'सभी विवादित मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहता है चीन, पड़ोसी मुल्कों से चाहते हैं दोस्ती'
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'सभी विवादित मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहता है चीन, पड़ोसी मुल्कों से चाहते हैं दोस्ती'

दक्षिण चीन सागर में पड़ोसियों के साथ चल रहे समुद्री विवाद की पृष्ठभूमि में वांग ने यह बयान दिया है. चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर मालिकाना हक का दावा करता है.

चीन के विदेश मंत्री वांग यि का कहना है कि क्षेत्रीय ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने में चीन सकारात्मक भूमिका निभाएगा. (फाइल फोटो)

बीजिंग: पड़ोसियों के साथ चल रहे भू-सीमा और समुद्री-सीमा विवादों के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यि का कहना है कि क्षेत्रीय ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने में चीन सकारात्मक भूमिका निभाएगा और विवादों को वार्ता के जरिए हल करेगा. वांग ने कहा कि चीन पड़ोसी एवं विकासशील देशों के साथ मित्रता तथा सहयोग को बढ़ावा देगा. बीजिंग में रहने वाले राजनयिकों के लिए मंगलवार (30 जनवरी) को आयोजित नए साल के भोज के दौरान विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘चीन क्षेत्रीय ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने में सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा. वह वार्ता और सलाह के जरिए विवादों और संघर्षों को हल करने को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा.’’ 

  1. अरुणाचल प्रदेश में दोनों देशों के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं.
  2. डोकलाम पर 72 दिनों तक चला था भारत-चीन में विवाद.
  3. डोकलाम को चीन अपना हिस्सा बताता है.

दक्षिण चीन सागर में पड़ोसियों के साथ चल रहे समुद्री विवाद की पृष्ठभूमि में वांग ने यह बयान दिया है. चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर मालिकाना हक का दावा करता है. यहां तक कि वह चीन की मुख्य भूमि से करीब 800 मील की दूरी पर स्थित द्वीपों पर भी अपना हक जमाता है. हालांकि फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम जैसे पड़ोसियों को चीन के इन दावों से आपत्ति है. वांग ने कहा कि वर्ष 2018 में भी चीन ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) को प्रोत्साहित करेगा.

चीनी थिंक टैंक ने भी माना पीएम मोदी का लोहा, कहा- पहले से ज्यादा मजबूत हुई भारत की विदेश नीति

वहीं दूसरी ओर चीन सरकार द्वारा संचालित एक जाने माने थिंक टैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि मोदी सरकार के तहत भारत की विदेश नीति चुस्त अैर निश्चयपूर्ण हो गई तथा साथ ही उसकी जोखिम लेने की क्षमता भी उभार पर है. चीनी विदेश मंत्रालय से संबद्ध थिंक टैंक चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (सीआईआईएस) के उपाध्यक्ष रोंग यिंग ने कहा कि विगत तीन साल में भारत की कूटनीति चुस्त और निश्चयपूर्ण हो गई है तथा इसने एक विशिष्ट एवं अद्वितीय ‘‘मोदी सिद्धांत’’ स्थापित किया है, जो नई स्थिति में एक महान शक्ति के रूप में भारत के उभार के लिए है. सीआईआईएस पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में रोंग ने चीन, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंधों, अमेरिका तथा जापान के साथ भारत के करीबी संबंधों पर समीक्षात्मक नजरिया पेश करते हुए कहा कि मोदी के तहत भारत की विदेश नीति पारस्परिक लाभों की पेशकश करते हुए अधिक निश्चयपूर्ण हो गई है.

मोदी सरकार पर अब तक चीनी थिंक टैंक का यह अपनी तरह का पहला लेख है. रोंग भारत में चीन के राजनयिक के रूप में भी काम कर चुके हैं. भारत-चीन संबंधों पर रोंग ने कहा कि जब से मोदी सत्ता में आए हैं तब से दोनों देशों के बीच पूर्ण संबंधों के विकास ने ‘‘नियमित गति’’ बरकरार रखी है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत-चीन सीमा पर सिक्किम क्षेत्र में डोंगलांग (डोकलाम) घटना ने न सिर्फ सीमा विवाद को रेखांकित किया है, बल्कि दोनों देशों के बीच कुछ समय के लिए संबंधों को जोखिम में डाल दिया.’’ रोंग सीआईआईएस में वरिष्ठ रिसर्च फेलो भी हैं. उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे के विकास के लिए पारस्परिक समर्थन की रणनीतिक आम सहमति रखनी चाहिए.

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