Corona: बच्चों के लिए 'सुरक्षा कवच' तैयार! बंदरों को लगाई गई Corona Vaccine रही कारगर
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Corona: बच्चों के लिए 'सुरक्षा कवच' तैयार! बंदरों को लगाई गई Corona Vaccine रही कारगर

रिसर्च पेपर के मुताबिक, रीसस मैकाक प्रजाति के 16 नन्हें बंदरों में टीके (Corona vaccine) की वजह से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रही.

फाइल फोटो.

न्यूयॉर्क: बच्चों के लिए तैयार किया जा रहा मॉडर्ना Covid-19 टीका (Moderna Corona Vaccine) और प्रोटीन आधारित एक अन्य वैक्सीन शुरुआती टेस्टिंग ट्रायल में कारगर पाया गया है. इन दोनों वैक्सीन का बंदर की एक प्रजाति 'रीसस मैकाक' के बच्चों पर शुरुआती परीक्षण किया गया है. 

बच्चों के लिए कारगर हो सकते हैं ये टीके

ये टीके शुरुआती टेस्टिंग में सुरक्षित और SARS-COV-2 वायरस से लड़ने में कारगर एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाले साबित हुए हैं. जर्नल ‘साइंस इम्यूनोलॉजी’ में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक बच्चों के लिए टीका महामारी की विभीषिका को कम करने में कारगर हथियार साबित हो सकता है. अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क-प्रेस्बाइटेरियन कॉमनस्काई चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की सेली पर्मर ने कहा, ‘कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके से Covid-19 के प्रसार को सीमित करने में मदद मिलेगी क्योंकि हम जानते हैं कि, भले ही बच्चे सार्स-कोव-2 के संक्रमण से बीमार हों या बिना लक्षण वाले हों, वे इसका प्रसार कर सकते हैं.’

बंदरों में लंबे सयम तक रही एंटीबॉडी

पर्मर ने कहा, ‘इससे भी बड़ी बात है कि कई बच्चे बीमार हुए और यहां तक कि संक्रमण की वजह से कई की मौत तक हो गई. संक्रमण को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों से बच्चों पर कई और नगेटिव असर पड़े. इसलिए बच्चे कोविड-19 से बचाए जाने के लिए टीके के हकदार हैं.’रिसर्च पेपर के मुताबिक, रीसस मैकाक प्रजाति के 16 नन्हें बंदरों में टीके की वजह से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रही.

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30 माइक्रोग्राम टीके की खुराक दी गई बंदरों को 

अमेरिका स्थित नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर क्रिस्टीना डी पेरिस ने कहा, 'हम संभावित एंटीबॉडी का स्तर एडल्ट से तुलना कर देख रहे हैं, हालांकि, मैकाक के बच्चों को महज 30 माइक्रोग्राम टीके की खुराक दी गई जबकि वयस्कों के लिए यह मात्रा 100 माइक्रोग्राम थी.’ डी पेरिस ने कहा, ‘मॉडर्ना के टीके में हमने मजबूत ‘टी’ कोशिका की प्रतिक्रिया देखी, जिसके बारे में हम जानते हैं कि बीमारी की गंभीरता को सीमित करने में यह अहम है.’

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