चीन की चाल को रोकने के लिए दुनिया ने बनाए 5 प्‍लान, थमेगी ड्रैगन की डगर
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चीन की चाल को रोकने के लिए दुनिया ने बनाए 5 प्‍लान, थमेगी ड्रैगन की डगर

कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते दुनिया भर के कई देश चीन के खिलाफ एक जुट हो रहे हैं. ये सभी एक ही दिशा में काम कर रहे हैं और सभी इस बात से सहमत हैं कि चीन को अपने किए की सजा मिले. 

चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं देश

नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच दुनिया भर के कई देश चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. ये सभी एक ही दिशा में काम कर रहे हैं और सभी इस बात से सहमत हैं कि चीन को अपने किए की सजा मिले. कोरोना वायरस जो चीन के वुहान शहर से निकला है, उसने पूरी दुनिया में तबाही ला दी है. लोगों की जान जा रही है और देशों की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई है. इतना ही नहीं चीन पड़ोसी देशों के प्रति आक्रामक रुख भी अपनाए हुए है. लिहाजा दुनिया के कई देश चीन के खिलाफ हैं और ये देश अलग-अलग तरीकों से चीन पर दबाव बना रहे हैं, जो इस प्रकार हैं- 

  1. चीन के खिलाफ साथ आए कई देश 
  2. चाहते हैं कि चीन को अपने किए की सजा मिले
  3. अलग-अलग तरीकों से ले रहे हैं बदला
  4.  

1.  कई देश कोरोना वायरस प्रकोप की उत्पत्ति और इसके फैलने के पीछे के कारणोंं की जांच की मांग कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया जांच की मांग करने वाला पहला देश था, और उसके पड़ोसी देश न्यूजीलैंड ने भी इसका समर्थन किया. इस बीच, अमेरिका इस पर खुद जांच कर रहा है. अब, यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक भी जांच चाहते हैं. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख ने एक स्वतंत्र और वैज्ञानिक जांच की मांग की है. वे इस मुद्दे को अगले सप्ताह आयोजित होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंब्ली के दौरान उठाएंगे.

2. कनाडा, जापान, फ्रांस, जर्मनी, यूके, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक ​​कि स्वाज़ीलैंड और निकारागुआ जैसे देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में ताइवान की सदस्यता के लिए समर्थन का वादा किया है. जबकि चीन ने समर्थन की इन आवाजों को खारिज किया और इन देशों को धमकी दी है.  गैर-WHO सदस्य ताइवान ने अपनी भागीदारी के लिए पैरवी की है, जिसका चीन ने कड़ा विरोध किया है क्योंकि वो ताइवान को अपने प्रांतों में से एक मानता है.

3. संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान ने चीन से आर्थिक रूप से दूरी बनाना शुरू कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को चीन छोड़ देने का आदेश दिए हैं, जबकि जापान ने जापानी कंपनियों को चीन से दूर करने के लिए 2.2 बिलियन डॉलर का फंड दिया है. यूरोपीय संघ के देश, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक ​​कि भारत ने अपने विदेशी निवेश नियमों को कड़ा करते हुए चीन से लोकल व्यवसाय रोक दिए हैं.

4. वे चीन पर मानवाधिकार हनन और उल्लंघन के आरोप लगा रहे हैं. अमेरिकी सीनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर चीन की सरकार से वहां उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर जवाब मांगा है. इस विधेयक को दोनों पक्षों के सांसदों ने समर्थन दिया था.  इस बीच चीन पर अफ्रीकियों के प्रति व्यवहार पर भी मानव अधिकारों की मार पड़ रही है. इसी महीने एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें चीन के गुआंगझोउ प्रांत में अफ्रीकियों के साथ हो रहे भेदभाव के बारे में बताया गया है.

5. देश चीनी टेक्नोलॉजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत Huawei का नाम सबसे पहले है. अमेरिका ने इस कंपनी पर लगाया हुआ प्रतिबंध एक साल के लिए और बढ़ा दिया है. और अन्य सहयोगी देशों को भी चीनी के टेक दिग्गजों पर लगाम लगाने के लिए जोर दे रहा है.

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