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काबुल: तालिबानी (Talnibani) कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों की हालत बहुत खराब है. एक तरफ वे वहां से निकलने के लिए एयरपोर्ट पर डेरा डाले हुए हैं, वहीं एयरपोर्ट पर हुई हिंसा उन्हें दुनिया से ही विदा करा दे रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश से निकलने की कोशिश में हामिद करजई एयरपोर्ट (Hamid Karzai Airport) पर एक हफ्ते में 20 लोगों की जान जा चुकी है. इससे पहले शनिवार को ब्रिटेन सरकार ने काबुल हवाई अड्डे के पास 7 अफगानियों के मारे जाने की घोषणा की थी. ब्रिटेन (UK) के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि 'यहां जमीन पर स्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं'.
तालिबान शासन से बचने के लिए बेताब पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की बड़ी भीड़ काबुल हवाई अड्डे पर जमा है. अमेरिका (US) समेत कई देश इन लोगों को यहां से निकाल रहे हैं लेकिन शनिवार को यहां हजारों लोगों की भीड़ जमा होने के दौरान खासी हिंसा हुई. इसमें लोग मारे भी गए और घायल भी हुए. कुछ लोग दीवार फांदकर एयरपोर्ट के अंदर जाने की कोशिश भी करते नजर आए.
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उम्मीद जताई है कि लोगों को अफगानिस्तान से निकालने का काम 31 अगस्त तक पूरा हो जाएगा और इस समय को बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे लोगों को डर है कि वे कहीं अफगानिस्तान में ही फंसकर न रह जाएंगे. अमेरिका अब तक कम से कम 30,300 लोगों को निकाल चुका है.
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इसी बीच ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने ने कहा कि अगर बाइडेन प्रशासन ऑपरेशन को 31 अगस्त के बाद भी जारी रखने का फैसला करता है तो वह लोगों को अफगानिस्तान से एयरलिफ्ट करने में मदद करने के लिए तैयार हैं. ऑस्ट्रेलिया ने पिछले एक सप्ताह में अब तक अफगानिस्तान से करीब 1,000 लोगों को निकाला है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई नागरिक और अफगानी शामिल हैं.
नीदरलैंड ने भी कहा है कि वह लोगों को निकालने के प्रयासों में मदद करने के लिए अफगानिस्तान में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाएगा. काबुल हवाई अड्डे पर पहले से ही 62 डच विशेष बल के जवान तैनात हैं और सरकार ने दुभाषियों (interpreters) समेत 1,000 अफगानों को निकालने के लिए 2 सी-130 सैन्य विमान भी लगाए हुए हैं.