फाइजर कंपनी ने अर्जेंटीना की सरकार से कहा कि अगर उसे कोरोना की वैक्सीन चाहिए तो वो एक तो ऐसा इंश्योरेंस यानी बीमा खरीदे जो वैक्सीन लगाने पर किसी व्यक्ति को हुए नुकसान की स्थिति में कंपनी को बचाए.
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नई दिल्ली: हमारी सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को तो ये समझा दिया कि वो हमारे देश के कानून से ऊपर नहीं हैं. उन्हें सीमा में रह कर व्यापार करना होगा. लेकिन मुनाफे के लिए किसी देश से लड़ने वाली कंपनियों की लिस्ट में केवल टेक कंपनियां नहीं हैं. पूरी दुनिया में कारोबार करने वाली कंपनियां जिन्हें हम मल्टीनेशनल कंपनी के नाम से जानते हैं, वे भी बहुत खतरनाक होती जा रही हैं.
आज हम आपको दुनिया की एक ऐसी दवा कंपनी के बारे में सावधान करेंगे जो कोरोना बीमारी की वैक्सीन देने के नाम पर देश को बंधक बना रही है. इस कंपनी का नाम है, फाइजर. ये कंपनी दुनिया के गरीब देशों से कह रही है कि कोरोना की वैक्सीन चाहिए तो देश के दूतावास,सैनिक ठिकाने और अन्य सरकारी संपत्तियां उसके पास गिरवी रखें. ये सुनकर आपको पुरानी हिंदी फिल्मों के साहूकार याद आ गए होंगे जो गरीब किसानों को जरूरत पर पैसा देने के लिए खेत घर और जेवर गिरवी रख लेते थे और फिर उन्हें हड़प लेते थे. ये दवा कंपनी उस ईस्ट इंडिया कंपनी की याद भी दिलाती है, जिसने अपने व्यापार के लिए भारत को अंग्रेजों का गुलाम बना दिया था.
कोरोना काल में जब दुनिया एक महामारी से जूझ रही है तो यह कंपनी अपने मुनाफे के लिए गरीब देशों पर अधिकार जमाने के बिजनेस प्लान पर काम कर रही है. फाइजर दुनिया की 49वीं सबसे बड़ी कंपनी है. 170 साल पुरानी कंपनी की स्थापना 1849 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में हुई थी.
अब हम आपको ये बताते हैं कि फाइजर कंपनी क्या कर रही है. लैटिन अमेरिका जिसमें चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, डोमिनिकिन रिपब्लिक, इक्वाडोर, मेक्सिको, पनामा, पेरू, उरुग्वे, अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे देश आते हैं, जहां फाइजर कंपनी कोरोना से बचाने वाली वैक्सीन बेच रही है. ये बात यहां तक तो ठीक है पर इस व्यापार के लिए फाइजर ने इन देशों की मजबूरी का फायदा उठाया और दवा बेचने के लिए इन देशों को अपने कानून बदलने पर मजबूर कर दिया.
फाइजर कंपनी ने अर्जेंटीना की सरकार से कहा कि अगर उसे कोरोना की वैक्सीन चाहिए तो वो एक तो ऐसा इंश्योरेंस यानी बीमा खरीदे जो वैक्सीन लगाने पर किसी व्यक्ति को हुए नुकसान की स्थिति में कंपनी को बचाए. यानी अगर वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट होता है, तो मरीज को पैसा कंपनी नहीं देगी, बल्कि बीमा कंपनी देगी. जब सरकार ने कंपनी की बात मान ली, तो फाइजर ने वैक्सीन के लिए नई शर्त रख दी और कहा कि इंटरनेशनल बैंक में कंपनी के नाम से पैसा रिजर्व करे. देश की राजधानी में एक मिलिट्री बेस बनाए जिसमें दवा सुरक्षित रखी जाए. एक दूतावास बनाया जाए जिसमें कंपनी के कर्मचारी रहें ताकि उनपर देश के कानून लागू न हों.
पूरी दुनिया में वियना की संधि की वजह से दूसरे देश में रहने वाले राजदूतों पर उस देश के कानून लागू नहीं होते जहां उनकी नियुक्ति की जाती है.
इसी तरह ब्राजील के साथ भी फाइजर कंपनी ने वैक्सीन के बदले ऐसी ही तीन मुश्किल शर्तें रखी हैं. पहली शर्त, वैक्सीन का पैसा बैंक के इंटरनेशनल अकाउंट में जमा करना है. दूसरा ये कि साइड इफेक्ट्स होने पर कंपनी के ऊपर मुकदमा नहीं चलेगा और तीसरी शर्त ये कि ब्राजील अपनी सरकारी संपत्तियां कंपनी के पास गारंटी की तरह रखे. ताकि भविष्य में अगर वैक्सीन को लेकर कोई कानूनी विवाद हो तो कंपनी इन संपत्तियों को बेच कर उसके लिए पैसा इकट्ठा कर सके. ब्राजील ने इन शर्तों को मानने से मना कर दिया है.
ऐसी और इससे भी कठिन शर्तों के साथ फाइजर दुनिया के 100 गरीब देशों को अपनी 400 लाख कोरोना वैक्सीन बेचने के प्लान पर काम कर रही है और इससे वो 1,086 करोड़ रुपये कमाना चाहती है.
