Tony DeLuca: प्रत्‍याशी नहीं है 'जिंदा' फिर भी जीता अमेरिकी चुनाव, बाइडेन की पार्टी से ठोकी थी दावेदारी
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Tony DeLuca: प्रत्‍याशी नहीं है 'जिंदा' फिर भी जीता अमेरिकी चुनाव, बाइडेन की पार्टी से ठोकी थी दावेदारी

Dead Tony DeLuca won US Elections: अक्टूबर में एंथनी की मौत होने तक काफी देर हो चुकी थी, उनकी जगह दूसरा उम्मीदवार उतारना संभव नहीं था. ऐसे में उनके नाम पर ही चुनाव हो गया और वो जीत भी गए. जबकि भारत में किसी भी एक पार्टी के कैंडिडेट की मौत होने पर चुनाव रोक दिए जाते हैं.

फाइल

US Midterm Poll result 2022 Tony DeLuca: अमेरिका में मध्यावधि चुनावों (Midterm Election 2022) में एक हैरान करने वाला नतीजा सामने आया है. हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में एक ऐसा उम्मीदवार जीत गया है जिसकी पिछले महीने मौत हो चुकी है. जिस मृत उम्मीदवार ने ये चुनाव जीता है उनका नाम टोनी डिलूसा है जो पेन्सिलवेनिया (Pennsylvania) का एक जाना पहचाना नाम थे. 

प्रचंड बहुमत से जीता चुनाव

आपको बताते चलें कि टोनी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की पार्टी से चुनाव लड़े थे और पिछले महीने वोटिंग से पहले 85 साल की आयु में उनका निधन हो गया था. पेंसिल्वेनिया में टोनी डीलुसा (Tony DeLuca) सबसे लंबे समय तक स्टेट रेप्रेंजेटेटिव रहे थे. निधन के बावजूद उनकी दावेदारी पर असर नहीं पड़ा. इस बार के मिडटर्म चुनाव में उनकी बंपर जीत हुई और वो फिर से पेंसिल्वेनिया के प्रतिनिधि (Pennsylvania State Representative) चुने गए. हैरान करने वाली बात यह है कि एंथनी को इस चुनाव में 85 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, वो भी तब जब सबको पता था कि पेंसिल्वेनिया में फिर से चुनाव कराए जाएंगे.

क्या कहता है कानून?

पेन्सिलवेनिया कानून कहता है कि एक बार बैलट पेपर छपने के बाद फिर उसमें प्रतिस्थापन उम्मीदवारों के नाम पर तत्काल कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. स्टेट के जिम्मेदार अधिरकारियों ने बताया कि टोनी के संसदीय क्षेत्र में उनकी मृत्यु के एक हफ्से से कुछ अधिक समय पहले मतपत्रों की छपाई शुरू हो गई थी. तकनीकि रूप से अब कोई बदलाव नहीं हो सकता था. इसलिए पेन्सिलवेनिया की हाउस डेमोक्रेटिक अभियान समिति ने घोषणा की थी कि फिलहाल चुनावी कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं होगा. कुछ लोगों ने कहा कि डेमोक्रेटिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए ये नतीजे गर्व करने वाले हैं.

यानी साफ है कि अक्टूबर में एंथनी की मौत होने तक काफी देर हो चुकी थी. भारत में किसी भी एक पार्टी के उम्मीदवार की मौत हो जाने पर चुनाव रोक दिए जाते हैं और नए सिरे से नामांकन करवाने के बाद ही चुनाव कराए जाते हैं. पेंसिल्वेनिया के केस में एंथनी को सबसे ज्यादा 85 प्रतिशत वोट मिले जबकि उनके बाद क्वेओनिया जारा लिविंग्स्टन को सिर्फ 14 फीसदी वोटों से संतोष करना पड़ा.

पहले भी हो चुका है ऐसा

पेंसिल्वेनिया के मामले की तरह एक और डेमोक्रेट नेता और टेनेसी के पूर्व राज्य प्रतिनिधि 93 साल के बारबरा कूपर ने भी अपनी मृत्यु के बाद चुनाव जीता था. इससे चार साल पहले रिपब्लिकन नेता और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी से मध्यावधि चुनाव लड़ चुके 72 साल के डेनिस होफ ने भी मिडटर्म इलेक्शन जीता था जो निवाडा का जाना पहचाना नाम थे.

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