Alarming Health Issues: 2021 में ये 8 हेल्थ मुद्दे इग्नोर किए, तो बढ़ने वाली है मुसीबत
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Alarming Health Issues: 2021 में ये 8 हेल्थ मुद्दे इग्नोर किए, तो बढ़ने वाली है मुसीबत

Alarming Health Issues in the World: पिछले साल 2020 में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से दुनियाभर के लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए थे. इस साल भी बड़ी संख्या में लोगों तक कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) पहुंचाना बड़ी चुनौती रहने वाली है. तो जानिए क्या हैं वो 8 प्वाइंट्स, जिनका पालन करना है जरूरी...

2021 के अहम मुद्दे (प्रतीकात्मक फोटो) | फोटो साभार: रॉयटर्स

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 2021 के लिए स्वास्थ्य संबंधी 8 प्वाइंट्स को जारी किया है, जिनको लेकर दुनियाभर के लोगों का सतर्क रहना जरूरी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अगर इन 8 प्वाइंट्स पर दुनियाभर के देश फोकस करेंगे तो साल 2021 पिछले साल 2020 बेहतर बीतेगा.

गौरतलब है कि पिछले साल 2020 में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से दुनियाभर के लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए थे. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने भी चेताया था कि बेरोजगारी, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने की चुनौतियां बढ़ गईं हैं. इस साल बड़ी संख्या में लोगों तक कोरोना वैक्सीन (Vaccine) पहुंचाना भी बड़ी चुनौती रहने वाली है. तो जानिए क्या हैं वो 8 प्वाइंट्स, जिनका पालन है जरूरी.

1. दुनिया को रहना होगा एकजुट

पूरी दुनिया को स्वास्थ्य संबंधी संकटों से निपटने के लिए एकजुट होना होगा और इसके लिए एक मजबूत सिस्टम (Health System) बनाना होगा. युद्ध के दौरान वहां फंसे लोगों को निकालना होगा. इसके अलावा जरूरतमंद और गरीब लोगों की बड़े पैमाने पर मदद करनी होगी.

2. सभी लोगों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाना

कोरोना वायरस (Coronavirus) वैक्सीन को जल्द से जल्द सभी लोगों तक पहुंचाना होगा. आखिरी व्यक्ति तक वैक्सीन का पहुंचाना जरूरी है. जहां भारत समेत कुछ अन्य देशों ने अपने देशवासियों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) देने के वादा किया है, वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी गरीब देशों को 2 अरब कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) देने के लिए कहा है. इन वादों को 2021 में जरूर पूरा करना होगा.

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3. मजबूत हेल्थ सिस्टम बनाना

सभी देशों को अपना एक मजबूत हेल्थ सिस्टम (Health System) बनाना होगा या उसमें बड़े सुधार करने होंगे, जिससे आगे कभी भी कोरोना (Coronavirus) जैसा संकट आए तो उससे आसानी से निपटा जा सके. गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के सामने अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों का मजबूत हेल्थ सिस्टम भी खोखला साबित हुआ था.

4. साइंस और डेटा का हो बेहतर इस्तेमाल

हेल्थ केयर सेक्टर से जुड़े डेटा को प्रामाणिक ढंग से वक्त रहते तैयार करने और उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक आसानी से शेयर करने का सिस्टम बनाने की जरूरत है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोरोना (Coronavirus) और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी रिसर्च को पहले से और ज्यादा गति देने की जरूरत है और इस मुद्दे पर काम करेगा.

5. वैश्विक संगठनों का अस्तित्व बचा रहे

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में या तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत कई वैश्विक संगठनों से बाहर होने की धमकी दी गई या तो अमेरिका उनसे बाहर हो गया. हालांकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आश्वासन दिया है कि अमेरिका कई मुद्दों पर फिर से दुनिया का नेतृत्व करेगा. 2021 में किसी भी ऐसे वैश्विक संगठन के अस्तित्व पर संकट नहीं आना चाहिए, जो वैश्विक संकटों से निपटने के लिए काम करता है.

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6. कम्युनिकेबल डिसीज के बढ़ते खतरे पर रखनी होगी नजर

दुनियाभर में कोरोना वायरस जैसी कई कम्युनिकेबल डिसीज लगातार बढ़ रही हैं. 2020 में कोरोना वायरस ने तो पूरी दुनिया के लोगों को परेशान कर दिया, कोई भी इससे अछूता नहीं रहा. महामारी के दौरान लोगों को आर्थिक और स्वास्थ्य संकट से बुरी तरह से जूझना पड़ता है, इस समस्या के समाधान के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा.

7. नॉन कम्युनिकेबल डिसीज पर रोकथाम

गौरतलब है कि साल 2019 और 2020 में लोगों की मौत का सबसे ज्यादा कारण बनने वालीं 10 में 7 बीमारियां नॉन कम्युनिकेबल थीं. नॉन कम्युनिकेबल डिसीज उन बीमारियों को कहते हैं, जो बिना संक्रमण के फैलती हैं. इनमें सबसे ज्यादा जानलेवा बीमारी कैंसर है. नॉन कम्युनिकेबल डिसीज की रोकथाम और उनके इलाज को बेहतर बनाने की जरूरत है.

8. मेंटल हेल्थ और इलाज

दवाओं और इलाज की कमी के कारण गरीब और पिछड़े देशों को परेशानियों को सामना करना पड़ता है. कोरोना संकट में तो ये समस्या और ज्यादा भयानक हो गई. वहीं भारत में बड़ी संख्या में लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य सिस्टम को बेहतर बनाने की जरूरत है.

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