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नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे की वजह से हालात बिगड़ रहे हैं. अमेरिकी (US) राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा, मैं अपने फैसले पर कायम हूं. मैं जानता हूं कि मेरे फैसले की आलोचना हो रही है, लेकिन जो भी हुआ सही हुआ और जनता और सैनिकों की भलाई के लिए हुआ.'
बाइडेन की ये बातें सुनकर किसी को भी लग सकता है कि इस एपिसोड में अमेरिका की कोई गलती नहीं है जबकि हकीकत इसके बिल्कुल अलग है. अफगानिस्तान में आज जो भी हो रहा है उसकी पटकथा 18 महीने पहले दोहा (Doha) में लिख दी गई थी. आइये बताते हैं.
अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया की राजनीति को समझने वाले एक्सपर्ट्स का कहा है कि बीते 72 घंटे में वहां जो कुछ हुआ उसका बीज फरवरी 2020 में अमेरिका-तालिबान के बीच हुई बैठक में बोया गया था. दोहा में कई दौर की बातचीत के बाद शांति वार्ता के नाम पर निगोशिएशन हुए. दोहा में हुए बैठक में दोनों के बीच के कई करार हुए. इस करार के मुताबिक अमेरिका और नाटो सेना को वापस जाना था. तब ये भी तय हो चुका था कि अगले 14 महीनों में अमेरिकी और विदेशी सेना वापस लौट जाएगी. वहीं तालिबान अपने नियंत्रण वाले इलाकों में अल-कायदा को रोकेगा.
दोहा की शांति वार्ता के लिए तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में बंद मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Abdul Ghani Baradar) को रिहा कराया. अमेरिका ने तालिबान और अफगान सरकार के बीच वार्ता को लेकर पहले भी जल्दबाजी दिखाई.
शांति वार्ता के दौरान ये तय हुआ था कि अफगानिस्तान की सरकार 5000 बंदी तालिबानियों को रिहा करेगी. जबकि दोहा करार में अफगान सरकार शामिल नहीं थी. इस समझौते को चीन, रूस और पाकिस्तान ने भी समर्थन दिया था. तब अमेरिकी दबाव में आकर अफगान सरकार ने बंदी तालिबानियों को छोड़ दिया था. एक साथ 5000 बंदी तालिबानी लड़ाके छूटे तो उन्होंने फौरन अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे की स्क्रिप्ट में ट्विस्ट तब आया जब अमेरिकी फौज ने तय समय से पहले अफगानिस्तान छोड़ना शुरू कर दिया था.
आइए बताते हैं 4 महीने के भीतर 6 लाख किलोमीटर इलाके पर तालिबानी नियंत्रण कैसे हो गया?
14 अप्रैल
अमेरिका ने सेना बुलाने का ऐलान किया.
1 मई
अमेरिका सेना लौटनी शुरू हुई.
4 मई
तालिबान ने अफगान सेना पर हमले तेज किए.
7 जून
तालिबान-अफगान के बीच लड़ाई 26 प्रांतों तक पहुंचा.
22 जून
उत्तर अफगानिस्तान में तालिबान के हमले तेज.
2 जुलाई
अमेरिका ने अपने मुख्य बेस बड़गाम से सैनकों को बुलाया.
21 जुलाई
तालिबान का अफगानिस्तान के 18 से ज्यादा जिलों पर कब्जा.
12 अगस्त
गजनी, हेरात, कंधार पर तालिबान का कब्जा.
14 अगस्त
अफगानिस्तान के एक बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर कब्जा.
14 अगस्त
अफगानिस्तान के 34 में 25 प्रांतों पर कब्जा.
15 अगस्त
काबुल और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा.
15 अगस्त
राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भागे.
अब से थोड़ी देर पहले काबुल (Kabul) से 130 भारतीयों को लेकर भारत (India) का ग्लोबमास्टर विमान प्लेन गुजरात के (Gujarat) जामनगर में पहुंचा. बाकी देशों की तरह भारतीय नागिरकों को भी वहां से सुरक्षित लाया जा रहा है.
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