भारतीय सीमा के पास चीनी सेना ने डाला डेरा, खुद को दुनिया की ताकतवर तोपों से किया लैस
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भारतीय सीमा के पास चीनी सेना ने डाला डेरा, खुद को दुनिया की ताकतवर तोपों से किया लैस

चीनी सैन्य विश्लेषकों के हवाले से बताया गया कि नये उपकरण पीएलसी-81 वाहनों पर लगे होवित्जर हैं.

चीन की आधिकारिक मीडिया ने मंगलवार को यह खबर दी.(फाइल फोटो)

बीजिंग: भारत की सीमा से सटे तिब्बत में हल्के भार वाले युद्धक टैंक शामिल किए जाने के बाद अब चीनी सेना ने वहां तैनात अपने सैनिकों की युद्ध क्षमता को सुधारने के लिए ऐसे वाहनों पर लगाई गई होवित्जर तोपों से लैस कराया है जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है. चीन की आधिकारिक मीडिया ने मंगलवार को यह खबर दी. ग्लोबल टाइम्स समाचारपत्र की खबर के मुताबिक तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र में तैनात चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) को सचल होवित्जर उपलब्ध कराए गए हैं जिसका मकसद सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिए सैनिकों की युद्ध क्षमता को सुधारना है.

खबर में चीनी सैन्य विश्लेषकों के हवाले से बताया गया कि नये उपकरण पीएलसी-81 वाहनों पर लगे होवित्जर हैं. इसमें बताया गया कि यह घोषणा पीएलए ग्राउंड फोर्स के वीचैट अकाउंट से जारी एक लेख में शनिवार को की गई. खबर में बताया गया कि चीन-भारत के बीच 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान तिब्बत में एक आर्टिलरी ब्रिगेड ने इसका इस्तेमाल किया था.

सैन्य विशेषज्ञ एवं टीवी कमंटेटर सोंग झोंगपिंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि होवित्जर करीब 50 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती है और वह लेजर एवं उपग्रह निर्देशित मिसाइलों को मार गिरा सकती है.

73 दिन आमने-सामने रही थी भारत-चीन की सेनाएं
आपको बता दें कि इससे पहले भारत-चीन सबंधों में 2018 में सद्भाव देखने को मिला. जहां 2017 में दोनों देशों के बीच डोकलाम में एक बड़ा सैन्य गतिरोध उत्पन्न हो गया था, इस साल दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक हुई और इससे एशिया के दो बड़े देशों के बीच तनाव कम करने में मदद मिली.

वर्ष 2017 में भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में 60 अरब डालर वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के साथ ही डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहने के चलते कड़वाहट आ गई थी. सीपेक 'बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव' (बीआरआई) का एक हिस्सा है जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसका उद्देश्य विदेश में चीन का प्रभाव बढ़ाना है.

इनपुट भाषा से भी 

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