Sudan: सूडान में सेना ने एक मस्जिद पर एयरस्ट्राइक कर दी. सेना के इस हमले में 31 लोगों की मौत हो गई. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इस घटना पर किसी भी पक्ष की ओर से कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है.
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Air Strike On Mosque: सूडान के गीजिरा राज्य की राजधानी वाद मदनी में एक मस्जिद को निशाना बनाकर किए गए हवाई हमले में कम से कम 31 लोग मारे गए. वाड मदनी प्रतिरोध समिति ने एक बयान में कहा, ''शाम की नमाज के बाद युद्धक विमानों ने अल इम्तिदाद इलाके में शेख अल जेली मस्जिद और उसके आसपास के इलाकों पर विस्फोटकों से बमबारी की.'' समिति ने कहा कि 15 मृतकों की पहचान कर ली गई है, जबकि दर्जनों अज्ञात शवों की गिनती अभी भी की जा रही है.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इस घटना पर किसी भी पक्ष की ओर से कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है. आपको बता दें कि सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) के वाड मदनी से हटने के बाद अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) ने दिसंबर 2023 में गीजिरा राज्य पर नियंत्रण कर लिया था. सूडान अप्रैल 2023 के मध्य से एसएएफ और आरएसएफ के बीच घातक संघर्ष से तबाह हो गया है. हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस संघर्ष के कारण 24,850 से अधिक लोग मारे गए हैं.
सूडान में किस वजह से छिड़ा युद्ध?
दरअसल, सूडान की सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के बीच महीनों से तनाव बना हुआ था. सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज ने अक्टूबर 2021 में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया था. उमर अल-बशीर की सरकार को उखाड़ फेंकने की वर्षगांठ से पहले अप्रैल की शुरुआत में एक अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने थे. योजना के तहत सेना और आरएसएफ दोनों को सत्ता सौंपने की आवश्यकता थी और दो मुद्दे विशेष रूप से विवादास्पद साबित हुए. पहला था आरएसएफ को नियमित सशस्त्र बलों में शामिल किया जाना और दूसरा सेना और आरएसएफ नेताओं के बीच कमान की श्रृंखला और नागरिक निगरानी के सवाल. हालांकि, सत्ता को लेकर जैसे ही युद्ध छिड़ा तो दोनों पक्षों ने हिंसा भड़काने के लिए दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है.
कौन हैं युद्ध का मुख्य खिलाड़ी?
आपको बता दें कि इस सत्ता संघर्ष में नायक जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान हैं, जो 2019 से सेना के प्रमुख और सूडान की सत्तारूढ़ परिषद के नेता हैं. वहीं, परिषद में उनके डिप्टी और आरएसएफ नेता जनरल मोहम्मद हमदान दगालो, जिन्हें आमतौर पर हेमेदती के नाम से भी जाना जाता है. राजनयिकों और विश्लेषकों ने कहा कि हेमेदती की खुद को एक राजनेता के रूप में बदलने और सत्ता के केंद्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा था। जिस वजह से आज सूडान में युद्ध छिड़ा है.