अपने सैनिकों की कदकाठी से परेशान चीन (China) अब उनके जीनोम को बदलने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए वह गुपचुप तरीके से CRISPR नाम की ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिसके कामयाब होने के बाद चीन के सैनिक सुपर सोल्जर बन जाएंगे.
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नई दिल्ली: अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने चीन (China) के बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. चीन साइंस फिक्शन फिल्म की तर्ज पर अपने सैनिकों के अंदर डीएनए जीनोम बदलाव कर वह उन्हें ज़्यादा शक्तिशाली और मजबूत बनाने वाले प्रयोग कर रहा है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक चीन अपने सैनिकों पर प्रयोग कर उन्हें जैविक रूप से संवर्धित सैनिक बनाने के काम में जुटा हुआ है.
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के निदेशक जॉन रैटक्लिफ़ ने दावा किया है कि चीन (China) इस समय अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों पर बायोलॉजिकल प्रयोग कर उन्हें सुपर ह्यूमन बनाने का काम कर रहा है. चीन का उद्देश्य पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करना है. पिछले वर्ष दो अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अपने रिसर्च में लिखा था कि चीन इस समय बायो-टेक्नोलॉजी (Biotechnology) के रणक्षेत्र में इस्तेमाल करने पर काम कर रहा है. वह मानव कोशिका में जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर उन्हें आम इंसान से मजबूत इंसान बनाने की फिराक में है. इससे सैनिकों के घाव जल्दी भरने लगेंगे और वे कम या बिना खुराक के लंबे समय तक लड़ने में सक्षम होंगे. वे दुर्गम क्षेत्रों में भी आसानी से युद्ध लड़ सकेंगे, जो आम इंसानों की परिधि से बहुत आगे होगा.
इन शोधकर्ताओं ने लिखा कि विशेष तौर पर चीन (China) “क्राइस्पर” (CRISPR) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है जिसका पूरा नाम “ clusters of regularly interspaced short palindromic repeats” है. अभी तक दुनिया में इस तकनीक का इस्तेमाल वंशानुगत बीमारियों का इलाज करने और पौधों की उपज बढ़ाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन पश्चिम के वैज्ञानिकों ने नैतिकता के हवाले से इस तकनीक का इस्तेमाल स्वस्थ मानवों पर उनकी शक्ति बढ़ाने के लिये नहीं किया. लेकिन चीनी सरकार इस तकनीक का इस्तेमाल अपने सैनिकों को सुपर सोल्जर बनाने के लिए कर रही है.
हालांकि अभी तक जीनोम तकनीक का इस्तेमाल कर इंसानों को सुपर ह्यूमन बनाने की बात कपोल कल्पनाओं तक ही सीमित है. लेकिन जानकारों की मानें तो चीन (China) जल्दी ही इसे पूरा भी कर लेगा. सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी के चीनी रक्षा तकनीक विभाग में कार्यरत एल्सा कानिया के मुताबिक चीनी रक्षा शोधकर्ता इस दिशा में तेज़ी से काम कर रहे हैं. अमेरिकी नौसेना अधिकारी और चीनी मामलों के जानकार विल्सन वोर्नडिक शोधकर्ता एल्सा की इस बात से सहमति जताते हैं. विल्सन के अनुसार चीनी सैन्य वैज्ञानिक और रणनीतिकार इस बात को शिद्दत से मानते हैं कि बायो-टेक्नोलॉजी (Biotechnology) में अपार संभावनाएं हैं, जो भविष्य की युद्धनीतियों में जबर्दस्त बदलाव लाएंगी. इसीलिए चीनी वैज्ञानिक लगातार बायो-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
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इन अमेरिकी शोधकर्ताओं ने वर्ष 2017 के एक चीनी (China) जनरल की बात के हवाले से बताया कि आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी, सूचना और नैनो प्रौद्योगिकी को आपस में जोड़कर हथियारों, औजारों और युद्ध स्थलों के क्षेत्र में काम किया जाना चाहिए. इससे आने वाले समय में युद्ध जीतने और दुश्मनों को बर्बाद करने में काफी मदद मिलेगी.
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