Killer Bacteria Names: फल-सब्जी को बिना धोए खाना और हाथ धोए बिना खाना आपको भारी पड़ सकता है. इन मामूली गलतियों की वजह से हर साल दुनियाभर में करोड़ों लोगों की मौत हो रही है.
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Harmful Bacteria: बैक्टीरिया (Bacteria) हर तरफ मौजूद हैं. हवा में, पानी में, मिट्टी में, हर जगह यहां तक कि हमारे शरीर में भी. लेकिन बैक्टीरिया इतने सूक्ष्म होते हैं कि हम इन्हें नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं. आप सोच रहे होंगे कि हम आपको बैक्टीरिया के बारे में इतना ज्ञान क्यों दे रहे हैं? इसकी वजह है इन अदृश्य और सूक्ष्मकणों की ताकत, जिसकी वजह से हर साल करोड़ों लोगों की मौत हो रही है. इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल लैंसेट की नई रिपोर्ट में पता चला है कि दिल से जुड़ी बीमारियों के बाद बैक्टीरियल इंफेक्शन दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों का हत्यारा है.
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा 'सीरियल किलर'
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दिल का दौरा समेत ह्रदय रोगों की वजह से दुनिया में हर साल करीब 1 करोड़ 79 लाख लोगों की मौत हो जाती है. लैंसेट की स्टडी में पता चला है कि वर्ष 2019 में बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से दुनियाभर में 77 लाख लोगों की मौत हुई थी. स्टडी का दावा है कि बीमारियों से होने वाली मौतों के मामले में बैक्टीरियल इंफेक्शन हृदय रोगों के बाद दूसरा सबसे बड़ा सीरियल किलर है और लोगों की जान लेने में बैक्टीरिया, कोरोना वायरस से भी ज्यादा तेज हैं.
कोरोना से 7 गुना ज्यादा मौतों की वजह बैक्टीरिया
भारत में कोरोना महामारी से पहली मौत मार्च 2020 में हुई थी. उसके बाद से अबतक करीब 5 लाख 30 हजार लोगों की मौत कोरोना वायरस से हो चुकी है यानी हर रोज औसतन 552 मौतें. लैंसेट का दावा है कि अकेले भारत में वर्ष 2019 के दौरान बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से 13 लाख 67 हजार से ज्यादा मौतें हुईं यानी हर रोज औसतन 3745 मौतें. यानी भारत में कोरोना महामारी में हुई मौतों से करीब सात गुना ज्यादा मौतें, बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से हो रही हैं.
हर साल करोड़ों लोगों की मौत
इससे डरना इसलिए जरूरी है क्योंकि कोरोना महामारी तो आकर चली गई. लेकिन बैक्टीरियल इंफेक्शन से जुड़ी बीमारियां हमेशा से होती रही हैं और आगे भी होती रहेंगी. लेकिन कोरोना महामारी जब आई थी तो उसकी कोई दवाई नहीं थी इसलिए ज्यादा मौतें हुईं. लेकिन बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाने वालीं और इनका इलाज करने वालीं दवाइयां और वैक्सीन दशकों से मौजूद हैं. इसके बावजूद बैक्टीरियल इंफेक्शन से हर साल करोड़ों लोगों की मौत हो रही है. इसकी क्या वजह है इसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे. लेकिन पहले आपको किलर बैक्टीरिया पर लैंसेट की पूरी रिपोर्ट को डिकोड करेंगे.
किलर बैक्टीरिया के नाम
लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में दुनिया में जितनी मौतें हुईं, उनमें से 13.6 फीसदी बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुईं. रिपोर्ट में ऐसे 33 बैक्टीरिया की पहचान की गई है जिनकी वजह से वर्ष 2019 में 77 लाख मौतें हुईं थीं. इन 77 लाख मौतों में से 60 लाख मौतों के लिए सिर्फ 5 तरह के बैक्टीरिया को जिम्मेदार माना गया है. ये पांच किलर बैक्टीरिया हैं- E. coli (ई-कोलाई), S. Pneumoniae (एस. निमोनिया), K. Pneumoniae (के.निमोनिया, S. Aureus (एस. ऑरियस) और A. Baumanii (ए. बॉमनी).
इन पांच बैक्टीरिया के बारे में लैंसेट की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है, जिनके किलर इफेक्ट के बारे में आपको संक्षेप और सरल भाषा में समझाते हैं. पहला बैक्टीरिया है ई-कोलाई. इस बैक्टीरिया ने भारत में वर्ष 2019 में 1 लाख 57 हजार लोगों की जान ली थी. ये बैक्टीरिया आमतौर पर खाने-पीने की दूषित चीजों से शरीर में प्रवेश करता है. आमतौर पर ये बैक्टीरिया शरीर में फूड पॉयजनिंग और डायरिया का कारण बनता है.
दूसरा बैक्टीरिया है- एस. निमोनिया, जिसने वर्ष 2019 में अकेले भारत में 1 लाख 51 हजार 768 जानें ले लीं थीं. ये बैक्टीरिया प्रदूषित, धूल भरी हवा में सांस लेने से शरीर में प्रवेश करता है. इससे सांस से जुड़ी बीमारियां और निमोनिया होता है. तीसरा बैक्टीरिया है- के. निमोनिया. इससे भारत में वर्ष 2019 में 1 लाख 34 हजार लोगों की मौत हुई थीं. ये एक तरह का Hospital Acquired बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो अस्पताल की गंदगी की वजह से फैलता है. इस बैक्टीरिया से निमोनिया, ब्लड इंफेक्शन, और चोट का इंफेक्शन होता है.
