ऑस्ट्रलिया में 20 फीसदी बच्चों को नहीं मिल पा रहा है भोजन, कागज खाकर मिटा रहे भूख
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ऑस्ट्रलिया में 20 फीसदी बच्चों को नहीं मिल पा रहा है भोजन, कागज खाकर मिटा रहे भूख

फूडबैंक विक्टोरिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डावे मैकनामारा ने ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडक्रास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) से कहा, "मेरा मानना है कि एक समाज के तौर यह हमारे लिए बहुत दुखद है." 

सर्वेक्षण में पाया गया है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों के बिना भोजन रहने की संभावना अधिक रही.(फाइल फोटो)

केनबरा: बीते 12 महीनों में ऑस्ट्रेलियाई बच्चों में से 20 फीसदी से ज्यादा भूखे रह रहे हैं. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, फूडबैंक द्वारा 1,000 माता-पिता के सर्वेक्षण में पाया गया कि 15 साल से कम उम्र के ऑस्ट्रेलियाई बच्चों का 22 फीसदी ऐसे परिवार में रहते हैं, जो बीते 12 महीनों में कभी-कभी खाने से वंचित रहे. यह भी पाया गया कि स्कूल जा रहे पांच बच्चों में से एक बच्चा हफ्ते में एक बार बिना नाश्ता किए स्कूल जाता है और दस में से एक बच्चा कम से कम हफ्ते में एक बार पूरा दिन बिना खाए रहता है.

  1. 10 में 1 बच्चा सप्ताह में 1 दिन पूरा बिना खाए रहता है 
  2. वयस्कों की तुलना में बच्चें बिना खाए अधिक रहे
  3. 5 बच्चों में 1 बच्चा बिना नाश्ता के जाता है स्कूल 

फूडबैंक विक्टोरिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डावे मैकनामारा ने ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडक्रास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) से कहा, "मेरा मानना है कि एक समाज के तौर यह हमारे लिए बहुत दुखद है." उन्होंने कहा, "हमारे समुदाय में सबसे कमजोर-हमारे बच्चे, हमारा भविष्य-पीड़ित हैं और मुझे नहीं लगता कि यह सही है, कोई भी इसे सही ठहरा सकता है. "

सर्वेक्षण में पाया गया है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों के बिना भोजन रहने की संभावना अधिक रही.  लेकिन 29 फीसदी माता-पिता ने कहा कि वे हफ्ते में कम से कम एक बार बिना भोजन के रहे, जिससे उनके बच्चे खाना खा सकें. मैकनामारा ने कहा, "कुछ बच्चे कागज खा रहे हैं. उनके माता-पिता ने उनसे कहा है कि पर्याप्त भोजन नहीं है और यदि आपको भूख लगती है तो आपको कागज चबाना होगा. "रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवनयापन लागत की वजह से माता-पिता को अपने बच्चों को खिलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. 

भुखमरी खत्म करने में भारत से आगे नेपाल
आपको बता दें कि दुनिया का एक बड़ा हिस्सा अब भी भूखमरी का शिकार है. भारत के संदर्भ में देखें तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा भुखमरी पर जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक भुखमरी से पीड़ित देशों में भारत भी शामिल है. वही दूसरी तरफ नेपाल भुखमरी की समस्या खत्म करने वाले देशों की सूची में आगे है. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान की ओर से गुरुवार को जारी 2017 वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) के आधार पर नेपाल काफी तेजी से अपने देश में भुखमरी खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

नेपाल इस मामले में बाल कुपोषण और बाल मृत्युदर में कमी लाकर 'गंभीर' से अब 'मध्यम' सूची में आ गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1992 में नेपाल का जीएचआई स्कोर 42.5 था और 2017 में यह घटकर 22 हो गया था. जीएचआई यह गणना अमीर देशों और छोटी जनसंख्या वाले देशों पर नहीं करता है. वर्ष 2000 में नेपाल का जीएचआई स्कोर खतरे की श्रेणी में था.  जीएचआई की 119 देशों की सूची में नेपाल को 72वां स्थान मिला था. नेपाल इस स्थान के साथ श्रीलंका (84वां), बंग्लादेश (90), भारत (97), पाकिस्तान (107) और अफगानिस्तान (111वां) से आगे था. 

इनपुट आईएएनएस से भी  

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