लगातार दूसरी बार हसन रूहानी को मिला जनादेश, चुने गए ईरान के राष्ट्रपति
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लगातार दूसरी बार हसन रूहानी को मिला जनादेश, चुने गए ईरान के राष्ट्रपति

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव जीत लिया है. यहां राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार (19 मई) को हुए थे, जिसके नतीजे शनिवार (20 मई) को घोषित किए गए. आईआरएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, रूहानी ने अपने कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम रेसी को हराया.

रूहानी ने अपने कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम रेसी को हराया. (फाइल फोटो)

तेहरान: राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में शनिवार (20 मई) को दूसरे कार्यकाल के लिए शानदार जीत हासिल की। इसे दुनिया के अन्य मुल्कों के साथ देश के संबंधों के पुनर्निर्माण और देश की संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को नयी गति प्रदान करने के रूहानी के प्रयासों पर जनता द्वारा मुहर लगाए जाने के तौर पर देखा जा रहा है। आईआरएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, रूहानी ने अपने कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम रेसी को हराया. गृह मंत्री अब्दुलरजा रहमानी फजली ने सरकारी टेलीविजन पर नतीजे की पुष्टि की। 

उन्होंने बताया कि कुल 4,12,20,131 वोट पड़े थे जिनमें रूहानी को दो करोड़ 35 लाख मत (57 फीसदी) मिले, जबकि उनके कट्टरपंथी प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम रईसी को एक करोड़ 58 लाख मत (38.3 फीसदी) मिले। वहीं, अन्य उम्मीदवारों मुस्तफा मीरसलीम को 4,78,215 और मुस्तफा हाशमी को 2,15,450 वोट मिले. इसे ईरान में सुधारवादी ताकतों की जीत के तौर पर देखा जा रहा है. आधुनिक माने जाने वाले रूहानी ने पश्चिमी देशों के साथ संबंध सामान्य करने पर जोर दिया है.

देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुक्रवार (19 मई) को 73 फीसदी मतदान हुआ था। इसने अधिकारियों को मतदान की अवधि कुछ घंटे के लिए बढ़ाने पर मजबूर किया था। उपराष्ट्रपति इश्हाक जहांगीरी ने सरकार के नारे का उल्लेख करते हुए अपने ट्वीट में कहा, ‘मैं विवेक और उम्मीद की राह पर चलते रहने में बड़ी और यादगार रचना करने में ईरानी राष्ट्र को महान जीत की बधाई देता हूं।’ 68 वर्षीय रूहानी ने इसे महती नागरिक स्वतंत्रता और उग्रवाद के बीच चयन का चुनाव बना दिया था। उदारवादी धर्मगुरु रूहानी ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 में ईरान का परमाणु समझौता कराया था।

56 वर्षीय कट्टरपंथी रईसी ने खुद को गरीबों के रक्षक के तौर पर पेश किया था और पश्चिम के प्रति अधिक सख्त रख की वकालत की थी। हालांकि, रईसी के क्रांतिकारी शब्दाडंबर और कामगार तबके के मतदाताओं को अपनी तरफ लुभाने के प्रयास कामयाब नहीं हुए। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के लिए ईरानी विश्लेषक अली वाएज ने कहा, ‘खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रूहानी को मिला वोट दर्शाता है कि ईरान के लोग आर्थिक लोकलुभावनवाद और रैडिकल बदलाव में अब और विश्वास नहीं करते हैं।’ 

वाएज ने कहा, ‘उनमें इस बात को समझने की परिपक्वता है कि उनके देश के मुश्किल हालात का समाधान अर्थव्यवस्था के सक्षम प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार में है।’ रूहानी के पहले कार्यकाल की उपलब्धि अमेरिका के नेतृत्व वाली दुनिया की छह शक्तियों के साथ समझौता कराने की थी, जिसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश के बदले में उसपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील का रास्ता साफ किया था।

रूहानी को बुधवार (17 मई) को उस समय राहत मिली जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने परमाणु संबंधी प्रतिबंधों को हटाने का समझौता फिलहाल लागू रखने पर सहमति जताई। लेकिन ट्रंप ने समझौते की 90 दिवसीय समीक्षा शुरू की है जिसके बाद समझौते को रद्द भी किया जा सकता है और ट्रंप ईरान के कट्टर क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी सउदी अरब से इस सप्ताहांत मुलाकात कर रहे हैं।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रूहानी के प्रतिद्वंद्वी रेसी ने चुनाव में धांधली की शिकायत की है. उन्होंने मतदान केंद्रों पर रूहानी के समर्थकों द्वारा दुष्प्रचार का आरोप भी लगाया है. ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए शुक्रवार (19 मई) को हुए मतदान के लिए बड़ी संख्या में बाहर निकले मतदाताओं के उत्साह को देखते हुए मतदान की अवधि पांच घंटे के लिए बढ़ा दी गई थी. देश में करीब 70 मतदान हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति रूहानी के पास अब अपने सुधार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने, चरमपंथ खत्म करने, बाहरी दुनिया से संपर्क बढ़ाने तथा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बड़ा जनादेश है. रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में 1985 से ही प्रत्येक निवर्तमान राष्ट्रपति का दोबारा चुनाव होता रहा है, जब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई स्वयं दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे.

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