खालिस्तान पर क्या है ट्रूडो की राजनीतिक मजबूरी, संसद में गर्म तेवर.. बाहर क्यों पड़ गए ठंडे?
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खालिस्तान पर क्या है ट्रूडो की राजनीतिक मजबूरी, संसद में गर्म तेवर.. बाहर क्यों पड़ गए ठंडे?

DNA Analysis: कनाडा के प्रधानमंत्री Justin Trudeau ने अपने देश की संसद में एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी ने Canada के एक नागरिक की हत्या करवाई है. जिस व्यक्ति की हत्या करवाने का आरोप भारत पर लगाया है, वो नागरिक है खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर.

खालिस्तान पर क्या है ट्रूडो की राजनीतिक मजबूरी, संसद में गर्म तेवर.. बाहर क्यों पड़ गए ठंडे?

DNA Analysis: कनाडा के प्रधानमंत्री Justin Trudeau ने अपने देश की संसद में एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी ने Canada के एक नागरिक की हत्या करवाई है. जिस व्यक्ति की हत्या करवाने का आरोप भारत पर लगाया है, वो नागरिक है खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर. करीब 3 महीने पहले Canada के British Columbia राज्य के surrey शहर में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी.

हरदीप सिंह निज्जर, एक खालिस्तानी आतंकी संगठन KTF यानी Khalistani Tiger Force का मुखिया था. इस संगठन को इसी वर्ष भारत सरकार ने प्रतिबंधित किया है. ये संगठन भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है. शुरुआती जांच में ये पता चला कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को दो अज्ञात हत्यारों ने गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी थी. आतंकी निज्जर के संबंध एक और खालिस्तानी आतंकी संगठन SFJ यानी Sikh For Justice के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू से भी थे.

यही नहीं NIA ने 40 Most Wanted आतंकियों की एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का नाम भी शामिल था. Canada के Brampton शहर में Khalistan Referendum के नाम पर भारत विरोधी प्रदर्शन हुआ था, वो हरदीप सिंह निज्जर ने ही आयोजित करवाया था. भारत में होने वाली कई खालिस्तानी आतंकी घटनाओं में निज्जर का नाम सामने आता रहा है. सितंबर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरदीप निज्जर को आतंकवादी घोषित कर दिया था.

निज्जर की हत्या के मामले में अब Canada की सरकार, भारत पर हत्या करवाने का आरोप लगा रही है. justin trudeau के इस बयान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. justin trudeau के इस आरोप के बाद, Canada ने भारतीय राजदूत पवन कुमार राय को देश छोड़ने का आदेश दे दिया. Canada का ये कदम, भारत के लिहाज से बहुत कठोर कदम माना गया. भारतीय राजदूत पवन कुमार राय, Canada में भारतीय खुफिया विभाग के प्रमुख थे. Canada के इस कदम के बाद भारत ने भी ऐसा ही एक बड़ा कदम उठाया है, भारत ने Canada के एक वरिष्ठ राजदूत को 5 दिन के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दिया है. 

Canada की तरह ही भारत ने इस राजदूत पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है. दोनों देशों के संबंधों के बीच खालिस्तानी आतंकी की हत्या के बाद से उपजे विवाद ने दरार डाली है. जिसका बड़ा असर आने वाले वक्त में पड़ सकता है.

Canada के Prime Minister Justin Trudeau ने केवल देश की संसद में ही भारत पर आरोप नहीं लगाए, बल्कि G-20 summit के दौरान भी, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले पर बात की थी. तब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था. यहां ये बताना भी जरूरी है कि भारत विरोधी प्रदर्शनों को लेकर, भारत सरकार, Canada पर लगातार कार्रवाई का दबाव बनाती रही है. लेकिन खालिस्तानी गतिविधियों को रोकने के लिए, Canada सरकार ने कभी कोई गंभीर कदम नहीं उठाए. अब निज्जर की हत्या के मामले में Justin Trudeau , भारत पर आरोप लगा रहे हैँ. ये Justin Trudeau की मजबूरी है कि उनकी राजनीति, फिलहाल खालिस्तान समर्थन पर टिकी हुई है. इसीलिए वो उसके खिलाफ कुछ नहीं बोलते.

