जलवायु परिवर्तन पर आई रिपोर्ट फिर डरा देगी.. आखिर 2030 तक कौन खर्च करेगा इतने पैसे?
Advertisement
trendingNow12514810

जलवायु परिवर्तन पर आई रिपोर्ट फिर डरा देगी.. आखिर 2030 तक कौन खर्च करेगा इतने पैसे?

Fund For Earth: अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त विशेषज्ञों के अनुसार यह धन सार्वजनिक और निजी दोनों स्रोतों से एकत्र किया जाना चाहिए. क्या ऐसा है कि अमीर देश अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देने में देरी कर रहे हैं. इसे समझना जरूरी है. (Photo: AI)

जलवायु परिवर्तन पर आई रिपोर्ट फिर डरा देगी.. आखिर 2030 तक कौन खर्च करेगा इतने पैसे?

Climate Change Report: जलवायु परिवर्तन को लेकर आए दिन चौंकाने और डराने वाली रिपोर्ट्स सामने आती रहती हैं. इसी कड़ी में अजरबैजान में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में शामिल वार्ताकारों को दुनिया भर में बढ़ते तापमान से निपटने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2030 तक प्रति वर्ष एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. यह संदेश बृहस्पतिवार को जारी की गई इंडिपेंडेंट हाई-लेवल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन क्लाइमेट फाइनेंस आईएचएलईजी की नई रिपोर्ट में दिया गया है. 

खरबों डॉलर की तत्काल आवश्यकता

यह रिपोर्ट जर्मनी, कनाडा, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देशों द्वारा यह स्वीकार किए जाने के एक दिन बाद जारी की गई है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खरबों डॉलर की तत्काल आवश्यकता है और अमीर देशों को जलवायु वित्त मुहैया कराने में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए. सम्मेलन में शामिल देशों ने 2025 के बाद विकासशील देशों के लिए एक नए जलवायु वित्त पैकेज पर बातचीत शुरू की है. इस बीच, रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि 2030 से पहले निवेश में कोई कमी आई, तो इससे आने वाले वर्षों में अतिरिक्त दबाव पड़ेगा, जिससे जलवायु स्थिरता हासिल करना और वित्तीय बोझ को संभालना और भी मुश्किल हो जाएगा.

और भी बड़ी राशि जुटानी पड़ेगी

रिपोर्ट में यह भी आगाह किया गया है कि अब पर्याप्त निवेश नहीं होने का मतलब है कि महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कम समय में और भी बड़ी राशि जुटानी पड़ेगी. जलवायु कार्यकर्ता और जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के वैश्विक कार्यक्रम निदेशक हरजीत सिंह ने कहा, "बार-बार यह चेतावनी दी गई है कि निष्क्रियता से खर्च बढ़ेगा और जलवायु स्थिरता का मार्ग कठिन होगा. फिर भी अमीर देश अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देने में देरी कर रहे हैं.

सालाना 6.3 - 6.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक जलवायु कार्रवाई के लिए 2030 तक सालाना 6.3 - 6.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है जबकि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए 2.4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष की जरूरत है. रिपोर्ट के अनुसार, इस लिहाज से देखा जाए तो दुनिया में बढ़ते तापमान से निपटने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में विकासशील देशों की मदद के लिए 2030 तक प्रति वर्ष एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाने की जरूरत है. agency input

Trending news