क्या कोरोना महामारी (Coronavirus) की तीसरी लहर पहले से भी ज्यादा विनाशकारी होगी? इस पर मेडिकल एक्सपर्टों ने अपनी राय दुनिया के सामने पेश की है.
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वॉशिंगटन: क्या कोरोना महामारी (Coronavirus) की तीसरी लहर पहले से भी ज्यादा विनाशकारी होगी? क्या इसके लिए लोगों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत पड़ने वाली है? यह सवाल इन दिनों भारत से लेकर ब्रिटेन- अमेरिका तक तैर रहा है.
अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज (NIAID) के निदेशक एंथनी फाउची (Anthony Fauci) ने कहा कि शायद सालभर के भीतर ही बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत पड़ जाए. उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में बूस्टर डोज काफी अहम होगी. अमेरिका की दवा कंपनी फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बाउर्ला ने भी कहा कि अगले 8 से 12 महीने में वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है. फाइजर ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है.
बताते चलें कि दुनिया के ज्यादातर देशों में फिलहाल थोड़े अंतराल पर कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की दो डोज दी जा रही हैं. इन दोनों को कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ प्राइम डोज कहा जा रहा है. अगर इसके बाद भी महामारी पर काबू नहीं पाया जा सका और एंटी बॉडी बनाने के लिए कोई तीसरी डोज लगवाने के लिए कहा जाए तो उसे बूस्टर डोज (Booster Dose) कहा जाएगा.
बूस्टर डोज एक खास तरीके पर काम करते हैं, जिसे इम्युनोलॉजिकल मैमोरी कहते हैं. हमारा इम्यून सिस्टम उस वैक्सीन को याद रखता है, जो शरीर को पहले दी जा चुकी हो. ऐसे में तयशुदा समय के बाद वैक्सीन की छोटी खुराक यानी बूस्टर (Booster Dose) का लगना इम्यून सिस्टम को तुरंत सचेत करता है और वो ज्यादा बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया करता है.
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कोरोना महामारी (Coronavirus) में इन दिनों वायरस लगातार म्युटेट होकर संक्रामक हो रहा है. ऐसे में पुराने डोज से बनी एंटी बॉडी भी कई बार काम नहीं कर पाती. तब म्युटेट हुए वायरस को रोकने के लिए बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत पड़ जाती है.
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