पाकिस्तान में फिर उठी आजादी की आवाज, इस्लामाबाद प्रेस क्लब के बाहर लोगों ने लगाए नारे
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पाकिस्तान में फिर उठी आजादी की आवाज, इस्लामाबाद प्रेस क्लब के बाहर लोगों ने लगाए नारे

पश्तून प्रदर्शनकारी नारे लगाते हुए कह रहे थे कि पाकिस्तान सुरक्षा एजेंसी ने संघीय प्रशासित आदिवासी इलाके (FATA) और अफगानिस्तान में आतंकवादियों को शरण दी है, जहां से आतंकवादी अपना नेटवर्क फैलाने का काम कर रहे हैं. 

इस्लामाबाद में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग (फोटो साभारः ANI)

नई दिल्ली: रविवार को पाकिस्तान के इस्लामाबाद के प्रेस क्लब के बाहर इक्ट्ठा होकर हजारों पश्तून ने आजादी के नारे लगाए. पश्तूनों ने पाकिस्तान की स्थानीय सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार उनके समुदाय के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में लगी हुई है. पश्तून प्रदर्शनकारी नारे लगाते हुए कह रहे थे कि पाकिस्तान सुरक्षा एजेंसी ने संघीय प्रशासित आदिवासी इलाके (FATA) और अफगानिस्तान में आतंकवादियों को शरण दी है, जहां से आतंकवादी अपना नेटवर्क फैलाने का काम कर रहे हैं. 

  1. पश्तून प्रदर्शनकारी ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
  2. समुदाय के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप
  3. पाकिस्तान सरकार पर लगाए कई आरोप

दरअसल लंबे समय से पाकिस्तान में सरकार को लेकर प्रदर्शन जारी है. इससे पहले गिलगिट-बाल्टिस्तान में अवैध कराधान को लेकर लोगों सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया था. सड़कों पर उतरकर अंजुमन-ए-ताजरान और अवामी एक्शन कमेटी (एसीसी) के आह्वान पर हजारों लोगों स्थानीय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की थी. 

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जीबी टैक्स एडेप्शन एक्ट 2012 के बाद क्षेत्र में लगाए गए सभी करों को वापस लेने की मांग करने वाले लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी. इसी वक्त गिलगिट में स्थानिय लोग और व्यापारी अपनी दुकानें बंद कर और सड़कों पर उतर कर विरोध जता रहे थे, उनका आरोप था कि पाकिस्तान सत्ता का दुरुपयोग कर रहा है. दुकानें और बाजार बंद होने की वजह से  स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार के खिलाफ स्थानीय नागरिक पहले भी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर चुके हैं. पाकिस्तान के पीओके, बलूचिस्तान,  गिलगित-बाल्टिस्‍तान में लोग स्थानीय सरकार के खिलाफ पहले भी अपनी आवाज को बुलंद कर चुके हैं. जनवरी में जब सारी दुनिया नए साल का जश्न मना रही थी, उस वक्त पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान में लोगों ने 'ब्लैक डे' मनाया था.

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