चीन में 60 फीसदी करियर महिलाएं नहीं चाहती हैं दूसरा बच्चा: रिपोर्ट
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चीन में 60 फीसदी करियर महिलाएं नहीं चाहती हैं दूसरा बच्चा: रिपोर्ट

चीन के गहराते जनसांख्यिकी संकट के हल के लिए बनाई गयी दो बच्चों वाली नयी नीति के प्रति फीका उत्साह नजर आया है क्योंकि विश्व के इस सबसे अधिक आबादी वाले देश में 60 फीसदी कामकाजी माताओं ने कहा कि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं। चीनी नौकरी भर्ती साइट झाओपिन डॉट काम द्वारा कल मदर्स डे से पहले जारी रिपोर्ट के अनुसार चीन में करीब 60 फीसदी माताएं दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं। सरकारी ‘चाइना डेली’ ने इस रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि यह भी पाया गया कि जिन 29.39 फीसदी महिलाओं ने बच्चों को जन्म नहीं दिया, उनमें 20.48 फीसदी ने कहा कि वे बच्चा नहीं चाहती हैं। इस साइट ने कुल 14290 करियर महिलाओं से उनके कामकाज और उनकी जीवन संबंधी पसंद के बारे में सवाल पूछे।

बीजिंग: चीन के गहराते जनसांख्यिकी संकट के हल के लिए बनाई गयी दो बच्चों वाली नयी नीति के प्रति फीका उत्साह नजर आया है क्योंकि विश्व के इस सबसे अधिक आबादी वाले देश में 60 फीसदी कामकाजी माताओं ने कहा कि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं। चीनी नौकरी भर्ती साइट झाओपिन डॉट काम द्वारा कल मदर्स डे से पहले जारी रिपोर्ट के अनुसार चीन में करीब 60 फीसदी माताएं दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं। सरकारी ‘चाइना डेली’ ने इस रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि यह भी पाया गया कि जिन 29.39 फीसदी महिलाओं ने बच्चों को जन्म नहीं दिया, उनमें 20.48 फीसदी ने कहा कि वे बच्चा नहीं चाहती हैं। इस साइट ने कुल 14290 करियर महिलाओं से उनके कामकाज और उनकी जीवन संबंधी पसंद के बारे में सवाल पूछे।

जब उनसे पूछा गया कि वह क्यों बच्चा नहीं चाहती है तो 56 फीसदी से अधिक महिलाओं ने कहा कि पालन-पोषण का खर्च चिंता का विषय है। दूसरी चिंता पालन पोषण में लगने वाला समय, ऊर्जा और ध्यान हैं। अन्य चिंताओं में करियर के जोखिम, गर्भ एवं प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियां और शादी में कम विश्वास शामिल हैं। सत्तर फीसदी से अधिक महिलाओं ने कहा कि वह माताएं बनने के लिए अपना काम नहीं छोड़ेंगी जबकि 18.53 फीसदी ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगी।

झाओपिन से संबंधित एक वरिष्ठ परामर्शदात्री वान यिक्सिन ने कहा कि ज्यादातर करियर महिलाएं सोचती है कि पूरी तरह पति की कमाई पर जीवन बीताना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अन्य कारणों में उनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। उन्हें डर है कि यदि उन्होंने कामकाज छोड़ दिया तो वह गतिशील समाज में अलग थलग पड़ जाएंगी और अपना करियर संभावना गंवा बैठेंगी।’

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