3 मिनट की जूम कॉल में 900 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाली कंपनी से हो गई ये 4 बड़ी गलती
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3 मिनट की जूम कॉल में 900 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाली कंपनी से हो गई ये 4 बड़ी गलती

DNA Analysis of CEO fired over 900 employees over Zoom call: एक झटके में 900 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाली कंपनी ने इस मामले में जो 4 गलतियां की, वो ऐसा कदम उठाने वाली किसी कंपनी को नहीं करनी चाहिए.

3 मिनट की जूम कॉल में 900 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाली कंपनी से हो गई ये 4 बड़ी गलती

नई दिल्ली: जीवन में कई फैसले ऐसे होते हैं, जिन्हें लेने से पहले आपको कई बार विचार करना चाहिए. कई बार ये काम बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी होती हैं. उदाहरण के लिए जब कोई डॉक्टर किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज को ये बताता है कि उसके पास अब जीने के लिए ज्यादा दिन नहीं बचे है तो ये काम उस डॉक्टर के लिए भी बहुत मुश्किल होता है. इसी तरह जब आप किसी को बताते हैं कि आप उसके साथ अपना रिश्ता तोड़ रहे हैं तो सुनने वाले के साथ-साथ आपको भी दुख होता है और जब कोई Employer अपने कर्मचारियों को ये कहता है कि उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है तो ये काम भी आसान नहीं होता.

  1. कंपनी ने वीडियो कॉल पर 900 कर्मचारियों को निकाला
  2. खुद विक्टिम बनने की कोशिश कर रहे थे कंपनी के सीईओ
  3. जूम कॉल पर नौकरी से निकाला जाना ठीक नहीं

वीडियो कॉल पर 900 कर्मचारियों को निकाला

अमेरिका में एक कंपनी के सीईओ ने अपने 900 कर्मचारियों को जूम वीडियो कॉल पर एक झटके में नौकरी से निकाल दिया. इस कंपनी का नाम है Better.Com, जो ग्राहकों को ऑनलाइन लोन देती है. इस कंपनी के सीईओ हैं विशाल गर्ग, जिन्होंने अपने 900 कर्मचारियों के साथ एक वीडियो कॉल की और इस दौरान उनसे कहा कि जितने भी लोग इस कॉल में शामिल हैं. उन सबको नौकरी से निकाला जा रहा है, क्योंकि कंपनी के पास जरूरत से ज्यादा स्टाफ हो गया हैं और मार्केट में बने रहने के लिए ये फैसला जरूरी है. अगर आप भी एक कर्मचारी हैं तो ये वीडियो देखकर आज आप क्रोध से भर जाएंगे.

कॉर्पोरेट की दुनिया कितनी निर्दयी

900 लोगों और उनके परिवारों का जीवन विशाल गर्ग नाम के इस सीईओ ने एक झटके में बदल दिया. विशाल गर्ग भारतीय मूल के हैं और आजकल अमेरिका के कॉरपोरेट जगत में भारतीयों के बढ़ते कद की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है, लेकिन भारतीय मूल के इस अमेरिकन सीईओ ने जो किया उसने बता दिया कि कभी-कभी कॉर्पोरेट की दुनिया कितनी निर्दयी हो जाती है.

वीडियो

खुद विक्टिम बनने की कोशिश कर रहे थे विशाल

इस कंपनी ने जूम कॉल पर अपने 9 प्रतिशत कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निकालने का फैसला किया और कह दिया कि कंपनी को अब उनकी जरूरत नहीं है. ये ऐलान करते हुए विशाल गर्ग भी भावुक हो गए. उन्होंने ऐसा दिखाने की कोशिश की कि वो ये फैसला लेते हुए कितनी पीड़ा में है. यानी वो खुद विक्टिम बनने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आप इस भावुकता की सच्चाई भी देख लीजिए. इस सीईओ ने कुछ दिनों पहले एक ईमेल में अपने कर्मचारियों के लिए लिखा था.

विशाल ने ईमेल में क्या लिखा था

विशाल ने ईमेल में लिखा था, 'आप लोग जानते हैं कि कंपनी ने जिन ढाई सौ लोगों को नौकरी से निकाला है वो दिन में औसतन 2 घंटे भी काम नहीं करते थे, जबकि कंपनी उन्हें आठ घंटे काम करने के लिए तनख्वाह देती थी. ये लोग आप लोगों के हिस्से का और कंपनी के कस्टमर्स का पैसा ले रहे थे, जिनसे आप सबके घर चलते हैं.'

जूम कॉल पर नौकरी से निकाला जाना ठीक नहीं

ये बात सही है कि कंपनियां कर्मचारियों को उनके काम के बदले में पैसा देती हैं और इसमें कामचोरी की गुंजाइश नहीं होती, लेकिन इतने सारे लोगों को इस तरह जूम कॉल पर नौकरी से निकाला जाना ठीक नहीं है, वो भी तब जब अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों में लोग इस समय क्रिसमस और नया साल मनाने की तैयारी कर रहे हैं. साल के इस समय लोग बोनस की उम्मीद कर रहे होते हैं ना कि नौकरी से निकाले जाने की.

