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Bangladesh quota row: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को आरक्षण देने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन जारी है. आरक्षण में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में अब तक करीब 110 लोगों की मौत की खबर है. राजधानी ढाका और दूसरी जगहों पर हिंसा भड़कने की वजह से सैकड़ों लोग भी घायल हुए हैं. लिहाजा हालात के मद्देनजर देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. आज हिंसा का चौथा दिन है. रह रह कर पूरा देश सुलग रहा है.
Bangladesh violence Update: वॉर हीरोज़ के परिवार को आरक्षण का विरोध
शेख हसीना का आरोप है कि स्वाभिवान और राष्ट्रीय गौरव के विषय को विपक्ष विवादों में घसीटकर गलत दिशा में ले जा रहा है. दूसरी ओर विपक्षी नेताओं का कहना है कि पीएम इस फैसले को इसलिए नहीं पलट रहीं क्योंकि ये हसीना का काडर वोट बैंक है.
आंकड़े में दिखी विवाद की जड़
भारत में किसी भी राज्य में आरक्षण 50 फीसदी से ऊपर नहीं हो सकता. समय समय पर राज्य सरकारें अपना-अपना वोट बैंक सेट करने के लिए जातियों और समुदायों के लिए आरक्षण का ऐलान करती हैं, इस पर बवाल होता है. भारत में राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में समय समय पर ऐसे प्रदर्शन होते रहते हैं. जहां आरक्षण 50% के ऊपर जाता है, हालात बिगड़ने से व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं. इस हिसाब से बांग्लादेश के आंकड़े और चौकाने वाले हैं
पड़ोसी देश में स्वतंत्रा सेनानियों (मुक्ति जोधा) 30% के अलावा महिलाओं को 10%, पिछड़े वगों को 10%, अल्पसंख्यकों को 5% और एक फीसदी आरक्षण दिव्यांगों को मिलता है. आंदोलनकारियों का कहना है- 'सभी श्रेणी को मिलाकर कुल 5 रिजर्व कैटिगिरी हैं. ऐसे में हमेशा 56% JOBS रिजर्व रहती है. आम छात्रों के लिए मेरिट में 44% नौकरियां बचती हैं. कोटा की सरकारी नौकरियां फौरन घटाई जाएं. आरक्षण की 5 श्रेणियों को घटाकर इसे केवल पिछड़े और विकलांगों तक सीमित करके 94% नौकरियों में मेरिट के आधार पर भर्तियां होनी चाहिए. बस हम इसी का विरोध कर रहे हैं.'
कैसे आगे बढ़ा मामला
इस आंदोलन के मूल में 30% आरक्षण है जो सरकारी नौकरियों में मुक्ति नायकों (मुक्ति जोधा के परिजनों को दी जाती है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी थी. 8 जनवरी 2024 को लगातार चौथी बार देश की पीएम की शपथ लेने वाली शेख हसीना के खिलाफ ये इस रिजीम का सबसे बड़ा आंदोलन छिड़ गया है. विपक्ष का आरोप है कि हसीना देश के आम आदमी की आवाज दबा रही हैं. 2 करोड़ आबादी का हर 5वां शख्स एजुकेशन से वंचित है. युवाओं में बेरोजगारी दर अभूतपूर्व गंभीर स्थिति पर पहुंच चुकी है.