Italy के Presena Glacier को कपड़े से ढक रहे हैं Climate Experts, टूटने का है खतरा
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Italy के Presena Glacier को कपड़े से ढक रहे हैं Climate Experts, टूटने का है खतरा

क्‍लाइमेट चेंज (Climate Changes) के कारण पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है. उत्तरी इटली के प्रेसेना ग्लेशियर को पिघलने से रोकने के लिए कपड़े से ढकना पड़ रहा है. 1.2 लाख वर्ग मीटर के ग्‍लेशियर (Glacier) को ढकने में एक महीने का समय लगेगा. 

इटली का ग्‍लेशियर (फोटो: रॉयटर्स)

इटली: जलवायु में तेजी से हो रहा परिवर्तन और बढ़ता तापमान (Rising Temperature) बड़े खतरे पैदा कर रहे है. ग्‍लेशियर्स (Glaciers) की बर्फ पिघल रही है, समुद्रों का जल स्‍तर बढ़ रहा है, दुनिया की सबसे ठंडी जगहों के लोग गर्मी में झुलस रहे हैं. यह हालात प्रकृति के आने वाले प्रकोप की बड़ी आहट हैं. क्‍लाइमेट चेंज का एक और चिंताजनक मामला इटली (Italy) में सामने आया है. यहां का एक ग्‍लेशियर तेजी से सिकुड़ रहा है, उसे टूटने से रोकने के लिए विशेषज्ञ कई कोशिशें करने में जुटे हुए हैं. 

  1. कपड़े से ढकना पड़ रहा है पूरा ग्‍लेशियर 
  2. तेजी से पिघल रही है बर्फ 
  3. जल्‍द टूट सकता है ग्‍लेशियर, मच जाएगी तबाही 

कपड़े से ढक रहे बर्फ के पहाड़ 

उत्तरी इटली का प्रेसेना ग्लेशियर (Presena Glacier) तेजी से पिघल रहा है और जल्‍द ही इसके टूटने का खतरा पैदा हो गया है. जाहिर है इस ग्‍लेशियर का टूटना बड़ी तबाही ला सकता है. लिहाजा जलवायु विशेषज्ञ (Climate Experts) अब इस ग्‍लेशियर को कपड़े की लंबी पट्टियों से ढक रहे हैं. कपड़े की यह पट्टियां खास तकनीक से बनाई गई हैं, यह सूर्य की गर्म किरणों को रिफ्लेक्‍ट करेंगी, ताकि कपड़े के नीचे की बर्फ न पिघले. विशेषज्ञों का कहना है कि यह सुरक्षात्‍मक आवरण (Protective Cover) 70 फीसदी बर्फ को पिघलने से रोकेगा. 

यह कवर वैसे ही काम करेगा जैसे कार की विंडो पर सिल्‍वर रिफ्लेक्टिव गार्ड लगाए जाते हैं, ताकि कार के अंदर का तापमान नियंत्रित रहे. 

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1 महीने में ढक पाएंगे ग्‍लेशियर 

ग्लेशियर को ढकने का यह काम कम से कम एक महीने का समय लेगा. 2008 से हर साल इस ग्‍लेशियर को गर्मी के मौसम में पिघलने से बचाने के लिए इसी तरह ढका जा रहा है. 1.2 लाख वर्ग मीटर का यह ग्‍लेशियर 5 मीटर चौड़ी और 70 मीटर लंबी कपड़े की कई पट्टियों से ढका जाता है. 

मच सकती है भारी तबाही 

ट्रेंटो साइंस म्‍यूजियम के ग्लेशियोलॉजिस्ट क्रिश्चियन कैसरोटो कहते हैं, 'ग्लेशियर का इस तरह पिघलना ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अहम संकेत है. पिछले 15-20 सालों से ग्लेशियर पिघलता जा रहा है. हम किस दिशा में जा रहे हैं और उसके कारण पैदा हुई स्थितियों को कैसे ठीक किया जा सकता है, इसे जानने के लिए ग्लेशियर्स का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है.'

उन्‍होंने आगे कहा, 'अब यह हम इंसानों पर निर्भर करता है कि हम पर्यावरण को किसी भी तरह उन हालातों से बचाएं जिनके लिए हम जिम्मेदार हैं. यदि हम अभी इन स्थितियों को सुधारने के लिए काम नहीं करते हैं, तो हम और ज्‍यादा तबाही देखेंगे. जबकि अभी ही जंगल की आग और बाढ़ से कई देशों में हालात बहुत खराब हैं.' 

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