सीईओ ने पहले भी कर्मचारियों को ऐसे निकाला है

ये कंपनी चाहती तो इस फैसले को कुछ दिनों के लिए टाल सकती थी और निकाले जा रहे कर्मचारियों से बात करके बता सकती थी कि उनका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं है और उन्हें अपना परफॉर्मेंस सुधारने का मौका दे सकती थी, लेकिन बिना चेतावनी के इस कंपनी ने अपने 900 कर्मचारियों को सिर्फ 3 मिनट की वीडियो कॉल में नौकरी से निकाल दिया. इस कंपनी के सीईओ पर आरोप है कि उन्होने पहले भी कर्मचारियों को ऐसे ही नौकरी से निकाला है.

संवेदनाओं को किनारे रखने लगी हैं कंपनियां

किसी भी कर्मचारी को नौकरी से निकालना उस कंपनी के अधिकारियों के लिए आसान नहीं होता, लेकिन आज के दौर में बहुत सारी कंपनियां संवेदनाओं को किनारे रखने लगी हैं. पिछले हफ्ते ही हमने आपको बताया था कि कंपनियों को मुनाफे से ऊपर मानवीय संवेदनाओं को रखना चाहिए यानी People Over Profit की भावना को अपनाना चाहिए, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कंपनियों के जिद्दी और शोषण भरे रवैये के खिलाफ पूरी दुनिया में शुरू हुआ कर्मचारियों का आंदोलन और तेज रफ्तार पकड़ लेगा.

कुछ महीनों में जॉब छोड़ चुके हैं 4 करोड़ से ज्यादा लोग

अमेरिका में साल 2018 में 2 करोड़ 19 लाख लोगों को नौकरी से निकाला गया था, यानी हर रोज 60 हजार से ज्यादा लोग नौकरी से निकाले गए. लेकिन अब अमेरिका में ही पिछले कुछ महीनों में साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा लोग खुद अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे चुके हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपनी कंपनी के बॉस और अधिकारियों के शोषण पूर्ण रवैये से परेशान होकर ही इस्तीफा दिया था.

लॉकडाउन में भारत में गई थी 2.1 करोड़ नौकरियां

भारत में भी लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 के बीच 2 करोड़ 10 लाख नौकरी पेशा लोगों की जॉब्स चली गई थीं. इस हिसाब से हर रोज 1 लाख 46 हजार लोग नौकरियों से निकाले गए. कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि कंपनियों को छटनी करनी पड़ती है, लेकिन ऐसा करने के कुछ तरीके हैं. किसी को यू हीं रातों-रात उसकी नौकरी से नहीं निकाला जा सकता.

कंपनी से हो गई ये 4 बड़ी गलती

इसलिए एक झटके में 900 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाली कंपनी ने इस मामले में जो 4 गलतियां की, वो ऐसा कदम उठाने वाली किसी कंपनी को नहीं करनी चाहिए.

पहली गलती- कर्मचारी जब घर से काम कर रहे हो तो उन्हें नौकरी से निकाले जाने की जानकारी अचानक से इस तरह किसी वीडियो कॉल पर नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि उस कर्मचारी के घर के लोग, उसके बच्चे या माता पिता आस-पास हो. अगर वो ये बात सुनेंगे तो सोचिए उन्हें कैसा लगेगा.

दूसरी गलती- जब कोई अधिकारी किसी वीडियो कॉल पर कर्मचारियों को नौकरी से निकालता है तो ये भी ध्यान रखना चाहिए कि वो इनक्रिप्टेड (Encrypted) हो यानी उसमें कोई तीसरा व्यक्ति शामिल ना हो पाए या उस कॉल को रिकॉर्ड ना कर पाएं, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो भी ये पूरी प्रक्रिया वायरल हो सकती है और इससे कंपनी और कर्मचारी दोनों की छवि को नुकसान हो सकता है.

तीसरी गलती- नौकरी से निकाले जाने पर हर कर्मचारी अलग तरीके से प्रतिक्रिया देता है. वीडियो कॉल पर सब लोग एक दूसरे को देख रहे होते हैं. इसलिए ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सिर्फ सूचना देने वाले अधिकारी का कैमरा ऑन हो. बाकी सबके कैमरे ऑफ हों. ताकि कर्मचारियों को एक दूसरे के सामने शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े.

चौथी गलती- कोविड का ये दौर कर्मचारियों और कंपनियों दोनों के लिए मुश्किल है, लेकिन फिर भी ऐसे फैसले लेते हुए ईमानदारी और इंसानियत दिखाने की जरूरत होती है. अधिकारियों को ये भी बताना चाहिए कि कंपनी के जो उच्च अधिकारी हैं, क्या उन्हें भी नौकरी से निकाला जा रहा है या फिर उनकी तनख्वाह में कटौती की जा रही है. इसके अलावा कर्मचारियो के प्रति सहानुभूति रखते हुए उनके लिए सलाहकारों (Counselors) की व्यवस्था भी करनी चाहिए ताकि जिन लोगों को सदमा लगा है वो Counselors की मदद लेकर उससे उबर पाएं.

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