US Secretary of State : अमेरिका का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुनने के बाद अब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने विदेश मंत्री का चुनाव भी पूरा कर लिया है. इसके लिए भी उन्होंने एक चीन विरोधी, आक्रामक सीनेटर पर दांव लगाया है.
Trending Photos
Marco Rubio: राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए डोनाल्ड ट्रंप तेजी से अपना कुनबा जुटा रहे हैं. वे रोजाना विभिन्न पदों के लिए नामों की घोषणा कर रहे हैं. हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर चीन के धुर विरोधी माइक वॉल्ट्ज को चुनने के बाद अब उन्होंने देश के विदेश मंत्री के लिए अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो का नाम पक्का कर दिया है. रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है. इसके साथ ही मार्को रुबियो अमेरिका के टॉप राजनयिक के रूप में काम करने वाले पहले लैटिन अमेरिकन होंगे. कमाल की बात यह है रुबियो का चीन को लेकर रवैया बेहद आक्रामक रहा है.
यह भी पढ़ें: 30 करोड़ सैलरी, फिर भी लोग नहीं करना चाहते ये नौकरी, सिर्फ स्विच ऑन-ऑफ करना है काम!
चीन के विरोधी, भारत के करीबी
फ्लोरिडा के मूल निवासी रुबियो चीन पर हार्डलाइन लेने के लिए जाने जाते हैं. वहीं वे भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के मुखर समर्थक रहे हैं. बल्कि पिछले कुछ साल में उन्होंने डिफेंस और व्यापार में अमेरिका-भारत सहयोग को गहरा करने के कोशिशों की जमकर वकालत की है. वे अमेरिका के दोस्तों के साथ रिश्ता गहरा करने और दुश्मनों के साथ सख्ती से पेश आने के पैरोकार हैं.
यह भी पढ़ें: इस मुस्लिम देश का हर व्यक्ति महीने में कमाता है 1 लाख रुपए, जीते हैं जमीदारों जैसी जिंदगी
भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने की गारंटी
53 वर्षीय मार्को रुबियो को भारत का दोस्त माना जाता है. वह भारत-अमेरिका संबंधों के समर्थक रहे हैं. इसी तरह वाल्ट्ज (50) भी भारत के पुराने समर्थक रहे हैं और वर्षों से भारत एवं भारतीय अमेरिकियों के लिए 'कांग्रेसनल कॉकस' के सह-अध्यक्ष भी रहे हैं. ऐसे में ट्रंप का रुबियो को विदेश मंत्री तथा वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुनना अपने दूसरे प्रशासन के तहत भारत और अमेरिका के संबंधों को और मजबूत करने की गारंटी है. अपने इन दोनों करीबियों के जरिए अमेरिकी संसंद के दोनों सदनों पर नियंत्रण रख सकेंगे क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की भूमिका के लिए सीनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं होती.
यह भी पढ़ें: 9 साल की लड़कियों की होगी शादी, पूरी दुनिया में हो रही इस मुस्लिम देश की थू-थू
अब कायदे में रहेगा चीन
रुबियो का भारत के प्रति समर्थन एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कांग्रेस में द्विदलीय कोशिशों के मुताबिक है. वे अक्सर मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की रणनीतिक अहमियत को उजागर करते हैं. साथ ही ऐसी नीतियों की वकालत करते रहे हैं, जो न केवल साझा आर्थिक हितों को बढ़ावा देती हैं बल्कि दोनों देशों के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को भी मजबूत करती हैं.
सीनेट में वे चीन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मानवाधिकारों के हनन, व्यापार प्रथाओं और दक्षिण चीन सागर में आक्रामक कार्रवाइयों की आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने उन नीतियों का समर्थन किया है, जो चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ाती हैं, जिसमें प्रतिबंध और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर प्रतिबंध शामिल हैं.