्षा बलों को इस पोलिंग बूथ पर ट्रैक्टर से जाना पड़ता है. क्योंकि उन्हें मतदान से 2 दिन पहले यहां पूरी व्यवस्था के साथ पहुंचना पड़ता है.

सिर्फ पांच मतदाता

आखिरकार करीब 8 किलोमीटर का सफ़र तय कर हम पहुंच गए शेराडांड़ गांव. घनघोर जंगलों के बीच बसे इस गांव में कुल 3 मकान हैं, 13 लोग रहते हैं , जिनमे से 5 लोग मतदाता हैं. इस गांव में पहुंचकर पता चला कि यहां कोई स्थाई पोलिंग सेंटर नहीं है. चुनाव आयोग की टीम को दो दिन पहले पहुंचकर टेंट वाला पोलिंग बूथ बनाना पड़ता है. जब हमने पांचों मतदाताओं से बातचीत शुरू की तो पता चला कि इनमें से एक महिपाल का वोटर कार्ड तो बन गया है, लेकिन राशन कार्ड आजतक नहीं बना. यही नहीं 100 % मतदान करने वाले इन मतदाताओं ने सरकार के सामने अपनी मांग की लंबी लिस्ट रख दी. जो कि एक आम नागरिक को मिलना ही चाहिए.

बारिश में टूट जाता है संपर्क

CEO ने हमें आश्वासन दिया कि महिपाल का राशन कार्ड जल्द बन जाएगा और साथ ही गांव वालों की नदी पर पुल बनाने की मांग हो या फिर आगनवाड़ी केंद्र खोलने की मांग को वो अपने सीनियर अधिकारियों तक पहुंचा देंगे. शेराडांड़ के इन मतदाताओं को राशन लेने के लिए भी 8 किलोमीटर दूर साइकिल से या फिर पैदल जाना पड़ता है. और बारिश के समय तो नदी का जल स्तर इतना बढ़ जाता है कि एक दो महीने इनका संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है.

2008 में बना मतदान केंद्र

शेराडांड़ गांव में 2008 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग की पहल पर पहली बार मतदान केंद्र बनाया गया था. उस समय यहां सिर्फ दो मतदाता थे. 2018 में 3 मतदाता हुए और 2023 में कुल 5 मतदाता. उम्मीद है कि इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार और स्थानीय प्रशासन, इन मतदाताओं की मांग पर जरूर गौर करेगा. क्योंकि लोकतंत्र में मतदान कर सरकार बनाने का अपना काम ये लोग इस दुर्लभ हालात में भी कर रहे हैं.

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