Batagaika Crater in Siberia: रूस के उत्तरी इलाके को सामान्य तौर पर साइबेरिया नाम दिया गया है. इस इलाके में बड़े पैमाने पर वनों के विनाश की वजह से जमीन धंसने लगी. जमीन धंसने की वजह से एक गहरा खड्ड बना जिसे बाटागाइका क्रेटर के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोगों ने इसे गेटवे टू अंडरवर्ल्ड नाम दिया है.
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Gateway to hell: क्या धरती पर ही नर्क का द्वार है. यदि ऐसा है तो क्या ये धरती के माथे पर दाग है. सबसे पहले बात करेंगे कि नर्क का द्वार कहां है. रूस के पूर्वी इलाके में बाटागाइका नाम का एक क्रेटर है जिसे नर्क का द्वार कहा जाता है. अब सवाल यह कि आखिर ऐसा क्यों है. दरअसल कुछ दशक पहले यह इलाका बर्फ से ढंका हुआ था..बर्फ पिघलने के बाद जब इसकी तस्वीर सामने आई तो हर कोई हैरान था. पृथ्वी की सतह से इसकी गहराई इतनी अधिक थी यहां लोग जाने से डरने लगे. इसे धरती के माथे पर दाग भी कहने लगे. इसकी साइज में लगातार इजाफा हो रहा है.
1960 में मिली जानकारी
1960 में इसके बारे में जानकारी मिली. बताया जाता है कि इस इलाके में बड़े पैमाने पर वनों के विनाश की वजह से सतह की मिट्टी कमजोर हुई और धंस गई.साल दर साल इसके आकार में इजाफा होता गया.कुछ जानकार बताते हैं कि 10 से 30 मीटर की रफ्तार से हर वर्ष इसमें बढ़ोतरी हो रही है. इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार बताया जा रहा है. रॉयटर्स के मुताबिक एक खोजीदल बाटागाइका के क्रेटर में उतरा था और अविश्वसनीय साक्ष्य हासिल की. उन्होंने क्रेटर को अंदर से देखा था. इसके साथ रूस के अलग अलग हिस्सों में असामान्य भूगर्भीय बदलावों के गवाह बन रहे हैं. 2020 में एक ऐसे ही खड्ड के बारे में जानकारी मिली जिसका व्यास 20 मीटर और गहराई 30 मीटर थी. यह खड्ड साइबेरिया के उत्तर पश्चिम इलाके में पाया गया.
एक नजर में बाटागाइका क्रेटर
साइबेरिया के दूसरे इलाकों में भी क्रेटर
वैज्ञानिकों का कहना है कि अच्छी बात यह है कि जितने भी क्रेटर मिले हैं वो सब रिहायशी इलाकों से दूर हैं. लेकिन अगर इस तरह की तस्वीर रिहायश वाले इलाकों से आती है तो निश्चित तौर पर यह लोगों और आधारभूत संरचना के लिए खतरा साबित होंगे.