Justin Trudeau नवंबर 2015 में पहली बार canada के प्रधानमंत्री बने थे. इसके बाद वो वर्ष 2019 में एक बार फिर canada के प्रधानमंत्री बने. लेकिन वर्ष 2021 में Justin Trudeau ने मध्यावधि चुनावों की घोषणा कर दी. Justin Trudeau को ये लगा था कि कोरोना महामारी में Canada सरकार की सफलता, उन्हें एक बार फिर से सत्ता में भारी बहुमत से ले आएगी. लेकिन परिणाम इसका उल्टा हुआ. canada संसद में 338 सीटें हैं.

वर्ष 2021 चुनाव में Justin Trudeau की liberal Party की संख्या 177 से घटकर 157 रह गई थी. जबकि विपक्षी Conservative Party को 121 सीटें मिली थीं. canada की संसद में बहुमत के लिए 170 सीटें चाहिए होती हैं. यानी Justin Trudeau को वर्ष 2019 की तरह बहुमत नहीं मिला था. सरकार बनाने के लिए वो पूरी तरह से canada की New Democratic Party पर निर्भर हो गए हैं. New Democratic Party ने 2021 में 24 सीटें जीती थीं. New Democratic Party के मुखिया एक सिख है, जिसका नाम है जगमीत सिंह धालीवाल.

जगमीत सिंह, एक खालिस्तानी समर्थक है. वो khalistan referendum का समर्थन करता आया है. किसान आंदोलन में भी जगमीत सिंह ने कई भड़काऊ ट्वीट किए थे. Justin Trudeau सरकार को जगमीत सिंह धालीवाल का समर्थन हासिल है, इसीलिए Justin Trudeau, खालिस्तान और भारत के टुकड़े करने की सोच रखने वालों का विरोध नहीं कर पाते.

Justin Trudeau, खालिस्तान का विरोध इसलिए भी नहीं कर पाते हैं, क्योंकि आने वाले चुनाव में उन्हें इस विचारधारा के लोगों का समर्थन चाहिए. दरअसल Justin Trudeau की छवि अपने ही देश में लगातार खराब होती गई है. इसी महीने Angus Reid Institute के एक सर्वे में पता चला है कि canada के तरेसठ प्रतिशत लोग, Justin Trudeau पर भरोसा खो चुके हैं. इसी survey में 30 प्रतिशत लोगों ने माना है कि Justin Trudeau, पिछले 50 वर्षों के सबसे खराब प्रधानमंत्री हैं.

इस सर्वे में ये भी पता चला है कि Justin Trudeau की Liberal party, अपने विपक्षी Conservative Party से पीछे चल रही है. यही वजह है कि Justin Trudeau, भारत को बदनाम करके, खालिस्तानी समर्थकों को अपने तरफ करने की योजना पर काम कर रहे हैं. अगले वर्ष canada में आम चुनाव होने हैं, इसीलिए खालिस्तानी विचारधारा का समर्थन करके, वो अपनी rating सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. Justin Trudeau के 157 सांसदों में से 13 सांसद सिख समुदाय से हैं.

इन सिख सांसदों में से 4 सिख सांसद, Justin Trudeau की कैबिनेट में भी शामिल हैं. यानी एक तरह से Justin Trudeau की Liberal party सरकार में सिखों की एक अलग मजबूत लॉबी है. इस समय canada की संसद में कुल 18 सिख सांसद हैं. Justin Trudeau की Liberal party, canada में बसे भारतीय सिख समुदाय को अपना votebank मानती हैं. canada के संसद में भी सिख सांसदों की संख्या बढ़ी है. canada में सिख समुदाय का प्रभाव क्या है, ये भी आपको बताना जरूरी है. canada में अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद, सबसे ज्यादा बोली जाने वाली आधिकारिक भाषा पंजाबी है. वर्ष 2021 की जनगणना के हिसाब से canada में 2.1 प्रतिशत सिख आबादी है. canada में करीब साढ़े 7 लाख सिख रहते हैं.

