कोरोना वायरस पर अमेरिका के बाद अब आमने-सामने आए ऑस्ट्रेलिया और चीन, बढ़ा विवाद
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कोरोना वायरस पर अमेरिका के बाद अब आमने-सामने आए ऑस्ट्रेलिया और चीन, बढ़ा विवाद

ऑस्ट्रेलिया ही वो पहला देश है जिसने महामारी पर वैश्विक जांच की मांग की थी. और ऑस्ट्रेलिया की मांग के बाद 100 से भी ज्यादा देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था.

ऑस्ट्रेलिया ही वो पहला देश है जिसने महामारी पर वैश्विक जांच की मांग की थी.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को काबू करने में जो सफलता ऑस्ट्रेलिया (Australia) को मिली वो उसके सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर चीन (China) के साथ गहराते विवाद के पीछे छिप गई. अब विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) ने कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति की वैश्विक जांच पर हामी भर दी है.

  1. सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया ने की थी महामारी पर वैश्विक जांच की मांग
  2. 100 से भी ज्यादा देशों ने ऑस्ट्रेलिया का समर्थन किया था. 

ऑस्ट्रेलिया ही वो पहला देश है जिसने महामारी पर वैश्विक जांच की मांग की थी और ऑस्ट्रेलिया की मांग के बाद 100 से भी ज्यादा देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था. अब जब WHA ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है तो ये चीन और ऑस्ट्रेलिया के बिगड़ते रिश्तों की खाई को और बढ़ा सकता है.

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कोरोना वायरस जिसके कारण दुनिया भर के 49,27,523 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए और 3,20,957 लोगों की मौत हो गई, ये वायरस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से निकला था. 

हालांकि, चीन ने कोरोना वायरस महामारी को कैसे हैंडल किया, इस सवाल को चीन ने आधारहीन करार दिया. चीन में मौत के आधिकारिक आंकड़ों पर संदेह के बावजूद भी चीन ने कहा कि सब कुछ साफ था और कुछ भी छिपाया नहीं गया था.

ऑस्ट्रेलिया से नाराज चीन ने बदला लेने के लिए ऑस्ट्रेलियाई जौ निर्यात पर भारी शुल्क लगा दिया.

चीनी राजदूत ने ऑस्ट्रेलियाई सामानों के उपभोक्ता बहिष्कार की चेतावनी दी थी. चीनी दूतावासों ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मामलों पर अधिक मुखर रुख अपनाया है, जिसमें कोरोना वायरस प्रकोप से निपटने की आलोचना भी शामिल है, एक नीति जिसे पश्चिमी और चीनी मीडिया दोनों में 'वुल्फ वॉरियर' कूटनीति करार दिया गया है.

चीनी अखबार, द ग्लोबल टाइम्स ने मंगलवार को एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया था- 'वैश्विक समुदाय ने COVID-19 पर चीन द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव का स्वागत किया जो ऑस्ट्रेलिया को गाल पर थप्पड़ की तरह है.'

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यह तो एकदम अलग बात है क्योंकि चीन पर तो इस जांच के लिए दबाव डालाय गया है.

इस बीच, चीन के निशाने पर कई ऑस्ट्रेलियाई निर्यातों आ गए हैं. इस बार शराब, डेयरी, समुद्री भोजन, दलिया और फल आदि निशाने पर हैं. इन्हें अब सख्त गुणवत्ता जांच, एंटी-डंपिंग जांच, टैरिफ या कस्टम में देरी जैसी चीजों से प्रभावित किया जा सकता है.

लेकिन चीन ने कई छोटे देशों जैसे पाकिस्तान, किर्गिस्तान, श्रीलंका और कई अफ्रीकी देशों को ऋण दिए हैं, जिसके मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार युद्ध व्यर्थ ही नहीं बल्कि अनुत्पादक भी दिखाई देता है.

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