स्वेज नहर दुनिया के व्यापार में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है, जिससे एशिया से यूरोप की दूरी कम हो जाती है और अफ्रीका का चक्कर नहीं लगाना पड़ता. इससे 10 हजार किलोमीटर की दूरी कम होती है.
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नई दिल्ली: आप कभी न कभी ट्रैफिक जाम में जरूर फंसे होंगे और कई-कई किलोमीटर जाम का वीडियो देखा होगा. आसमान में भी ट्रैफिक जाम होता है. एयर ट्रैफिक जाम से प्लेन को लैंडिंग और टेक ऑफ करने में देरी होती है. लेकिन कभी आपने समुद्र में जाम को नहीं देखा होगा. आज हम आपको समुद्र में ट्रैफिक जाम की खबर के बारे में बताएंगे. यह ऐसा जाम है, जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था गिर सकती है और इजिप्ट गरीबी के कगार पर पहुंच सकता है और पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम बढ़ सकते हैं.
स्वेज नहर में 23 मार्च को एक कार्गो शिप फंस गया. इस शिप का नाम Ever Given है. इस शिप की वजह से स्वेज नहर में जाम लग गया है और दूसरे कई शिप यहां फंसे हुए हैं. कार्गो शिप 400 मीटर लंबा है यानी तीन फुटबॉल ग्राउंड के आकार जितना बड़ा. 20,000 कंटेनर्स के साथ फंसे इस शिप का वजन 18 करोड़ किलोग्राम हैं. यह 10 मंजिला घर से ज्यादा ऊंचा है.
स्वेज नहर में फंसे इस कार्गो शिप का वीडियो मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि, जाम से इजिप्ट को हर घंटे 2800 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. यानी एक दिन में 67 हजार 200 करोड़ रुपये. यह नुकसान इजिप्ट को मिलने वाले टोल टैक्स का है, जो वह इस नहर से गुजरने वाले हर शिप से वसूलता है. यह कंटेनर शिप ताईवान की शिपिंग कंपनी Evergreen Marine Corps के नाम रजिस्टर्ड है.
आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह शिप फंसा कैसे. इस मामले में स्वेज नहर प्रशासन का कहना है मंगलवार को यहां काफी तेज हवाएं चली थीं, जिससे विजिबिलिटी कम हो गई और यह जहाज, नहर के किनारों पर फंस गया. इसके बाद नहर ब्लॉक हो गई है. इसे छोटे शिप से आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसलिए कंटेनर्स को उतारा जा रहा है, जिससे यह कार्गो शिप हल्का हो जाए. असल में यह नहर 193 किलोमीटर लंबी है और 205 मीटर चौड़ी है. यानी इसकी चौड़ाई बहुत कम है. इस कारण से यहां दो शिप एक साथ नहीं गुजरती है. चीन का यह जहाज लंबा है और खराब मौसम के कारण फंस गया.
स्वेज नहर दुनिया के व्यापार में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है, जिससे एशिया से यूरोप की दूरी कम हो जाती है और अफ्रीका का चक्कर नहीं लगाना पड़ता. इससे 10 हजार किलोमीटर की दूरी कम होती है. आप ऐसे समझ सकते हैं. भारत से लंदन की दूरी स्वेज नहर के रास्ते 11482 किलोमीटर है. जबकि अफ्रीका के रास्ते 20,001 किलोमीटर है. यानी आप मुबई से लंदन स्वेज नहर के रास्ते 15 से 17 दिन में पहुंच जाएंगे, जबकि अफ्रीका के रास्ते जाने में आपको दो गुनी दूरी तय करनी होगी. इसमें आपका समय और पैसा भी दोगुना खर्च होगा.
स्वेज नहर में फंसा कंटेनर शिप चीन से सामान लेकर नीदरलैंड्स जा रहा था, लेकिन जब भूमध्य सागर की ओर आगे बढ़ा तो फंस गया. स्वेज नहर अथॉरिटी का कहना है कि नहर को पूरी तरह से चालू करने में सात दिनों का समय लग सकता है. इसके नहर में फंसने की वजह से दुनिया में कई जरूरी वस्तुओं की कीमतों में उछाल आ सकता है, खास तौर से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतों में क्योंकि, दुनिया का 12 प्रतिशत व्यापार स्वेज नहर के जरिए होता है और दुनिया के 30 प्रतिशत कंटेनर शिप यहीं से गुजरते हैं.
स्वेज नहर अथॉरिटी के अनुसार, इस नहर से 2020 में 19,000 जहाज गुजरे. यानी हर घंटे 52 जहाज, ये जहाज 1.17 बिलियन टन सामान लेकर एक जगह से दूसरी जगह गए. जबकि 1870 में यहां हर साल मात्र 486 जहाज गुजरते थे. 1966 में यह संख्या 21,250 हो गई यानी एक दिन में 58 जहाजों की.