इन दो जांबाज बेटियों ने फतह कर डाली चोटी, अब जानिए क्या है अगला प्लान
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इन दो जांबाज बेटियों ने फतह कर डाली चोटी, अब जानिए क्या है अगला प्लान

अफगानिस्तान की फातिमा सुल्तानी ने हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला पर स्थित नोश्क पर्वत चोटी पर चढ़कर इतिहास रच दिया. 7,492 मीटर ऊंची नोश्क अफगानिस्तान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है.

अफगानिस्तान की फातिमा सुल्तानी ने साथियों के साथ हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला पर स्थित नोश्क पर्वत चोटी पर चढ़कर इतिहास रच दिया.

काबुल: अफगानिस्तान की फातिमा सुल्तानी ने साथियों के साथ हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला पर स्थित नोश्क पर्वत चोटी पर चढ़कर इतिहास रच दिया. 7,492 मीटर ऊंची नोश्क अफगानिस्तान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है. इस चोटी तक पहुंचने वाला अफगानिस्तान का यह पहला समूह है. फातिमा चोटी को फतह करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही हैं.

अब एवरेस्ट फतह करने का इरादा
18 वर्षीय फातिमा सुल्तानी ने काबुल के नजदीक से सुबह के समय चढ़ाई शुरू की. सुल्तानी समेत उनकी टीम में शामिल नौ में तीन लोग अब अफगानिस्तान की मीर समीर पर्वत पर चढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं. इसके बाद उनकी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ने की योजना है.

महामारी के कठिन दौर में भी जारी रखी चढ़ाई
कोरोना वायरस महामारी के कठिन दौर में भी सुल्तानी ने इस चोटी पर चढ़ाई जारी रखी और अगस्त में वह लगभग 24,580 फीट ऊंची इस चोटी को फतह करने में कामयाब रहीं. फातिमा कहती हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना है कि अफगानिस्तान की महिलाएं बहुत बहादुर होती हैं और हर वह चुनौतीपूर्ण काम कर सकती हैं जिसे पुरुष करते हैं. जब हमने यह सुना कि विदेशी महिलाएं यहां इस चोटी पर चढ़ाई करने आती हैं तो हमने सोचा कि हम इसे क्यों नहीं कर सकते.

तालिबान का डर दरकिनार
अफगानिस्तान में वर्ष 1996 से 2001 के तालिबान शासन के दौरान महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी गई थी और बिना पुरुष सदस्यों के उनके घरों से निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. महिलाओं ने कहा कि यह दौर अब बदल चुका है लेकिन अभी भी कई महिलाएं सशंकित रहती हैं. फातिमा कहती हैं कि जब मैंने खेलकूद में हिस्सा लेना शुरू किया तो मुझे पता है कि इससे आने वाले दिनों में समस्याएं खड़ी हो सकती हैं लेकिन मैं इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हूं.

हर कदम पर मिला पिता का साथ
फातिमा को अपने पिता से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. अब्दुल वाहिद सुल्तानी कहते हैं कि तालिबान महिलाओं के खेलकूद में हिस्सा लेने के खिलाफ रहे हैं, इसलिए बेटी की सुरक्षा को लेकर उन्हें चिंता रहती है.

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