चौथा बैक्टीरिया है- एस. ऑरियस. इससे भारत में वर्ष 2019 में 1 लाख 30 हजार लोगों की मौत हुई थी. यह बैक्टीरिया इंसानों की नाक और त्वचा पर मौजूद होता है. ये बैक्टीरियल इंफेक्शन, संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से भी फैल सकता है. अगर ये बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा फैल जाए तो सेप्सिस हो जाता है यानी खून में जहर फैलने लगता है.
पांचवां बैक्टीरिया है- ए. बॉमनी. इससे वर्ष 2019 में भारत में करीब एक लाख 4 हजार लोगों की मौत हो गई थी. ये बैक्टीरिया भी के. निमोनिया की तरह Hospital Acquired बैक्टीरिया है. ये बैक्टीरिया, असल में कई सारे बैक्टीरिया का समूह होता है जो वातावरण में मिट्टी, पानी आदि जगह पर मौजूद होता है. इस बैक्टीरिया के कारण खून, फेफड़े और यूरिनल इंफेक्शन हो जाता है.
इन किलर बैक्टीरिया की पहचान मशहूर जर्नल द लैंसेट में पब्लिश रिसर्च रिपोर्ट में हुई है. इस रिसर्च में 204 देशों में बीमारियां फैलाने वाले 33 बैक्टीरिया और 11 तरह के बैक्टीरिया इंफेक्शन से होने वाली मौतों का अध्ययन किया गया है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने 34 करोड़ से ज्यादा मेडिकल रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया है. बैक्टीरियल इंफेक्शन और उससे होने वाली मौतों पर ये पहली ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट है. जिसके नतीजे बेहद हैरान और डरा देने वाले हैं.
लेकिन अब आपके लिए जो बात जानना सबसे ज्यादा जरूरी है, वो ये है कि दुनिया के पांच सबसे जानलेवा बैक्टीरिया के इंफेक्शन से बचाने वाली दवाओं और वैक्सीन की खोज दशकों पहले हो चुकी है. लेकिन फिर भी ये दुनियाभर में होने वाली मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह है.
बड़े बुजुर्ग यूं ही नहीं कहते कि फल धोकर खाने चाहिए क्योंकि खुले में बिक रहीं फल-सब्जियां तो सबको दिखती हैं. लेकिन इनमें लगे बैक्टीरिया नहीं दिखते. जो अगर आपके शरीर में गए तो समझो बैक्टीरियल इंफेक्शन तय है. कहते हैं कि भारत के लोगों को सब हजम है. ये बात कहने में तो अच्छी लगती है लेकिन सच नहीं है. दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल के डॉ राजेन्द्र कुमार सिंघल ने कहा कि बीते 5 वर्षों में डॉक्टरों के पास आने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन से ग्रसित मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ी है और इसी तरह मरने वालों की.
सर्दी जुकाम से लेकर चेस्ट इंफेक्शन तक बैक्टीरिया से होने वाले हर इंफेक्शन की दवा मौजूद है. लेकिन फिर भी बैक्टीरियल इंफेक्शन से भारत में लाखों मौतें हर साल हो रही हैं.
बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह है एंटी-बायोटिक दवाओं का असर कम होना. और दवाओं का असर कम होने की सबसे बड़ी वजह है शरीर में एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस. और शरीर में एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस की एक बड़ी वजह है फल-सब्जी और मीट में एंटी-बायोटिक का इस्तेमाल होना.
कहते हैं कि हर चीज की हद होती है. हमारे शरीर में एंटी-बायोटिक की मात्रा भी जब हद से पार चली जाती है तो शरीर में मौजूद बैक्टीरिया पर असर दिखाना बंद कर देती है. ये बात लोगों को समझ नहीं आती. लोग बिना डॉक्टरी सलाह के एंटी-बायोटिक खा लेते हैं और लोगों को एंटी-बायोटिक दवाएं फल-सब्जी की तरह आसानी से उपलब्ध भी हो जाती हैं.
हमारा मकसद आपको डराना नहीं है. बल्कि बैक्टीरियल इंफेक्शन के खतरे से सावधान करना है क्योंकि हमें आपकी सेहत की फिक्र है. बैक्टीरियल इंफेक्शन से डरने की नहीं बल्कि उससे बचने की जरूरत है जो बेहद ही आसान है. हम आपको बैक्टीरियल इंफेक्शन के खतरे से बचाने वाले कुछ टिप्स देते हैं. फल और सब्जियां हमेशा ठीक से धोकर खाएं. खाना खाने से पहले हाथ जरूर धोएं. कच्ची चीजों को खाने से बचें या फिर उबालकर खाएं. बिना मिलावट वाले डेयरी प्रोडक्ट और मीट का प्रयोग करें. गंदगी वाली जगहों पर खान-पान बिलकुल ना करें. टॉयलेट के बाद साफ-सफाई का खास ख्याल रखें.
ये आसान सी आदतें आपको बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाकर रख सकती हैं. लेकिन अगर फिर भी आपको बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाए तो बिना डॉक्टरी सलाह के एंटी-बायोटिक का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें क्योंकि बैक्टीरियल इंफेक्शन आमतौर पर शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन कई बार नजरअंदाजी और गलत दवाओं के इस्तेमाल से बेहद गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं.
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