8 बच्‍चों पर 1 कंबल, ना खाना-दवा, कलेजा फट जाएगा गाजा में बर्फ में जमकर मर रहे बच्‍चों की कहानियां सुनकर
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8 बच्‍चों पर 1 कंबल, ना खाना-दवा, कलेजा फट जाएगा गाजा में बर्फ में जमकर मर रहे बच्‍चों की कहानियां सुनकर

Gaza Border: युद्धग्रस्‍त गाजा ने लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है. उस पर वहां जर्जर टेंटों में रह रहे लोग अब अपनी आंखों के सामने अपने मासूम बच्‍चों को ठंड से जमकर मरते हुए देख रहे हैं. गाजा में सर्दी का सितम ऐसा है कि इन लोगों की नस्‍लें भी याद रखेंगी.

8 बच्‍चों पर 1 कंबल, ना खाना-दवा, कलेजा फट जाएगा गाजा में बर्फ में जमकर मर रहे बच्‍चों की कहानियां सुनकर

Gaza Israel War: यदि ढेर सारे गरम कपड़े पहनने के बाद दिल्‍ली-यूपी की ठंड परेशान कर रही है तो गाजा में सर्दी के सितम की ये कहानी जरूर पढ़ें. जो पत्‍थर दिल इंसान को भी रुला सकती है. युद्धग्रस्‍त गाजा में जीवन में तो मुश्किल था ही लेकिन अब यहां मौत का जो तांडव मां-बाप अपनी आंखों के सामने देख रहे हैं, वो खौफनाक है. कई दिनों से जर्जर टेंटों में रह रहे लोगों के पास ना खाना है, ना पीने को साफ पानी, ना दवाएं और ना पर्याप्‍त कपड़े. उस पर सर्दी के सितम और बारिश ने तो इनका जीवन नरक से भी बदतर बना दिया है. यहां नवजात बच्‍चे ठंड में जमकर मरे हुए मिल रहे हैं. मां-बाप अपने मासूम बच्‍चों को आंखों के सामने ठंड से मरते देख रहे और कुछ नहीं कर पा रहे हैं.

संयुक्‍त राष्‍ट्र की चेतावनी

गाजा में परिवारों को भोजन, ईंधन और दवा की कमी के चलते जिन बदतर हालातों से गुजरना पड़ रहा है उसे लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यहां जल्‍द ही हेल्‍थकेयर सिस्‍टम पूरी तरह ध्‍वस्‍त हो सकता है. खैर, यूएन ने पहले भी गाजा पट्टी के लोगों के बुरे हालातों पर चिंता जताई है लेकिन स्थिति में ज्‍यादा परिवर्तन नहीं आया है.

आंखों के सामने मरते देखा अपना नवजात बेटा

तंबू में बैठकर अपने जुमा के कपड़े को हाथ में रखकर रो रहे याह्या अल-बट्रान की कहानी दहला देने वाली है. याह्या का बेटा जुमा दुनिया में आने के कुछ ही दिन बाद ठंड में जमकर मर गया. याह्या कहते हैं, "हम अपनी आंखों के सामने अपने बच्चों को मरते हुए देख रहे हैं. " नवजात बच्‍चा जुमा उन 7 बच्‍चों में शामिल है जो बीते 1 हफ्ते में ठंड के कारण मर गए. इनमें से कुछ बच्‍चे तो बर्फ में जमे हुए मिले. सोचिए, यह देखने वालों का कलेजा कैसे फट गया होगा.

इसी तरह एक अन्‍य परिवार में 8 बच्‍चे हैं लेकिन ओढ़ने के लिए केवल 1 कंबल है. माता-पिता हर पल खतरे की साए में जी रहे हैं कि क्‍या उनके बच्‍चे ये सर्दी झेल पाएंगे. ये कहानी यहां के कई परिवारों की है जो युद्ध का दंश तो झेल ही रहे हैं, उस पर सख्‍त मौसम उनकी गोद भी उजाड़ रहा है.

पहले बच्‍चा अकड़ा, फिर नीला हुआ और मर गया

पूरी तरह से बेसहारा और इजराइल-हमास युद्ध के कारण बार-बार विस्थापित होने वाला बत्रान परिवार डेर अल-बाला में घिसे-पिटे कंबलों और कपड़ों से बने एक अस्थायी तंबू में रहता है. खजूर के बगीचे में रहने वाले सैकड़ों अन्य लोगों की तरह, उन्हें भारी बारिश और आठ डिग्री सेल्सियस (46 डिग्री फारेनहाइट) से भी कम तापमान के बीच गर्म और शुष्क रहने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ा है.  

वे रोते हुए कहते हैं, "हमारे पास पर्याप्त कंबल या उपयुक्त कपड़े नहीं हैं. मैंने देखा कि मेरा बच्चा अकड़ने लगा, उसकी त्वचा नीली पड़ गई और फिर उसकी मृत्यु हो गई. " उनके जुड़वां बच्चे समय से पहले पैदा हुए थे और परिवार के पास हीटिंग की सुविधा नहीं होने के बावजूद डॉक्टर ने बच्चों को इनक्यूबेटर से बाहर निकालने का फैसला किया. अभी बचे हुए दूसरे बच्‍चे को पिता भीगी चटाई पर कुछ कपड़ों में लपेटकर बैठे हैं और उसके जिंदा रहने की दुआ कर रहे हैं.
 
ठंड में जमी मिली 3 हफ्ते की बेटी

दक्षिणी गाजा के खान यूनिस में महमूद अल-फसीह ने बताया कि उन्होंने अपनी नवजात बेटी सीला को अल-मवासी समुद्र तट के पास अपने छोटे तंबू में "ठंड से जमा हुआ" पाया, जहां वे गाजा शहर से विस्थापित हुए थे. वह उसे उस क्षेत्र के अस्पताल ले गए जिसे इजराइल ने "मानवीय क्षेत्र" नाम दिया है. लेकिन बच्‍ची हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही मर चुकी थी.

नासिर अस्पताल में आपातकालीन और बच्चों के विभाग के डॉक्टर और निदेशक अहमद अल-फर्रा ने एएफपी को बताया कि 3 सप्ताह की बच्ची गंभीर हाइपोथर्मिया, बिना किसी महत्वपूर्ण लक्षण के, कार्डियक अरेस्ट के कारण अस्पताल पहुंची, जिससे उसकी मौत हो गई.

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मौत की ओर ले जा रही हर चीज

कुल मिलाकर यहां के हालात ऐसे हैं जो हर समय लोगों को मौत की ओर ले जा रही है. जो लोग इजराइली बमबारी में नहीं मरते वे भूख या ठंड से मर जाते हैं. गाजा में हमास सरकार के प्रेस कार्यालय ने सोमवार को आने वाले दिनों में और अधिक कठोर मौसम के प्रभाव की चेतावनी देते हुए कहा कि यह 2 मिलियन विस्थापित लोगों के लिए वास्तविक खतरा है, जिनमें से अधिकांश तंबू में रहते हैं. इसके साथ और ज्‍यादा संख्या में बच्चों, शिशुओं और बुजुर्गों की मृत्यु होने की संभावना है. यहां ठंड और ईंधन की कमी के कारण टेंट में जीवन बेहद खतरनाक हो चुका है.

 

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