मोदी की यात्रा से पहले चीन की खरी-खरी, 'रातोंरात नहीं सुलझ सकता सीमा मसला'
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मोदी की यात्रा से पहले चीन की खरी-खरी, 'रातोंरात नहीं सुलझ सकता सीमा मसला'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले चीन ने आज जटिल सीमा मुद्दे को सुलझाने में किसी सफलता की उम्मीदों को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए आज कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मोदी की बातचीत के दौरान यह विषय आएगा लेकिन इसे रातोंरात नहीं सुलझाया जा सकता।

मोदी की यात्रा से पहले चीन की खरी-खरी, 'रातोंरात नहीं सुलझ सकता सीमा मसला'

बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले चीन ने आज जटिल सीमा मुद्दे को सुलझाने में किसी सफलता की उम्मीदों को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए आज कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मोदी की बातचीत के दौरान यह विषय आएगा लेकिन इसे रातोंरात नहीं सुलझाया जा सकता।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कल से शुरू हो रही मोदी की तीन दिन की यात्रा के संबंध में यहां के मीडिया से बातचीत में कहा, हम यात्रा को लेकर आशान्वित हैं। हुआ ने कहा, सीमा का प्रश्न साझा सरोकार का मुद्दा है और बातचीत में यह विषय आएगा। दोनों पक्ष जल्दी सीमा विवाद को सुलझाना चाहते हैं और हमने इस दिशा में व्यापक प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा, सीमा मसले का जल्द समाधान दोनों ओर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करता है और हम सभी जानते हैं कि सीमा का प्रश्न इतिहास से चला आ रहा है और रातोंरात इसका समाधान नहीं निकल सकता।

हुआ ने कहा, लेकिन दोनों पक्ष इस प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों की प्रणाली और सीमा मुद्दे से जुड़ी अन्य प्रणालियों के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद रखने के इच्छुक हैं और इस संबंध में प्रगति हुई है। हुआ ने कहा कि चीन सीमा के प्रश्न पर परस्पर स्वीकार्य, न्यायोचित और तर्कसंगत समाधान के लिए भारत के साथ संवाद रखना चाहता है।

उन्होंने कहा, अंतिम समाधान नहीं होने तक हम सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन चैन बनाये रखने के लिए संयुक्त प्रयास करेंगे। मेरा मानना है कि यह दोनों पक्षों के साझा हित में होगा। हुआ ने कहा कि चीन और भारत मोदी की यात्रा को महत्व देते हैं। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि यात्रा द्विपक्षीय संबंधों के विकास को और मजबूती देगी। उन्होंने कहा कि बातचीत में दोनों पक्ष दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग की साझेदारी को गहरा करने के विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

चीन का कहना है कि सीमा का मुद्दा केवल 2000 किलोमीटर तक सीमित है जिसमें अधिकतर अरणाचल प्रदेश में है, लेकिन भारत का मानना है कि करीब 4000 किलोमीटर सीमा को लेकर विवाद है।

 

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