Monkeypox: कोरोना के बाद मंकीपॉक्स का फैला खौफ, जानें वायरस की भ्रामक बातों का सच
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Monkeypox: कोरोना के बाद मंकीपॉक्स का फैला खौफ, जानें वायरस की भ्रामक बातों का सच

Monkeypox Outbreak: कोरोना के बाद अब भारत समेत दुनियाभर में खतरनाक मंकीपॉक्स वायरस का खतरा बढ़ गया है. मंकीपॉक्स वायरस से जुड़े कई सवाल और भ्रामक बातें और दावें इन दिनों तैजी से फैल रहे हैं. मंकीपॉक्स को लेकर चल रही भ्रामक बातों से आज हम पर्दा हटाने जा रहे हैं.

Monkeypox: कोरोना के बाद मंकीपॉक्स का फैला खौफ, जानें वायरस की भ्रामक बातों का सच

Monkeypox Outbreak: कोरोना के बाद अब भारत समेत दुनियाभर में खतरनाक मंकीपॉक्स वायरस का खतरा बढ़ गया है. राजधानी दिल्ली में 24 24 जुलाई को मंकीपॉक्स के एक मामले की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद देश में ऐसे रोगियों की कुल संख्या चार हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी बताया है. इसके बाद लोगों के मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मंकीपॉक्स वायरस से जुड़े कई सवाल और भ्रामक बातें और दावें इन दिनों तैजी से फैल रहे हैं. मंकीपॉक्स को लेकर चल रही भ्रामक बातों से आज हम पर्दा हटाने जा रहे हैं.

1. क्या मंकीपॉक्स कोविड-19 की तरह ही नई महामारी है?

ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है. इसकी सीधा जवाब है- नहीं. WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरस कोरोना या किसी अन्य वायरस की तरह ज्यादा संक्रामक नहीं है. ये कोरोना की तरह एक-दूसरे के बीच आसानी से फैलता भी नहीं है. मंकीपॉक्स किसी संक्रमित या उनके इस्तेमाल वाली चीजों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. स्किन के किसी घाव या आंख, नाक या मुंह के रास्ते भी ये वायरस शरीर में एंट्री ले सकता है. शारीरिक संबंध बनाने से भी ये वायरस फैलता है. संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ जाता है. इसके बाद भी ये वायरस कोरोना जितना खतरनाक नहीं है.

2. क्या केवल समलैंगिकों को ही इस वायरस से खतरा है?

WHO के महानिदेशक जनरल डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने सलाह दी कि जिन पुरुषों के मंकीपॉक्स की चपेट में आने का जोखिम है वे फिलहाल यौन साथियों की संख्या सीमित रखने पर विचार करें. उन्होंने कहा कि मई में मंकीपॉक्स का प्रकोप शुरू होने के बाद से इससे जितने लोग संक्रमित हुए हैं, उनमें से 98 प्रतिशत 'गे', 'बाइसेक्शुअल' और अन्य पुरुष हैं, जो पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं. उन्होंने जोखिम के दायरे में आने वाले लोगों से खुद को बचाने के लिए कदम उठाने की अपील की है. 

3. क्या मंकीपॉक्स वायरस का कोई इलाज है?

मंकीपॉक्स वायरस के ज्यादातर मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. इसके लक्षण धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं. हालांकि जरूरत पड़ने पर दर्द और बुखार की दवाएं ली जा सकती हैं. मंकीपॉक्स के लक्षण जैसे शरीर पर फुंसियों या चकत्ते हो जाने पर उन्हें समय-समय पर साफ पानी और एंटीसेप्टिक से इसे साफ करते रहें. यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने अपनी वेबसाइट पर मंकीपॉक्स के खिलाफ कुछ दवाएं बताई हैं. इसमें वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन, एसटी-246 और सिडोफोविर शामिल हैं. वहीं, मंकीपॉक्स की JYNNEOSTM भी मौजूद है. इसे कई देशों में इस्तेमाल की मंजूरी भी मिल चुकी है. इसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा टेकोविरिमैट नाम का एक एंटीवायरल, ACAM2000 वैक्सीन भी कारगर है.

4. क्या सेक्स करने से होता है मंकीपॉक्स?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि आमतौर पर ऐसा नहीं होता. लेकिन आपमें मंकीपॉक्स के लक्षण हैं और ऐसे में आप असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं, तो आपके शरीर का संक्रमण आपके पार्टनर को भी हो सकता है. मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों को रिकवरी के 12 हफ्तों तक यौन संबंध बनाने के दौरान कॉन्डोम के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. सेक्सुअल पार्टनर को खास सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. लेकिन ऐसा नहीं कि ये केवल सेक्सुअल संपर्क से ही फैलता है. किसी भी संक्रमित के करीब जाने पर ये वायरस हो सकता है.

5. मंकीपॉक्स की जांच के लिए क्या है सुविधा?

एक सवाल जो बहुत लोगों के मन में है, वो इसकी जांच को लेकर है. तो आपको बता दें कि कोरोना वायरस की तरह ही मंकीपॉक्स का भी RT-PCR टेस्ट होता है.  अंतर केवल इतना है कि कोविड जांच के लिए गले या नाक का स्वैब लिया जाता है, बल्कि मंकीपॉक्स में शरीर पर उभरे रैश के अंदर के पानी की जांच की जाती है. अभी ये सुविधा पुणे के एनआईवी में ही उपलब्ध है.

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