सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और बहरीन ने कतर पर चरमपंथ का समर्थन करने और अन्य अरब मुल्कों के मामलों में दखलंदाजी का आरोप लगाया था.
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दुबई: कतर से संबंध तोड़ने वाले अरब जगत के चार देशों ने इस राजनयिक संकट पर चर्चा करने के लिए रविवार (30 जुलाई) को बैठक की. उन्होंने कई मांगों की एक सूची के अनुपालन पर जोर दिया, जबकि अब इस खाड़ी देश के खिलाफ और अधिक दंडात्मक उपाय थोपे जाने से दूर रहे. कतर से पांच जून को राजनयिक और परिवहन संबंध तोड़े जाने के बाद सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और बहरीन के विदेश मंत्रियों की यह दूसरी बैठक थी. उन्होंने रविवार (30 जुलाई) को बहरीन की राजधानी मनामा में बैठक की. गौरतलब है कि इन देशों ने कतर पर चरमपंथ का समर्थन करने और अन्य अरब मुल्कों के मामलों में दखलंदाजी का आरोप लगाया था. वहीं, कतर ने आरोपों से इनकार किया और इन्हें राजनीति से प्रेरित बताया.
चारों विदेश मंत्रियों ने मनामा में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि ये देश कतर के खिलाफ मौजूदा पाबंदी को जारी रखेंगे, लेकिन यदि कतर ने अपना रास्ता बदलने की इच्छा जताई और उनकी मांगों का अनुपालन किया तो वे इस देश के साथ वार्ता के लिए तैयार हैं. बहरीन के विदेश मंत्री ने मंत्रियों का एक बयान पढ़ा जिसमें कहा गया है कि इन देशों का अब भी इस पर जोर है कि कतर 13 मांगों की सूची का अनुपालन करे. शेख खालिद बिन अहमद अल खलीफा ने कहा कि चारों देश कतर के साथ इस शर्त पर वार्ता को तैयार हैं कि वह आतंकवाद का समर्थन और आतंकवाद को धन मुहैया कराना बंद करने की दृढ़ इच्छा जाहिर करे और 13 मांगों को लागू करे ताकि क्षेत्र और विश्व में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित हो सके.