France Riots: फ्रांस के 9 शहरों में हिंसा का तांडव जारी है. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या वाकई फ्रांसीसी ही फ्रांसीसियों के घरों को जला रहे हैं या फिर इस कांड के पीछे कोई प्रयोग है?
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France Voilence: एक पुलिस शूटआउट में 17 साल के टीनेजर की मौत के बाद बीते 6 दिनों से फ्रांस दंगों की आग में झुलस रहा है. अब तक करीब 1 हजार दंगाई गिरफ्तार हो चुके हैं. लेकिन आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. फ्रांस के 9 शहर ऐसे हैं जहां पर इस वक्त भी हिंसा का तांडव जारी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फ्रांसीसी ही फ्रांसीसियों के घरों को जला रहे हैं या इस कांड के पीछे कोई प्रयोग है. आइए जानते हैं क्या है दंगों की इनसाइड स्टोरी.
फ्रांस में दंगों का मास्टर माइंड कौन?
फ्रांस में भीड़ के निशाने पर पुलिस है. लोगों के घरों को भी जलाने से वो बाज नहीं आ रहे हैं. जो कुछ सड़क पर नजर आ रहा है उसे देखते ही आग के हवाले किया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या फ्रांस अब पूरी तरह से गृहयुद्ध की चपेट में आ चुका है. फ्रांस के ऐसे हालात देखकर ये नहीं लगता है कि वास्तव में ये आक्रोश एक गोलीकांड की वजह से या फिर मामला कुछ और ही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि फ्रांसीसी नागरिकों के घरों को निशाना बनाया जाने लगा है. और ये घटना सामान्य नहीं कही जा सकती है.
दंगे मुस्लिम शरर्णाथियों का प्रयोग!
दरअसल शर्ले हेब्दो कांड के बाद से फ्रांस इसी तरह के दंगों की आग में झुलसने लगा था. इन घटनाओं में इजाफा होने के पीछे तथाकथित तौर पर मुस्लिम शरर्णार्थियों का ही नाम सामने आया था. अब एक बार फिर से फ्रांस ऐसी ही घटनाओं का शिकार हो गया है. इधर स्वीडन में हुई घटना के बाद से यूरोप के कई देशों में हालात बिगडने लगे हैं. फ्रांस से इसकी बानगी भी मिल चुकी है तो इन आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फ्रांस में गोलीकांड एक संयोग था और वहां हो रहे दंगे मुस्लिम शरर्णाथियों का प्रयोग है. दरअसल अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि फ्रांस के जो लोग दंगाईयों से अपने घरों को बचाने के लिए बाहर आ रहे हैं उन्हें भी नहीं छोड़ा जा रहा है.
सड़क पर उतरी सेना
पूरा देश जल रहा है और तस्वीरों से ही ये पता चल रहा है कि हालात अभी जल्द ठीक नहीं होने वाले हैं. ऐसे में फ्रांस की सरकार आपातकाल के बारे में भी विचार करने लगी है. इसी के साथ संवेदनशील इलाकों में पुलिस के साथ साथ सेना को भी उतारा जा रहा है.
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस समय लाचार लग रहे हैं. दंगाइयों ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि फ्रांस के तुलना सीरिया और ईरान से होने लगी है. ऐसे में जलता फ्रांस...झुलसता फ्रांस...कराहता फ्रांस... या आपस में लड़ता फ्रांस. आप जो चाहे वो समझ सकते हैं. कोई कार जला रहा है. कोई बसें जला रहा है. कोई घर जला रहा है. कोई लाइब्रेरी जला रहा है. कोई लूटपाट कर रहा है. कोई दुकानों-दफ्तरों और शॉपिंग सेंटर में तोड़फोड़ मचा रहा है. फ्रांस की ऐसी हालत देखकर लोकतंत्र के रास्ते पर चलने वाला हर देश परेशान हो सकता है. क्योंकि फ्रांस एक मजबूत लोकतंत्र है. जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी है और आंदोलन का अधिकार है. लेकिन शांति की जगह हिंसा के रास्ते पर बढ़े प्रदर्शनकारियों ने सारी लक्ष्मण रेखा लांघ दी.
इमरजेंसी लगाने के आसार
हालत ये है कि फ्रांस की मैक्रों सरकार देश में आपातकाल लगाने पर विचार कर रही है. फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न से लेकर फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री गेराल्ड डारमेनिन ने आपातकाल के संकेत दिए हैं. राष्ट्रपति ने खुद कहा है कि वो सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं. मैक्रों सरकार इस समय संकट में घिरी है. खुद मैक्रों आलोचना के शिकार हो रहे हैं. फ्रांस में आगजनी के बीच उनका पार्टी करते एक वीडियो वायरल हो रहा है. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि फ्रांस जल रहा है और राष्ट्रपति पार्टी कर रहे हैं. हालांकि मैक्रों दंगे को देखते हुए ब्रसेल्स में हो रही यूरोपीय संघ की बैठक बीच में छोड़कर ही पेरिस लौट गए. उन्होंने दो दिन में दो बार इमरजेंसी मीटिंग की है. लेकिन इस मीटिंग का परिणाम सड़कों पर नहीं दिख रहा है. मैक्रों के मुताबिक फ्रांस में हिंसा बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उन्होंने भड़काऊ कंटेंट हटाने की अपील की है.
क्यों भड़की थी हिंसा
पीली मर्सिडीज में अफ्रीकी मूल का नाहेल 27 जून की सुबह जा रहा था. जहां चेक प्वाइंट पर दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने उसे रोका. वो गाड़ी रोकने के बजाय आगे बढ़ाने लगा. जिसके बाद एक पुलिसकर्मी ने उसे गोली मार दी तो उसकी मौत हो गई. लड़के की मां की अपील पर लोग जुटते गए और नाहेल की हत्या के बाद हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. राष्ट्रपति मैक्रों ने नाहेल की हत्या को गलत बताया और आरोपी पर कार्रवाई का भरोसा दिया. आरोपी पुलिसवाले को हिरासत में ले लिया गया. उसने इस घटना के लिए माफी भी मांगी. लेकिन बवाल फिर भी नहीं थमा. ऐसे में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता ही फ्रांस के दंगे कोई सोची समझी साजिश और नया प्रयोग हैं.