हालांकि canada की राजनीति में सिखों का प्रभाव, अपनी आबादी की तुलना कहीं ज्यादा है. इसकी कई वजह हैं. जैसे- पहली वजह ये है कि canada में सिख समुदाय एक मजबूत votebank है. दरअसल canada में ज्यादातर वोटर जाति, धर्म या समुदाय के नाम पर वोट नहीं करते हैं, वो लोग स्थानीय मुद्दों को महत्व देते हैं. लेकिन कुछ समुदाय ऐसे भी हैं, जो एक साथ वोट करते हैं.canada का सिख समुदाय बहुत एकजुट है, इसीलिए चुनावों में ये समुदाय एक साथ किसी खास उम्मीदवार या पार्टी को वोट करता है.

दूसरी वजह ये है कि canada में सिख समुदाय की वजह से कई गुरुद्वारे हैं. वहां ज्यादातर गुरुद्वारों का संचालन, खालिस्तान समर्थक करते हैं. canada के गुरुद्वारों में बड़े पैमाने पर चंदा आता हैं. Justin Trudeau की Liberal party को उम्मीद है कि इन गुरुद्वारों से उनके चुनावी कैंपेन के लिए पैसा मिल सकता है. इसीलिए वो खालिस्तानी विचारधारा का विरोध नहीं करते.

तीसरी वजह ये है कि कनाडा का चुनावी सिस्टम अलग है. canada के चुनावी सिस्टम के हिसाब से अगर किसी उम्मीदवार को पार्टी का टिकट चाहिए, तो उसको अपने चुनाव क्षेत्र के कई मतदाताओं से समर्थन पत्र लेना होता है. जो भी उम्मीदवार ज्यादा समर्थन जुटा लेता है, उसे ही पार्टी की तरफ से टिकट दिया जाता है. canada का सिख समुदाय, एकजुट है, इसलिए कोई भी उम्मीदवार उनके क्षेत्र से समर्थन पत्र ला सकता है, बशर्ते वो सिख समुदाय के हिसाब से काम करे. Justin Trudeau भी ये बात जानते हैं.

ये वो कारण हैं, जो सिखों को canada में शक्तिशाली समुदाय बनाता है. Liberal party की सरकार चला रहे Justin Trudeau, की राजनीतिक गणित, सिख समुदाय से जुड़े हुई है. इसीलिए वो सिखों को नाराज नहीं करना चाहते हैं. भारत का विरोध करने वाले खालिस्तानी समर्थक भी, इस श्रेणी में शामिल हैं. Justin Trudeau इन खालिस्तानी समर्थकों को भी नाराज नहीं करना चाहते हैं. canada में सिख समुदाय का वहां की सरकार पर कितना प्रभाव है, ये हम आपको कुछ उदाहरण देकर समझाना चाहते हैं.

पहला उदाहरण है- canada में मंदिरों पर हुए हमले. पिछले करीब 2 वर्षों में canada के कई हिंदू मंदिरों पर 12 से ज्यादा हमले हो चुके हैं. इसमें ज्यादातर हमलावर खालिस्तानी समर्थक ही रहे हैं. इन मंदिरों पर भारत विरोधी नारे भी लिखे जाते रहे हैं. दूसरा उदाहरण है- भारतीय दूतावास पर हुए खुले हमले. भारतीय दूतावास पर भी खालिस्तानी समर्थकों ने कई हमले किए हैँ. इन घटनाओं की शिकायत भारत सरकार, canada से करती रही है, लेकिन इन शिकायतों पर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया.

तीसरा उदाहरण है- khalistan referendum पर समर्थन देना. canada सरकार, khalistan referendum को अभिव्यक्ति की आजादी मानती रही है, जबकि भारत सरकार इस पर विरोध जताती आई है. कई शिकायतों के बावजदू khalistan referendum पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई. चौथा उदाहरण है- भारत के किसान आंदोलन में Justin Trudeau की बयानबाजी.

किसान आंदोलन, भारत का आंतरिक मामला था. Justin Trudeau को अपने देश में सिख समुदाय का समर्थन हासिल करना था, इसीलिए उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया था. उन्होंने कहा था कि वो भारत के किसान आंदोलन को लेकर वो बहुत चिंतित है. आपको यहां बताना जरूरी है कि किसान आंदोलन में खालिस्तान से जुड़े कई पोस्टर भी नजर आए थे, जिसके बाद माना गया, कि इस आंदोलन को खालिस्तान का समर्थन हासिल है.

