बुर्किना फासो: सेना ने राष्ट्रपति को बताया नाकारा, टीवी पर आकर कहा-‘मुल्क पर अब हमारा कब्जा’
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बुर्किना फासो: सेना ने राष्ट्रपति को बताया नाकारा, टीवी पर आकर कहा-‘मुल्क पर अब हमारा कब्जा’

राष्ट्रपति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए बुर्किना फासो की सेना ने मुल्क पर कब्जा कर लिया है. सेना के अधिकारियों ने स्टेट टेलीविजन पर आकर तख्तापलट की घोषणा की. इस दौरान, उन्होंने राष्ट्रपति की नाकामियों का भी जिक्र किया. 

फोटो: ट्विटर

औगाडोउगोउ: बुर्किना फासो (Burkina Faso) में सेना ने तख्तापलट कर दिया है. सेना ने राष्ट्रपति (President) को बंधक बना लिया है और संसद को भंग कर दिया. सैन्य अधिकारियों ने सोमवार को स्टेट टेलीविजन पर कहा कि सेना ने मुल्क को अपने कब्जे में ले लिया है. सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं. अधिकारियों ने जनता को भरोसा दिलाया है कि उचित समय पर संवैधानिक व्यवस्था में वापसी की जाएगी, लेकिन ये उचित समय कब आएगा इसकी कोई जानकारी नहीं है.

  1. बुर्किना फासो की सेना ने निलंबित किया संविधान
  2. राष्ट्रपति रोच काबोरे पर लगाए कई आरोप
  3. 2015 से ही सत्ता पर काबिज थे काबोरे 

सेना ने कार्रवाई का किया बचाव

हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, इससे पहले, सेना की तरफ से कहा गया था कि राष्ट्रपति रोच काबोरे (Roch Kabore) को बंधक बना लिया गया है और संविधान को निलंबित कर दिया गया है. सेना ने तख्तापलट को सही करार देते हुए कहा कि काबोरे सभी मोर्चों पर नाकाम रहे. उनके कार्यकाल में सुरक्षा व्यवस्था बदहाल हो गई थी. वो पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र को एकजुट करने में नाकाम रहे इस्लामिक विद्रोहियों से भी नहीं निपट पाए.

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रविवार से ही बिगड़ गए थे हालात 

सेना का कहना है कि टेकओवर शांतिपूर्ण ढंग से किया गया और गिरफ्तार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है. बता दें कि रविवार रात और सोमवार तड़के तक राष्ट्रपति आवास के पास गोलीबारी की आवाज सुनाई दीं और संघर्ष होते देखा गया था. सरकारी टेलीविजन आरटीबी के कार्यालय के सामने भी भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किया गया था.

इस वजह से बढ़ रहा था गुस्सा

लड़ाई रविवार को तब शुरू हुई जब राजधानी औगाडोउगोउ के लामीजाना सौगोउले के सैन्य बैरक पर सैनिकों ने कब्जा कर लिया. विद्रोही सैनिकों का समर्थन करने के लिए लोगों ने शहर में दाखिल होने की कोशिश की लेकिन उनका सामना सुरक्षा बलों द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोलों से हुआ. गौरतलब है कि देश में इस्लामी चरमपंथ से सरकार के निपटने के तौर-तरीकों को लेकर राष्ट्रपति के खिलाफ भारी असंतोष था. रविवार को राष्ट्रपति काबोरे के इस्तीफे को लेकर भारी प्रदर्शन किया गया था, जिसके बाद विद्रोह की यह घटना हुई.

पहले ही बन गई थी बगावत की योजना

काबोरे 2015 से राष्ट्रपति थे और नवंबर 2020 से उनके खिलाफ गुस्सा बढ़ गया था. लोग देश में जिहादी हिंसा से निपटने में कथित अक्षमता की वजह से उनसे नाराज हैं. देश में अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के हमले बढ़ रहे हैं. इन हमलों में अब तक हजारों लोगों की मौत हुई है और करीब 15 लाख लोग विस्थापित हए हैं. इस दौरान सेना को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. आक्रोशित बागी सैनिकों ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा कि सरकार, क्षेत्र में कार्य कर रहे सुरक्षा बलों से कट गई है और उनके साथी मर रहे हैं, इसलिए वे देश में सैन्य शासन चाहते हैं. एक बागी सैनिक ने कहा कि करीब 100 सैनिकों ने अगस्त में ही बगावत की योजना बना ली थी.

 

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