US ने चीन को दिया बड़ा झटका, शी जिनपिंग के करीबियों को नहीं मिलेगी अमेरिका में एंट्री!
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US ने चीन को दिया बड़ा झटका, शी जिनपिंग के करीबियों को नहीं मिलेगी अमेरिका में एंट्री!

चीन के साथ बढ़ रहे तनाव के बीच अब अमेरिका ने चीन पर नया प्रतिबंध लगा दिया है. ट्रंप प्रशासन ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और संयुक्त मोर्चा के उन अधिकारियों को वीजा नहीं देने का फैसला किया है जो अमेरिका समेत दूसरे देशों में प्रोपेगेंडा (Propaganda) चला रहे हैं.

दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ने के आसार हैं.....

वाशिंगटन: अमेरिका और चीन (US-China) के बिगड़ते रिश्तों के बीच ट्रंप (Trump) प्रशासन ने चीन के खिलाफ ऐसा कदम उठाया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है. अमेरिका ने दुनिया के कई देशों में अपने खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार को रोकने का हवाला देते हुए चीनी अधिकारियों के वीजा पर बैन लगा दिया है. अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) और यूनाइटेड एलाइंस के उन प्रमुख अधिकारियों की एंट्री बंद कर दी गई है जो दूसरे देशों को प्रभावित करने के लिए प्रोपेगेंडा चला रहे थे.

मार्क्सवादी विचारधारा फैलाना चाहता है चीन
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) के मुताबिक कि ये बैन चीन (China) की कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के अधिकारियों और उस हर शख्स पर भी लागू होगा जो US पॉलिसी और प्रोटोकॉल के खिलाफ काम करेगा. पोम्पिओ ने ये भी कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) लंबे समय से अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के साथ दुनिया भर में दबदबा कायम करना चाहती है.

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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर हैं गंभीर आरोप
अमेरिका का कहना है कि प्रतिबंधित लोगों पर धमकाने, शारीरिक हिंसा, चोरी, व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करने, जासूसी और तोड़फोड़ जैसे आरोप लग चुके हैं.अमेरिका ने एक बार फिर दोहराया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने अपनी स्थापना के समय से ही घरेलू राजनीतिक मामलों, शैक्षिक स्वतंत्रता, निजता और कारोबारी गतिविधियों में दखल दे रही है.

अंतरराष्‍ट्रीय नियम तोड़ने पर नही मिलेगा वीजा
पोम्पियों ने कहा, ‘चीन (China) ऐसी गतिविधियों के जरिए अमेरिका और अन्य देशों में रह रहे लोगों को प्रभावित करने के साथ कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों को अपनाने के लिए मजबूर करता है.' अमेरिका द्वारा चीन के खिलाफ उठाए गए इस सख्त कदम  का मकसद यह दिखाना है कि जो भी अंतरराष्‍ट्रीय मानकों का उलंघन करेगा, उसके लिए अमेरिका में कोई जगह नहीं है.

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