पांचवां उदाहरण है- canada की वर्ष 2005 की PUBLIC REPORT ON THE TERRORIST THREAT TO CANDA....इस रिपोर्ट में पहली बार बताया गया था कि खालिस्तान चरमपंथ, canada के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है. हालांकि इस रिपोर्ट का Justin Trudeau के सिख सांसदों ने कड़ा विरोध किया था. इन सिख सांसदों ने Justin Trudeau पर इस तरह से दबाव बनाया कि आखिरकार इस रिपोर्ट में ही बदलाव कर दिया गया.

अप्रैल 2019 में बैसाखी त्योहार में भाग लेने से पहले ट्रूडो सरकार ने एक नई report जारी की, जिसमें 'खालिस्तान' शब्द को हटा दिया गया. यहां आपको जानना जरूरी है कि वर्ष 2019 में ही कनाडा में चुनाव होने थे. और 2019 चुनाव में ही सबसे ज्यादा सिख सांसद, Justin Trudeau की Liberal party से ही जीते थे.

वैसे canada की राजनीति को वंशवाद के लिए नहीं जाना जाता है,लेकिन शायद Justin Trudeau canada के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो वंशवाद का उदाहरण हैं. खालिस्तानी विचारधारा के प्रति SOFT CORNER रखना, उन्हें अपने पिता से ही राजनीतिक विरासत के तौर पर मिला है. canada के पत्रकार TERRY MILEWSKI (टेरी मिलेव्स्की) ने वर्ष 2021 में एक किताब लिखी थी, जिसका नाम था, 'BLOOD-FOR BLOOD 50 YEARS OF THE GLOBAL KHALISTAN PROJECT'.

इसमें लिखा है कि वर्ष 1982 में जब इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं, और Justin Trudeau के पिता Pierre Trudeau (पियरे ट्रूडो) canada के प्रधानमंत्री थे. उस समय इंदिरा गांधी ने उनसे खालिस्तानी समर्थकों पर एक्शन लेने की बात कही थी. ये वो दौर था जब कई खालिस्तानी समर्थक, canada भाग रहे थे, क्योंकि भारत में इनके खिलाफ कड़ा एक्शन हो रहा था. लेकिन Justin Trudeau के पिता ने इंदिरा की अपील पर कोई कार्रवाई नहीं की थी, और canada ने कुछ साल बाद कनिष्क विमान हमले के तौर पर खामियाज़ा भी भुगता था, ये canada पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है.

वर्ष 1982 में इंदिरा गांधी ने कनाडा के प्रधानमंत्री Pierre Trudeau से बब्बर खालसा के आतंकी तलविंदर परमार को extradition की मांग की थी. तलविंदर पर दो भारतीय पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप था. लेकिन पियरे ट्रूडो ने इस मांग को खारिज करते हुए मज़ाक उड़ाया, उन्होंने कहा कि चूंकि भारत इंग्लैंड की रानी को सिर्फ कॉमनवेल्थ का अध्यक्ष मानता है, लेकिन भारतीय गणराज्य का मुखिया नहीं मानता है, इसलिए कनाडा और भारत के बीच में प्रत्यर्पण संधि नहीं है. इसीलिए हम तलविंदर सिंह को नहीं सौंप सकते. आगे चलकर बब्बर खालसा का यही आतंकी तलविंदर सिंह, कनिष्क विमान हमले का मुख्य साजिशकर्ता बना.

देखा जाए तो भारत में खालिस्तानी विचारधारा वाले लोग लगभग खत्म हो चुके हैं. लेकिन canada के प्रवासी सिख भारतीयों में अभी खालिस्तानी विचारधारा मौजूद है. canada के खालिस्तानी समर्थक कई दशक पहले canada पहुंचे थे. लेकिन तब से लेकर अब तक उन्होंने canada की नागरिकता तो ले ली, लेकिन उसे अपना देश नहीं माना, बल्कि वो खालिस्तान जैसे नए देश की परिकल्पना में जीवन बिता रहे हैं. इससे पता चलता है खालिस्तान समर्थकों में किसी देश के प्रति वफादारी नहीं हैं, बल्कि वो अपने किसी सपने में जी रहे हैं. हालाकि भारत के कड़े रूख के बाद अब जस्टिन ट्रूडो के तेवर ढीले पड़ने लगे है. जस्टिन ट्रूडो ने अब कहा है कि वो भारत को उकसाना और तनाव को बढ़ाना नहीं चाहते.

