Russia Ukraine War: रूस ने सोमवार (17 जुलाई) को यह कहते हुए काला सागर अनाज समझौता छोड़ दिया कि उसके अपने खाद्य और उर्वरक निर्यात में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं. मॉस्को ने शिकायत की कि पर्याप्त यूक्रेनी अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंचा है.
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World News in Hindi: तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने अपने यूक्रेनी समकक्ष व्लादिमीर जेलेंस्की के साथ एक फोन कॉल के दौरान ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव या काला सागर अनाज समझौते को फिर से लागू करने पर विस्तार से चर्चा की है. जेलेंकी ने ट्वीट किया, ‘तुर्किये के राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत हुई. 7 जुलाई को इस्तांबुल में सार्थक बैठक और नाटो सदस्यता के संबंध में सैद्धांतिक स्थिति के लिए अपने सहयोगी को धन्यवाद दिया.’
‘रूस की वजह से दुनिया खाद्य संकट के कगार पर’
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने लिखा, ‘हमने ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव के संचालन को बहाल करने के प्रयासों पर बात की. रूस की हरकतों के कारण दुनिया एक बार फिर खाद्य संकट के कगार पर है. अफ़्रीका और एशिया के कई देशों में कुल मिलाकर 400 मिलियन लोगों पर भुखमरी का ख़तरा है. हमें मिलकर वैश्विक खाद्य संकट को टालना होगा.
यूक्रेनी युद्धवंदियों पर भी हुई बात
जेलेंस्की ने लिखा, ‘इसके अलावा, हमने #PeaceFormula के कार्यान्वयन पर चर्चा की, और यूक्रेनी युद्धबंदियों, विशेष रूप से क्रीमियन टाटारों को वापस करने में राष्ट्रपति एर्दोआन की सहायता मांगी.’
क्या काला सागर अनाज समझौता
बता दें यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने यूक्रेन के अनाज निर्यात को रोक दिया था. इससे वैश्विक खाद्य संकट की आशंका पैदा हो गई थी. काला सागर अनाज समझौते पर यूक्रेन ने युद्ध के पांच महीने बाद हस्ताक्षर किए गए थे. रूस और यूक्रेन के बीच समझौते में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से हुई थी. पिछले एक वर्ष में, काला सागर पहल के जरिए ओडेसा सहित अन्य बन्दरगाहों से तीन करोड़ टन से अधिक यूक्रेनी अनाज को वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचाना सम्भव हुआ है. शुरू में इसे 120 दिनों के लिए लागू किया गया था लेकिन बाद में इसे बढाकर 17 जुलाई तक कर दिया था.
रूस ने सोमवार (17 जुलाई) को यह कहते हुए काला सागर अनाज समझौता छोड़ दिया कि उसके अपने खाद्य और उर्वरक निर्यात में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं. मॉस्को ने शिकायत की कि पर्याप्त यूक्रेनी अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंचा है.