Chagos Islands: कहानी चागोस द्वीप समूह की, जिसे ब्रिटेन के चंगुल से मिलने जा रही आजादी
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Chagos Islands: कहानी चागोस द्वीप समूह की, जिसे ब्रिटेन के चंगुल से मिलने जा रही आजादी

Chagos Islands News: मॉरिशस जहां इस द्वीप समूह पर अपना दावा करता रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका कब्जा ब्रिटेन के पास है. 1967 में यहां सभी नागरिकों को बेदखल कर दिया गया. ब्रिटन ने एक साल बाद 1968 में मॉरिशस को तो आजादी दे दी, लेकिन सामरिक नजरिए से बेहद अहम इस चागोस द्वीप समूह को सौंपने से इनकार करते हुए इसका 'मालिक' बना रहा. 

chagos islands

Britain on chagos islands: जमीन के लिए एक ओर पूरी दुनिया पर एक बड़ी जंग का खतरा मंडरा रहा है, वहीं हिंद महासागर में मालदीव से तकरीबन 500 किलोमीटर दक्षिण की ओर शांतिपूर्ण तरीके से 60 द्वीपों के एक समूह का स्वामित्व एक देश को मिलने जा रहा है. दरअसल, मॉरिशस और ब्रिटेन के बीच कई दशकों से चागोस द्वीप समूह को लेकर विवाद रहा है. 

अब ब्रिटेन ने आखिरकार चागोस द्वीप समूह मॉरिशस को सौंप दिया. एक समझौते के तहत 60 द्वीपों में से एक द्वीप डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन-अमेरिका का संयुक्त सैन्य अड्डा बरकरार रहेगा. यह समझौता डिएगो गार्सिया में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ब्रिटेन-अमेरिका सैन्य अड्डे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किया गया है. चागोस, हिंद महासागर में 60 से अधिक द्वीपों का एक द्वीपसमूह है. ब्रिटेन सरकार ने एक बयान में कहा कि इस समझौते को अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का समर्थन प्राप्त है. 

इस सप्ताह घोषित समझौते के तहत क्षेत्र की स्थिरता एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला डिएगो गार्सिया कम से कम अगले 99 वर्षों तक ब्रिटेन और अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में रहेगा. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि आज का समझौता इस महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे के भविष्य को सुरक्षित करता है. उन्होंने कहा कि इससे वैश्विक सुरक्षा में हमारी भूमिका मजबूत होगी. हिंद महासागर को ब्रिटेन के लिए खतरनाक अवैध प्रवास मार्ग के रूप में इस्तेमाल किए जाने की किसी भी संभावना को समाप्त किया जा सकेगा. इसके अलावा मॉरीशस के साथ हमारे दीर्घकालिक संबंध मजबूत होंगे. 

अब थोड़ा पीछे चलते हैं. मालदीव से 500 किलोमीटर दक्षिण दिशा में मौजूद इस चागोस द्वीप के 2.5 लाख वर्ग मील एरिया में समुद्री पहाड़ियां हैं. इसी द्वीप समूह को लेकर बीते कई दशकों से विवाद बना हुआ है. इसी द्वीप समूह का आखिरी द्वीप है डिएगो गारसिया, जिस पर अमेरिका ने अपना बेस स्टेशन बनाया है. 

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1980 में मॉरिशन ने संयुक्त राष्ट्र में चागोस द्वीप का मुद्दा उठा दिया. उसी के बाद से ये विवाद और बढ़ गया. फिर 2015 में भी मॉरिशस ने नीदरलैंड के हेग में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में भी चागोस द्वीप के लिए आवाज बुलंद की. तब कोर्ट ने कहा कि ब्रिटेन मॉरिशस के अधिकारों को दबा रहा है. 2019 में मामला ICJ में पहुंचा. ICJ ने ब्रिटेन को सीधे निर्देश दिया कि वे चागोस द्वीप का स्वामित्व मॉरिशस को सौंप दे. लेकिन ब्रिटेन ने इसे ICJ की एडवाइजरी कहते हुए मानने से फिर इनकार कर दिया. 

अब ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन होने के बाद मॉरिशस की ये दशकों पुरानी मांग पूरी हुई और उसे चागोस का स्वामित्व हासिल हो सका. इसका भविष्य तय करने के लिए कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार ने 2022 में वार्ता शुरू की थी. 

विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कहा कि मॉरीशस के साथ किया गया समझौता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और हिंद महासागर तथा व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व समृद्धि के लिए खतरों को टालने की ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसने कहा कि समझौते के तहत मॉरीशस को द्वीपों पर संप्रभुता प्राप्त होगी, जबकि डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन का अधिकार होगा. एफसीडीओ ने दावा किया कि ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच राजनीतिक समझौते के बाद 50 से अधिक वर्षों में पहली बार सैन्य अड्डे की स्थिति निर्विवाद और कानूनी रूप से मान्य होगी.

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