पेगासस की मदद से दुनियाभर के 14 बड़े नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी हुई, जिनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा का नाम भी शामिल है.
Trending Photos
नई दिल्ली: पेगासस जासूसी कांड पर भारत में बड़ा हंगामा मचा. आरोप लगे कि इजरायल की कंपनी एनएसओ के बनाए इस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कई महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी करवाई गई. तब इन लोगों ने एक सुर में भारत की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया और कहा कि मोदी सरकार सबकी जासूसी करवा रही है. लेकिन अब ये पता चला है कि इसी सॉफ्टवेयर के जरिए सिर्फ हमारे देश में नहीं, दुनिया के 14 बड़े नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों की भी या तो जासूसी की गई या जासूसी का प्रयास किया गया.
खबर है कि पेगासस की मदद से दुनियाभर के 14 बड़े नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी हुई, जिनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा का नाम भी शामिल है. इस लिस्ट में 7 नेता ऐसे हैं, जो अभी भी सरकारों में बने हुए हैं.
दावा है कि 50 हजार फोन नंबरों की जो लिस्ट जासूसी के लिए डेटाबेस में डाली गई, उसमें से बहुत सारे फोन नंबर के मालिकों को 'पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी में रखा गया. यानी ऐसे लोग जिनमें किसी न किसी की दिलचस्पी थी.
यहां Person Of Interest का मतलब एक ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति से है, जिसके बारे में हर बात कोई दूसरा व्यक्ति या सरकार जानना चाहती है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, लीक हो चुके इस डेटा बेस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दो फोन नंबर थे. इसी तरह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का भी एक फोन नंबर इस लिस्ट में शामिल था और उनके ये नंबर उस समय इस लिस्ट में आए, जब वो 2019 में अफ्रीकी देशों की यात्रा कर रहे थे.
अब आप सोचिए कि इमरान खान और इमैनुएल मैक्रों अपने-अपने देशों के सबसे बड़े नेता हैं और सरकार चलाने की जिम्मेदारी भी इनकी है, तो फिर इनके नंबरों की जासूसी कौन करा रहा होगा?
इस कहानी को आप करीब से समझेंगे तो पता चलेगा कि दुनियाभर की सरकारें, सुरक्षा एजेंसियां और राजशाही परिवार, सब एक दूसरे को शक की निगाह से देखते हैं.
उदाहरण के लिए मोरक्को के राजा किंग मोहम्मद (VI) और वहां के प्रधानमंत्री अल ओथमानी की जासूसी वहीं की सेना करा रही थी, जबकि मोरक्को पर आरोप है कि उसने फ्रांस के राष्ट्रपति की जासूसी कराने की कोशिश की थी.
यानी कूटनीति और राजनीति की दुनिया में सब एक दूसरे के खिलाफ मोहरे बिछा रहे हैं, लेकिन किसी को इसकी पीछे की मंशा नहीं पता.
हमारे देश में जो लोग इस जासूसी का आरोप भारत सरकार पर लगा रहे हैं. उन्हें भी ये खबर पढ़कर सोचना चाहिए कि हो सकता है कि उनकी जासूसी कोई और देश या कोई और व्यक्ति करा रहा हो.
कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि कोई ऐसी ताकत है, जो पूरी दुनिया के शक्तिशाली लोगों को जासूसी के जाल में फंसाना चाहती है और ये पता लगाया जाना जरूरी है कि ये ताकतें कौन हैं?