कनाडा की Justin Trudeau सरकार, खालिस्तानी प्रदर्शनों को लेकर कभी गंभीर नहीं रही, वो इसे अभिव्यक्ति की आजादी का नाम देती रही है. किसी भी लोकतंत्र में 'अभिव्यक्ति की आजादी' जरूरी है, इससे हम इनकार नहीं करते हैं.लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर भारत के 'टुकड़े' करने वाली विचारधारा को बढ़ावा देना, किसी भी तरह से हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं.

सच्चाई ये है कि Justin Trudeau, अपनी सत्ता बचाने के लिए किसी भी देश के खिलाफ कुछ भी बोल सकते हैं. ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिस खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप वो भारत पर लगा रहे हैं, उस मामले की जांच अभी चल रही है, रिपोर्ट नहीं आई है. कनाडा की जांच एजेंसियां, इस मामले में अभी किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची हैं. बावजूद इसके Justin Trudeau ने कनाडा की संसद में भारत पर हत्या का आरोप लगा दिया. इस जल्दबाजी का सीधा मतलब यही है कि वो चुनाव से पहले सिख समुदाय को अपने पाले में करना चाहते थे.

जहां तक बात अभिव्यक्ति की आजादी के सम्मान की है. तो हम आपको यहां दो ऐसे उदाहरण देने चाहते हैं, जिससे अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करने वाले Justin Trudeau की सच्चाई आपके सामने आ जाएगी. इसका पहला उदाहरण मिलता वर्ष 2016 से, जो ELBOW GATE के नाम से कुख्यात है. वर्ष 2016 में कनाडा की संसद में एक बिल पर वोटिंग होनी थी. लेकिन विपक्ष ने इस बिल पर और अधिक बहस करवाने जाने की मांग की. इसकी वजह से इस बिल पर वोटिंग में देरी हो गई. इस देरी की वजह से Justin Trudeau नाराज हो गए.

Justin Trudeau अपनी सीट से उठे और विपक्षी दल की तरफ जाकर विपक्षी सांसद GORD BROWN का हाथ पकड़कर, खींचते हुए ले जाने लगे, तभी विपक्ष की महिला सांसद RUTH ALLEN ने बीच बचाव की कोशिश की. तो ट्रूडो ने उन्हें कोहनी मारकर ढकेल दिया. कनाडा के संसद में Justin Trudeau की इस हरकत का काफी विरोध हुआ, लेकिन जल्दी ही वो अपनी गलती भांप गए. उन्होंने सदन से मांफी मांगी, जिसकी वजह से वो सदन की कार्रवाई से बच गए.

दूसरा उदाहरण मिलता है वर्ष 2022 के TRUCK PROTEST से. वर्ष 2022 में Justin Trudeau ने कनाडा से अमेरिका जाने वाले ट्रक ड्राइवर्स के लिए एक नया नियम निकाला, जिसके तहत हर ड्राइवर को कोरोना वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया था. कनाडा के ज्यादातर ड्राइवर सिख समुदाय से है. इस नियम का विरोध करते हुए इन ड्राइवर्स ने ओटावा शहर की सड़कों पर ट्रक लाकर छोड़ दिए थे. Justin Trudeau इस प्रदर्शन से इतने घबरा गए कि वो ओटावा शहर छोड़कर अपने गुप्त ठिकाने पर चले गए. यही नहीं इस विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री की आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग किया.

जिसके तहत प्रदर्शनकारियों की पहचान करते हुए, उनके बैंक अकाउंट तक सील कर दिए गए थे. इससे यही पता जब कनाडा में विरोध प्रदर्शन किसी अन्य देश की सरकार के खिलाफ होता है, तो Justin Trudeau उसे अभिव्यक्ति की आजादी कहते हैं, लेकिन जब यही विरोध प्रदर्शन उनके खिलाफ होता है, तो वो असहिष्णु हो जाते हैं और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते है.

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