G7 बैठक में मोदी पर भी रहेंगी निगाहें, क्या यूक्रेन पर शांति सम्मेलन में भाग लेगा भारत?
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G7 बैठक में मोदी पर भी रहेंगी निगाहें, क्या यूक्रेन पर शांति सम्मेलन में भाग लेगा भारत?

G7 In Italy: जी7 शिखर सम्मेलन का आयोजन इटली स्थित अपुलिया में है. सम्मेलन को लग्जरी रिजॉर्ट बोरगो एग्नाजिया में 13 से 15 जून तक होना है. बैठक में यूक्रेन में युद्ध और गाजा संघर्ष का मुद्दा छाए रहने की संभावना है.

G7 बैठक में मोदी पर भी रहेंगी निगाहें, क्या यूक्रेन पर शांति सम्मेलन में भाग लेगा भारत?

G7 Summit PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरे कार्यकाल में कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत वार्षिक जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इटली पहुंच रहे हैं. जी7 देश के अन्य नेता भी तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के लिए इटली में मिल रहे हैं. माना जा रहा है इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा हावी रहेगा. साथ ही गाजा में चल रहे युद्ध के अलावा चीन के साथ बढ़ते व्यापार और सुरक्षा पर भी चर्चा होगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सम्मेलन में भारत का क्या स्टैंड रहने वाला है. इस बात पर भी दुनियाभर की निगाहें रहेंगी.

एजेंडे में यूक्रेन सबसे ऊपर

असल में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए न्योता दिया गया है. वहीं यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का अंतिम जी7 शिखर सम्मेलन हो सकता है. इस सम्मेलन के एजेंडे में यूक्रेन सबसे ऊपर होगा. जी7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ हिस्सा ले रहे हैं. यूक्रेन को जी7 से एक बड़ा सहायता पैकेज मिलने की उम्मीद है. व्हाइट हाउस ने पहले ही कहा है कि महीनों की बातचीत के बाद, बाइडेन और जेलेंस्की जी7 के दौरान अमेरिका और यूक्रेन के बीच एक द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

भारत के लिए क्या है एजेंडा 

पीएम मोदी इटली के समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करेंगे. उनसे अफ्रीका और भूमध्य सागर में एआई, ऊर्जा और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है. यह 11वीं बार है जब भारत को जी7 आउटरीच के लिए आमंत्रित किया गया है और मोदी पांचवीं बार इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. विदेश सचिव क्वात्रा ने बताया है कि जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी स्पष्ट रूप से शांति, सुरक्षा, विकास और पर्यावरण संरक्षण सहित वैश्विक चुनौतियों को हल करने की कोशिश में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों की बढ़ती मान्यता और योगदान की ओर इशारा करती है.

जानकारी के मुताबिक भारत ने अभी तक G7 नेताओं द्वारा स्विस शहर बर्गनस्टॉक में यूक्रेन पर आयोजित शांति सम्मेलन में अपनी भागीदारी की घोषणा नहीं की है. लेकिन भारत इस सम्मेलन में राजनीतिक स्तर पर भाग नहीं लेगा. क्वात्रा ने बताया कि भारत 15 जून को स्विट्जरलैंड में शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेगा. यह विचार अभी सिस्टम में चल रहा है और जब भी हमारे पास भाग लेने वाले भारत के प्रतिनिधि पर कोई निर्णय होगा, तो हमें इसे आपके साथ साझा करने में खुशी होगी.

अमेरिका की निगाहें भी रूस-यूक्रेन पर

अमेरिका ने शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर यह भी घोषणा की कि वह रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था से जुड़े 300 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है, जिसमें वित्तीय संस्थान, मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज और चीनी कंपनियां शामिल हैं. जेलेंस्की के अलावा, तुर्की, ब्राजील और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इटली वार्ता में भाग लेंगे.

वहीं इसके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की गुरुवार को इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. बाइडेन के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जेक सुलिवन ने बुधवार को इटली जाने से पहले इस समझौते की घोषणा की. 

यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती?

यहां इस बात का ध्यान रहे कि पंद्रह देश पहले ही यूक्रेन के साथ इसी तरह के सुरक्षा समझौते कर चुके हैं, जिनमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं. सुलिवन ने कहा कि कीव के साथ बाइडेन प्रशासन की बातचीत अब अंतिम रूप ले चुकी है. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि समझौते में क्या है, लेकिन इतना जरूर कहा कि यह दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने के तरीके के लिए एक "ढांचा" है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस समझौते में यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की बाध्यता शामिल नहीं होगी.

अमेरिका ने यह भी संकेत दिया कि समझौते में कहा जाएगा कि व्हाइट हाउस यूक्रेन को "स्थायी" समर्थन देने का तरीका खोजने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के साथ काम करेगा. अमेरिका ने कहा है कि वह यूक्रेन पर रूस से जुड़े 300 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है, जिनमें वित्तीय संस्थान, मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज और चीनी कंपनियां शामिल हैं. agency input

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