ब्राजील ने तो फाइजर की शर्तें मानने से मना कर दिया पर जो छोटे और गरीब देश हैं. उनके सामने ऐसी बड़ी कंपनियों के सामने झुकने के सिवा कोई रास्ता नहीं है.
संस्कारों का फर्क यहीं महसूस किया जा सकता है एक तरफ ऐसी लालची कंपनियां हैं जो बीमार और मजबूर लोगों का खून चूस कर कमाई करना चाहती हैं. वहीं दूसरी ओर भारत है जो दुनिया भर में 46 देशों को कोरोना की वैक्सीन भेज रहा है, जिसमें से 21 देशों को वैक्सीन का कुछ हिस्सा मुफ्त में भी दिया है. वैक्सीन पाने वाले देशों की लिस्ट में ब्राजील भी शामिल है. आप को याद होगा कि कुछ दिन पहले ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने भारत सरकार को वैक्सीन देने पर ट्वीट करके धन्यवाद दिया था जिसमें उन्होंने हनुमान जी की एक तस्वीर भी इस्तेमाल की थी जिसमें बजरंगबली संजीवनी बूटी के साथ उड़ते हुए दिखाए गए हैं.
कुछ दिन पहले ही WHO के प्रमुख ने दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने में भारत की भूमिका की तारीफ की थी.
वैसे तो पूरी दुनिया में भारत की पहचान एक बड़े दवाई निर्माता की है और कोरोना की वैक्सीन बनाने वाले देशों में भी हम आगे ही हैं फिर भी इन बड़ी कंपनियों से देश की रक्षा के लिए सरकार को अभी से कानूनी तैयारी कर लेनी चाहिए ताकि ये हमारी किसी मजबूरी का फायदा न उठा सकें.
दुनिया के किन देशों में वैक्सीन की एक डोज की क़ीमत क्या है. ये भी अब आपको बताते हैं.
-चीन में वैक्सीन की एक डोज की क़ीमत 2200 रुपये है, अमेरिका में 1400 रुपये, यूरोपियन यूनियन के 27 देशों में 1300 रुपये, रूस में 730 रुपये, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका में इसकी क़ीमत 390 रुपये है. लेकिन यहां समझने वाली बात ये है कि दुनिया में वैक्सीन के लिए सबसे कम क़ीमत भारत में ली जा रही है.
-भारत में Covishield और Covaxin दोनों वैक्सीन की एक Dose की क़ीमत मात्र 250 रुपये है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO को अब तक सबसे ज्यादा वैक्सीन देने वाला देश भारत है और WHO से सबसे ज्यादा वैक्सीन पाने वाला देश पाकिस्तान है. दोनों देश अंग्रेज़ों की गुलामी से एक साथ अगस्त 1947 में आज़ाद हुए. पाकिस्तान ने आज़ादी के बाद आतंकी गतिविधियों की फंडिंग पर जोर दिया. वहीं भारत ने साइंस पर और तकनीक के क्षेत्र में काम किया. नतीजा आज आपके सामने है. पाकिस्तान WHO से कोरोना की वैक्सीन मांग रहा है और भारत मुफ्त में WHO को वैक्सीन दे रहा है. WHO COVAX इनीशिएटिव के तहत गरीब देशों को वैक्सीन बांट रहा है. इस इनीशिएटिव के तहत देशों को मुफ्त वैक्सीन मिलती है और इसका सबसे बड़ा लाभार्थी यानी बेनिफिशियरी देश पाकिस्तान है. WHO मई तक पाकिस्तान को COVAX इनीशिएटिव के तहत 1 करोड़ 46 लाख से ज्यादा वैक्सीन देगा. पाकिस्तान के बाद दूसरे नंबर पर नाइजीरिया, तीसरे नंबर पर इंडोनेशिया, चौथे नंबर पर बंगलादेश और पांचवे नंबर पर ब्राज़ील जैसे वो देश हैं जो WHO के भरोसे हैं. लेकिन पहले नंबर पर पाकिस्तान हाथ फैलाए खड़ा है.
WHO के COVAX इनीशिएटिव के तहत वैक्सीन की पहली खेप भेजने वाला देश भारत है. इस इनीशिएटिव के तहत भारत अब तक WHO को वैक्सीन की 10 लाख से ज्यादा डोज दे चुका है. इस कदम के लिए WHO ने भारत की तारीफ की है.
Thanks & Prime Minister @narendramodi for supporting #VaccinEquity. Your commitment to #COVAX and sharing #COVID19 vaccine doses is helping 60+ countries start vaccinating their #healthworkers and other priority groups. I hope other countries will follow your example.
— Tedros Adhanom Ghebreyesus (@DrTedros) February 25, 2021
WHO के प्रमुख डॉ. टेड्रोस ने हाल ही में ट्वीट करके भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस कदम के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने ट्वीट किया कि Vaccine Equity का समर्थन करने के लिए भारत और भारतीय प्रधानमंत्री का धन्यवाद. COVAX और COVID-19 वैक्सीन डोज को साझा करने में आपकी प्रतिबद्धता की वजह से 60 से ज्यादा देशों को मदद मिली है. मुझे उम्मीद है कि अन्य देश आपके उदाहरण का अनुसरण करेंगे.