UNSC में व्यापक बदलाव चाहते हैं जी-4 देश, चीन पर साधा जमकर निशाना
Advertisement
trendingNow1739264

UNSC में व्यापक बदलाव चाहते हैं जी-4 देश, चीन पर साधा जमकर निशाना

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक बदलाव की मांग को लेकर जी-4 देशों ने एकजुटता दिखाई है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य चीन पर जमकर निशाना भी साधा है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक बदलाव की मांग को लेकर जी-4 देशों ने एकजुटता दिखाई है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य चीन पर जमकर निशाना भी साधा है. दरसअल, जी-4 (भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील) के चारों ही देश चाहते हैं कि यूएनएससी (United Nations Security Council -UNSC) में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़े और उन्हें भी उसमें जगह मिले.

  1. जी-4 देशों ने यूएनएससी में की व्यापक बदलाव की मांग
  2. अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधित्व का उठाया मुद्दा
  3. चीन करता है यूएनएससी में बदलाव का विरोध

जी-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को लिखा पत्र
जी-4 देशों की तरफ से लिखे गए पत्र को भारत के स्थाई डिप्टी रिप्रजेंटेटिव नागराज नायडू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष को सौंपा. इस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा(United Nations General assembly -UNGA) के अध्यक्ष तिज्जानी मुहम्मद-बंदे (Tijjani Muhammad-Bande) हैं.

पत्र मेें क्या है?
इस पत्र में सीधे तौर पर चीन का नाम लिए बिना उसपर हमला बोला गया है. पक्ष में लिखा है, 'दशक भर से यूएसएसी में बदलाव की कोशिशें कागजों पर चल रही है, लेकिन कुछ देश जो इसके खिलाफ हैं, वो इन बदलावों को नहीं देखना चाहते.' विस्तार से इस बात को समझाते हुए पक्ष में लिखा है-' ये बात तय किया जाना चाहिए कि अंतर-सहकारिता बातचीत (Inter-governmental negotiations -IGN) लंबे समय तक न अटके. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसे जो अटकाना चाहते हैं, वो ऐसा ही करते रहे तो हमें इसमें बदलाव के लिए आईजीएन से अलग रास्ते अपनाने पड़ेंगे. बता दें कि चीन भारत के साथ ही जर्मनी और जापान को भी सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने का विरोध करता है. इसीलिए वो यूएनएससी सदस्यों की संख्या बढ़ाने के मुद्दे पर हमेशा असहयोग करता है. 

क्या है आईजीएन?
आईजीएन (Intergovernmental Negotiations framework) समूह उन देशों का समूह है, जो सुरक्षा परिषद में बदलाव चाहते हैं. ये समूह 2009 से बना हुआ है, लेकिन यू़्एनएससी में बदलाव की इसकी हर कोशिश नाकाम रही है. इस समूह के कामकाज को अनौपचारिक माना जाता है, जिसकी चर्चाओं को यूएनएससी का हिस्सा नहीं माना जाता. जी-4 देशों ने ट्रांसपेरेंसी पर भी जोर दिया है.

अफ्रीका को लेकर क्या हुई बात?
जी-4 द्वारा लिखे गए पत्र में एजुलविनी सहमति और सिर्ते घोषणा की भी याद दिलाई गई है, जिसके मुताबिक  यूएनएससी में अफ्रीकी देशों के लिए दो स्थाई सीट और पांच में से दो अस्थायी सीटें दी जानी की. हालांकि इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है. जी-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के पास ये पत्र भेजने को कहा है, साथ ही यूएन जनरल असेंबली की 74-75वीं बैठक में इन मुद्दों की चर्चा किए जाने पर जोर दिया.

VIDEO

Trending news