Cancer Treatment: पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. भारत में हर 9 में से एक शख्स को कभी ना कभी कैंसर होने का खतरा बना हुआ है. एम्स के एक्सपर्ट्स के मुताबिक कैंसर की सबसे बड़ी वजह तो जेनेटिक है, लेकिन लोगों की लाइफ स्टाइल, केमिकल्स और इन्फेक्शन भी कैंसर की वजह बन रहे हैं.
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Cancer Cost: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम ही बुरा है. कई कैंसर लाइलाज हैं तो जिनके इलाज मौजूद हैं वो इतने महंगे, लंबे और शरीर को तोड़ कर रख देने वाले हैं कि मरीज के लिए सेहतमंद महसूस करना चुनौती हो जाता है. कैंसर के फिर से लौटने का खतरा भी जीवन भर सताता है सो अलग. आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के बच्चों में कैंसर के मामले ज्यादा देखने में आ रहे हैं. क्यों हो रहा है ऐसा और आप कैसे कैंसर के लक्षणों को पहचान सकते हैं, यह आपके लिए समझना जरूरी है.
सात साल का दिव्यांशु दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल की ओपीडी में अपने पिता की गोदी में सुरक्षित महसूस कर रहा है. लेकिन बस माता पिता का दिल ही जानता है कि इस बच्चे को सही सलामत रखने के लिए इन्होंने क्या कुछ नहीं किया. पिछले 3 महीने से बच्चे की वजह ढूंढे नहीं मिल रही थी. दिव्यांशु के पिता प्रकाश के मुताबिक कई अस्पताल बदलने के बाद जांच में पता चला कि इस मासूम को ब्लड कैंसर है. हालांकि अब वो रिकवर कर रहा है.
हर साल बढ़ जाते हैं 14 लाख कैंसर मरीज
भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च कैंसर के आंकड़े जमा करती है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल औसतन 14 लाख कैंसर मरीज बढ़ जाते हैं, जिनमें से 8 लाख की मौत हो जाती है. कुल कैंसर के मामलों में से 4 प्रतिशत बच्चों के पाए जाते हैं लेकिन राजधानी के आंकड़े और खराब हैं. दिल्ली में 22 हजार नए कैंसर मरीज हर साल जुड़ जाते हैं. एम्स कैंसर सेंटर और एम्स नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट (झज्जर) के डाटा के मुताबिक, दिल्ली में हर साल कैंसर के लगभग 21538 मामले मिलते हैं, जिसमें 11435 पुरुष और 10103 महिलाएं शामिल हैं.
दिल्ली में आ रहे ज्यादा मामले
0 से 14 साल की उम्र के बीच देश में सबसे ज्यादा कैंसर के मामले दिल्ली में पाए गए हैं. दिल्ली में बच्चों के कैंसर के मामले 4 प्रतिशत पाए जाते हैं. जबकि बाकी देश में ये 2-3 प्रतिशत तक देखे जा रहे हैं. हालांकि इसकी एक बड़ी वजह डॉक्टर ये भी मान रहे हैं कि दिल्ली में कैंसर का इलाज बाकी शहरों से बेहतर है और बहुत लोग दिल्ली आकर इलाज करवाते हैं. इसलिए दिल्ली के आंकड़े बाकी सब जगह से ज्यादा हैं. एम्स के कैंसर डिपार्टमेंट के डॉक्टर एस वी एस देव के मुताबिक, दिल्ली में बच्चों के कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.
विरासत में मिल रहा कैंसर
एम्स के कैंसर सर्जन डॉक्टर एस वी एस देव ने कहा, बच्चों में कैंसर के ज्यादातर मामले जेनेटिक देखने में आ रहे हैं. यानी कैंसर उन्हें विरासत में मिल रहा है. सबसे ज्यादा ब्लड कैंसर के मामले देखने में आ रहे हैं. इसके बाद ब्रेन ट्यूमर के मामले देखे जा रहे हैं. हालांकि अच्छी बात ये है कि बच्चों में कैंसर के 90 प्रतिशत मामले पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, बशर्ते उन्हें वक्त रहते पकड़ा जा सके.
ये हैं लक्षण
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के कैंसर रोग एक्सपर्ट डॉ. मानस कालरा के मुताबिक, अगर बच्चे को बिना वजह बार-बार बुखार आ रहा है, वह कमजोर होता जा रहा है या उसको गले में या पेट में गांठ जैसा महसूस होता है तो उसकी समय पर जांच होना बहुत जरूरी है. बच्चा कमजोरी की वजह से चल नहीं पा रहा हो, पीलेपन का शिकार हो. हड्डियां कमजोर हों, लंबे समय तक बच्चे को सिरदर्द हो, उसकी आंखों में बदलाव दिखे जैसे भैंगापन तो ऐसे लक्षणों को इग्नोर ना करें. जल्द पकड़ में आने से कैंसर पूरी तरह ठीक हो सकता है.
महिलाओं-पुरुषों को खतरा
इसके अलावा, पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. भारत में हर 9 में से एक शख्स को कभी ना कभी कैंसर होने का खतरा बना हुआ है. एम्स के एक्सपर्ट्स के मुताबिक कैंसर की सबसे बड़ी वजह तो जेनेटिक है, लेकिन लोगों की लाइफ स्टाइल, केमिकल्स और इन्फेक्शन भी कैंसर की वजह बन रहे हैं. लाइफ स्टाइल में स्मोकिंग, शराब, जंक फूड, प्रदूषण शामिल हैं. स्मोकिंग से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है. महिलाओं में कॉस्मेटिक्स में मौजूद केमिकल्स से ओवरी और सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ता है हालांकि इस लिंक को स्थापित करने वाली पुख्ता स्टडी अभी तक नहीं हो सकी है.
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