ब्रिक्स समिट: शी जिनपिंग ने सदस्य देशों से मतभेद दूर करने को कहा
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ब्रिक्स समिट: शी जिनपिंग ने सदस्य देशों से मतभेद दूर करने को कहा

चीन और भारत ने डोकलाम इलाके से अपने सैनिक वापस बुलाकर 73 दिन चले गतिरोध का अंत किया था.

शिखर सम्मेलन भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर हाल में खत्म हुए गतिरोध के बीच हो रहा है. (फाइल फोटो)

शियामेन: तीन सितंबर (भाषा) चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रविवार (3 सितंबर) को यहां नौवें वार्षिक ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सदस्य देशों से अपने मतभेद दूर करने तथा आपसी विश्वास एवं रणनीतिक संवाद बढ़ाकर एक दूसरी की चिंताओं पर ध्यान देने को कहा. फुजियान प्रांत के दक्षिणपूर्वी शहर में तीन दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का उद्घाटन समारोह ब्रिक्स व्यापार परिषद की बैठक के साथ शुरू हुआ. समारोह मवार चक्रवात के कारण हुई बारिश के बीच शुरू हुआ. इससे पहले मवार चक्रवात के कारण शिखर सम्मेलन की तैयारियां व्यापक रूप से बाधित हुई थीं और यातायात पर भी काफी असर पड़ा था. चक्रवात से विमान सेवाएं भी बाधित हुईं.

ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में इन पांचों देशों के नेता एक साथ जमा होते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमेर, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हिस्सा लेंगे. शी ने अपने भाषण में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर काफी जोर देते हुए कहा, ‘एक ऊंची इमारत के निर्माण का आधार उसकी नींव से शुरू होता है. हमने नींव रख दी है और ब्रिक्स सहयोग के लिए संरचना का निर्माण कर दिया है.’ उन्होंने पिछले 10 सालों में ब्रिक्स के सहयोग का खाका खींचते हुए कहा कि मतभेदों को दूर करते हुए एक दूसरे को बराबर मानना तथा सहमति के क्षेत्रों की तलाश करना सहयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा है.

चीनी राष्ट्रपति ने विभिन्न देशों के करीब 1,000 प्रतिनिधियों से कहा, ‘ब्रिक्स सहयोग के लिहाज से फैसले कोई एक देश नहीं लेता बल्कि विचारविमर्श से लिए जाते हैं. हम एक दूसरे के विकास के मॉडल का सम्मान करते हैं, एक दूसरे की चिंताओं पर ध्यान देते हैं और रणनीतिक संवाद एवं पारस्परिक विश्वास को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय दशाओं, इतिहास, संस्कृतियों को ध्यान में देखते हुए यह स्वाभाविक है कि हमारे बीच अपने सहयोग को आगे करने में कुछ मतभेद होंगे.’ शी ने कहा, ‘हालांकि सहयोग में दृढ़ विश्वास एवं बढ़ते सहयोग के साथ ब्रिक्स देश अपने सहयोग को लेकर सतत प्रगति हासिल कर सकते हैं.'

शिखर सम्मेलन भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर हाल में खत्म हुए गतिरोध के बीच हो रहा है. दोनों देशों ने इलाके से अपने सैनिक वापस बुलाकर 73 दिन चले गतिरोध का अंत किया था. शी ने सीधे सीधे मतभेदों की तरफ इशारा किए बिना अपने अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआई) की तरफ संकेत किया जिसका चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियार (सीपीईसी) एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरने के कारण भारत ने सीपीईसी का विरोध किया है. भारत ने मई में चीन द्वारा आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) का भी बहिष्कार किया था. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि बीआरआई किसी भूराजनैतिक एजेंडे को आगे करने का साधन नहीं है बल्कि व्यवहारिक सहयोग का एक मंच है.

शी जिनपिंग ने कहा, दुनिया पर आतंकवाद के खतरे की काली छाया बनी हुई है

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार (3 सितंबर) को कहा कि लोग संघर्ष और टकराव के बदले शांति और सहयोग चाहते हैं. जिनपिंग ने कहा कि दुनिया पर आतंकवाद के खतरे की काली छाया बनी हुई है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्वलंत भू-राजनीतिक मुद्दों को सुलझाना आज के समय की मांग है. उन्होंने कहा, "दुनिया के कुछ हिस्सों में लगातार हो रहे संघर्ष से विश्व शांति के लिए खतरा पैदा हो गया है. आतंकवाद के खतरे और साइबर सुरक्षा की कमी की वजह से दुनिया पर काली छाया छा बनी हुई है." जिनपिंग ने कहा, "मैं इस बात से सहमत हूं कि आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने और इसके लक्षणों एवं कारणों की तह तक पहुंचने के बाद आतंकवादियों के छिपने के लिए जगह नहीं बचेगी."

(इनपुट एजंसी से भी)

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