ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट (Former Australian Prime Minister Tony AAbbott) को अपना व्यापारिक सलाहकार नियुक्त किया है.
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लंदन: ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट (Former Australian Prime Minister Tony AAbbott) को अपना व्यापारिक सलाहकार नियुक्त किया है. टोनी एबॉट साल 2013 से 2015 तक ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री रहे हैं और अपनी रूढ़िवादी नीतियों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं. टोनी को शुक्रवार को व्यापारिक सलाहकार समिति में शामिल किया गया. हालांकि महिलाओं, समलैंगिकों और पर्यावरण परिवर्तन जैसे मुद्दों पर उनके विवादित विचारों और रुढ़िवादी रवैये की वजह से उनका विरोध हो रहा था, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने सभी विरोधों को दरकिनार करके हुए उन्हें व्यापारिक सलाहकार समिति में शामिल कर लिया.
टोनी एबॉट को कितना जानते हैं आप? आईए, हम आपको बताते हैं टोनी एबॉट से जुड़ी खास बातें...
सामाजिक रूप से रुढ़िवादी कैथोलिक परिवार में जन्मे टोनी एबॉट का जन्म लंदन में हुआ. सिडनी विश्वविद्यालय से कानून और अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में रोड्स स्कॉलर रहे. राजनीति, अर्थशास्त्र और दर्शन शास्त्र में खास रुचि रखने वाले टोनी एबॉट ने मुक्केबाजी भी की है ओर उन्होंने दो खिताब भी जीते हैं.
टोनी एबॉट स्टेम सेल रिसर्च, समलैंगिक विवाह और पर्यावरण में बदलाव के लिए कार्बन ट्रेडिंग का विरोध करते रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई राजनीति पर आधारित किताब 'बैटललाइन्स' लिख चुके हैं. ये किताब साल 2009 में प्रकाशित हुई थी.
टोनी एबॉट पर आरोप हैं कि वो पुरुष वर्चस्व वादी विचारों को बढ़ावा देते हैं और महिलाओं को कम करके आंकते हैं. गर्भपात को लेकर भी उनके विचार विवादित रहे हैं
टोनी एबॉट सेंट पैट्रिक चर्च में पादरी के तौर पर प्रशिक्षित हैं. उन्होंने 1980 के दशक में पादरी बनने की ट्रेनिंग ली थी. इसीलिए उनके राजनीतिक विरोधी उन्हें 'द मैड मॉन्क' के उपनाम से पुकारते हैं.
टोनी एबॉट पत्रकार भी रह चुके हैं. वो बंद हो चुके ऑस्ट्रेलियाई मासिक पत्रिका 'द बुलेटिन' में काम कर चुके है़. वहीं रॉबर्ट मड्रोक के 'द ऑस्ट्रेलियन' अखबार के लिए संपादकीय भी लिखा करते थे.
कोरोना महामारी में लॉकडाउन को उन्होंने 'हेल्थ डिक्टेटरशिप' यानि स्वास्थ्य तानाशाही करार दिया था. इस दौरान उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था कि वैसे तो हर जिंदगी कीमती है, लेकिन कुछ परिवार चाहते हैं कि उनके के परिवारों के बुजुर्ग मर जाएं. क्योंकि ये प्रकृति का नियम है.
एबॉट साल 2009 में ऑस्ट्रेलिया की मुख्य विपक्षी पार्टी लेबर पार्टी के नेता बने थे. इसके चार साल बाद वो ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री बने. लेकिन दो साल में ही अलोकप्रिय हो गए. साल 2015 में वो अपनी पार्टी में ही चुनाव हार गए और उन्हें प्रधानमंत्री पद से विदा होना पड़ा.
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