शांति सम्मेलन: पुतिन की डिमांड खारिज, 80 देशों ने थामा यूक्रेन का हाथ, लेकिन भारत ने क्यों काट ली कन्नी?
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शांति सम्मेलन: पुतिन की डिमांड खारिज, 80 देशों ने थामा यूक्रेन का हाथ, लेकिन भारत ने क्यों काट ली कन्नी?

Swiss Peace Conference: अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन में मौजूद कई लोगों ने उम्मीद जताई कि रूस शांति के रोडमैप पर चर्चा में शामिल हो सकता है. सम्मेलन में लगभग 100 डेलिगेशन आए थे, जिनमें से ज्यादातर पश्चिमी देश थे.

शांति सम्मेलन: पुतिन की डिमांड खारिज, 80 देशों ने थामा यूक्रेन का हाथ, लेकिन भारत ने क्यों काट ली कन्नी?

Ukraine-Russia War: अस्सी देशों ने संयुक्त रूप से रविवार को कहा कि रूस के साथ जंग खत्म करने के लिए किसी भी शांति समझौते का आधार यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता हो. स्विट्जरलैंड में हुए अंतरराष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन में हालांकि भारत समेत कई अहम विकासशील देश शामिल नहीं हुए. सम्मेलन का आयोजन स्विट्जरलैंड के बर्गेनस्टॉक रिसॉर्ट में किया गया था. रूस को सम्मेलन के लिए न्योता नहीं था. 

सम्मेलन में मौजूद कई लोगों ने उम्मीद जताई कि रूस शांति के रोडमैप पर चर्चा में शामिल हो सकता है. सम्मेलन में लगभग 100 डेलिगेशन आए थे, जिनमें से ज्यादातर पश्चिमी देश थे. 

किन मुद्दों पर हुआ फोकस?

सम्मेलन में कुछ अहम विकासशील देश भी शामिल हुए थे. भारत, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त अरब अमीरात उन देशों में शामिल थे, जिनकी तरफ से विदेश मंत्रियों या दूत आए थे. लेकिन इन्होंने फाइनल डॉक्युमेंट पर दस्तखत नहीं किए. दस्तावेज में एटमी सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और कैदियों को एक-दूसरे को सौंपने जैसे मुद्दों पर फोकस किया गया.

ब्राजील एक पर्यवेक्षक देश है और उसने इस समझौते पर दस्तखत नहीं किए, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे तुर्किये ने साइन कर दिए. फाइनल डॉक्युमेंट में कहा गया है कि यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति का माहौल बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के प्रति सम्मान जरूरी है.

 कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने कहा कि हिस्सा लेने वाले ज्यादातर देशों ने फाइनल डॉक्युमेंट को लेकर सहमति दी है, जिससे पता चलता है कि कूटनीति के जरिये क्या हासिल किया जा सकता है.'

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शांति की दिशा में पहला कदम उठाए जाने की बैठक में तारीफ की. बैठक में ऐसे समय में युद्ध की ओर फिर ध्यान दिलाने की कोशिश की गई. जब गाजा में संघर्ष, राष्ट्रीय चुनाव और अन्य चिंताओं ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. 

भारत ने क्यों नहीं किए दस्तखत

रविवार को भारत ने इस मुद्दे पर अपना बयान जारी किया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत इस शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ. लेकिन भारत इस शिखर सम्मेलन से निकले किसी भी दस्तावेज से इसका वास्ता नहीं है. 

बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा, 'भारत ने शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और यूक्रेन पीस फॉर्मूला पर एनएसए/ पॉलिटिकल डायरेक्टर-लेवल की बैठक में भी शामिल हुआ. हमारा हमेशा से यही स्टैंड रहा है कि इस मुद्दे को बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जाए. हम इसी पर विश्वास करते हैं कि ऐसे रेजॉल्यूशन के लिए दोनों पक्षों की ओर से नेकनीयत और प्रैक्टिकल तरीके से चर्चा होनी चाहिए.'

पुतिन की शर्तें खारिज

यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शर्तों को इटली और जर्मनी ने खारिज कर दिया है. स्विट्जरलैंड में यूक्रेन की ओर से आयोजित सम्मेलन में जुटे देशों ने व्यापक चर्चा के बाद पुतिन की शर्तों को नकार दिया गया. इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शांति योजना को प्रोपेगेंडा करार दिया है. वहीं जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शॉल्त्स ने कहा कि ये एक 'तानाशाह की शांति’ है. पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध रोकने के लिए दो शर्तें रखी थीं. पहली, यूक्रेन को दोनेत्स्क, लुहांस्क, खे़रसोन और ज़ापोरज़िया से अपने सैनिक हटाने होंगे. दूसरी, यूक्रेन नेटो में शामिल नहीं होगा.

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