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NFHS On High Blood Pressure: हाल ही में प्रकाशित भारत के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) में पता चला है कि हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressur) के शिकार आधे मरीज अपनी बीमारी से अंजान हैं, जिन्हें पता है उनमें से 13 फीसदी यानी 7 में से सिर्फ एक मरीज ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए दवाएं ले रहा है. केवल 8 प्रतिशत मरीज यानी 10 में से सिर्फ एक शख्स ऐसा है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर पाए हैं.
जानकारी के मामले में शहरी इलाकों में छत्तीसगढ़ के मरीज सबसे ज्यादा अनजान हैं, केवल 22 प्रतिशत जानते हैं कि उन्हें हाई बीपी है. जबकि पुडुचेरी के मरीज इस बारे में सबसे ज्यादा जानकार हैं. वहां 80 प्रतिशत मरीज अपनी बीमारी के बारे में जानते हैं.
कुल मिलाकर शहरी इलाकों में तकरीबन 48 प्रतिशत लोग अपनी बीमारी के बारे में जानते थे, लेकिन 15 फीसदी इलाज कर रहे थे और केवल 8 फीसदी बीमारी को काबू कर पाए थे. ग्रामीण इलाकों में 42.5 प्रतिशत लोगों को ही जानकारी थी यानी गांवों में हाई बीपी के शिकार आधे से भी कम लोगों को पता था कि वो बीमार हैं. केवल 12 प्रतिशत लोग इलाज करवा रहे थे और 7.7 फीसदी ही बीमारी पर काबू पा सके थे.
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ये सर्वे पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया ने जर्मनी की Heidelberg University और Harvard T H Chan School of Public Health के साथ मिलकर किया था. भारत के सभी राज्यों में किए गए इस सर्वे में 15 से 49 वर्ष के 7 लाख से 31 हजार से ज्यादा लोग शामिल थे. तकरीबन 11 फीसदी महिलाएं अपनी बीमारी को कंट्रोल कर पा रही थीं जबकि केवल 6 फीसदी पुरुष अपनी बीमारी को काबू कर पाए.
हाई ब्लड प्रेशर कई बीमारियों का गेटवे यानी दरवाजा बन जाता है, लेकिन सबसे खतरनाक हमला दिल पर करता है. लेकिन देश के आधे से ज्यादा बीमारों को ये पता ही नहीं है कि वो बीमार हैं यानी आधे लोगों को तो हमला होने के बाद शरीर में चल रहे ब्लड प्रेशर वाले युद्द का पता चलता है.
हाई ब्लड प्रेशर बहुत बार कोई वॉर्निंग नहीं देता. आम तौर पर इसका पता तब चलता है जब दिल पर हमला हो चुका हो या होने वाला हो. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में जारी आंकड़ों के आधार पर जब रिसर्च की गई तो ये पता चला कि भारत में आधे से ज्यादा लोग जानते ही नहीं कि वो हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से 80-120 को सही बीपी माना जाता है, लेकिन डॉक्टर इसमें 10 प्वाइंट ऊपर नीचे होने की छूट देते हैं. ब्लड प्रेशर लगातार 140 से ऊपर रहने लगे तो मरीज मान लिया जाता है. हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी है जो हार्ट, किडनी और ब्रेन यानी दिमाग पर असर डालती है.
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हाइपरटेंशन की सबसे बड़ी वजह मोटापा है. महिलाओं में 35 इंच से ज्यादा और पुरुषों में 40 इंच से ज्यादा कमर खतरे की घंटी है. हाई बीपी की दूसरी वजह ज्यादा नमक खाना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, रोजाना 5 ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए. लेकिन भारतीय खान-पान में मौजूद अचार, चटनी पापड़ और पैकेट बंद स्नैक्स जरुरत से कहीं ज्यादा नमक से भरे होते हैं. यहां तक कि मीठे स्नैक्स बनाने के प्रोसेस में भी नमक का प्रयोग होता है. इसके अलावा, तनाव, शराब और स्मोकिंग और कसरत न करना भी ब्लड प्रेशर बढ़ाते हैं.
एक बार ब्लड प्रेशर की दवाएं शुरू हो जाएं तो उन्हें नियम से रोजाना लेना जरूरी है. दवा ना खाना और भी खतरनाक हो सकता है. बार-बार ब्लडप्रेशर की दवाएं मिस की जाएं तो स्ट्रोक यानी लकवा या ब्रेन से खून आने का खतरा रहता है. हालांकि ब्लडप्रेशर के शिकार कुछ लोग, जिनकी बीमारी अभी कंट्रोल से बाहर नहीं हुई, वो लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर हमेशा के लिए बीमारी और दवा दोनों से मुक्त हो सकते हैं.
हफ्ते में 5 दिन की सैर या कसरत, नमक कम खाना, खाने-पीने की बेहतर आदतें यानी कम रोटी चावल और ज्यादा फल सब्जियां, शराब और स्मोकिंग से परहेज, वजन पर कंट्रोल और जीवन को खुश रहकर जीने की कला सीख लें, तो ब्लडप्रेशर कंट्रोल हो सकता है. वैसे डॉक्टर 30 साल की उम्र के बाद घर में ही बीपी मॉनिटर रखने की सलाह देते हैं, जिससे आप वक्त-वक्त पर खुद ही बीपी चेक कर सकें.
खाने में नमक कम करने से ही ब्लड प्रेशर 10 मिलीमीटर नीचे आ सकता है. हल्की-फुल्की एक्सरसाइज भी रोजाना करें और अपने वजन पर नियंत्रण रखें तो इन तीन बातों से ही आप नेचुरल तरीके से ब्लड प्रेशर को काबू में रख पाएंगे. लेकिन ये तरीके बीपी बढ़ने से पहले अपना लें तो नतीजे और अच्छे होंगे. वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पहली बार साल 2005 में 14 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग द्वारा मनाया गया था.