World News: आइसलैंड की प्राइम मिनिस्टर कैटरीन जैकब्सडॉटिर देश की सैकड़ों महिला कर्मियों के साथ हड़ताल पर चली गईं हैं. इस वजह से देश के कई विभागों का काम प्रभावित हुआ.
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Iceland PM Katrin Jakobsdottir strike: किसी समाचार पत्र पर या कहीं और 'हड़ताल' शब्द पर नजर पड़ते ही या कानों में हड़ताल शब्द की आवाज सुनाई देते ही जेहन में आता है कि कुछ गरीब गुर्बा मजदूर, साधारण कर्मचारी यानी आम आदमी अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर होंगे. लेकिन क्या आपने सुना है कि किसी देश की प्रधानमंत्री खुद हड़ताल पर बैठ जाएं और देश की जनता को अपनी हड़ताल का समर्थन देने को कहें. अगर नहीं तो आपको ये बता दें कि आइसलैंड में ऐसा हो चुका है. वहां की पीएम खुद स्ट्राइक पर बैठी हैं. ऐसे में बीते मंगलार को कई विभागों का कामकाज एकदम ठप पड़ गया.
समान वेतन और लिंग आधारित हिंसा खत्म करने की मांग
आइसलैंड में हजारों महिलाएं असमान वेतन और लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए हड़ताल पर हैं. आइसलैंड में इस वजह से देशभर के स्कूल-कॉलेज, बाजार और यहां तक कि सरकारी और प्राइवेट बैंक तक बंद रहे. ऐसा इसलिए क्योंकि देशभर की ट्रेड यूनियनों ने जिस हड़ताल का आह्वान किया था उसमें खुद देश की पीएम कटरीना शामिल हो गईं. ट्रेड यूनियन और महिला संगठनों ने लोगों से भेदभाव को लेकर स्ट्राइक करने का ऐलान किया था.
पीएम ने दिया अपना समर्थन
आपको बताते चलें कि आइसलैंड की पीएम खुद एक महिला हैं. जो अक्सर महिला अधिकारों की बात करती हैं. उनका नाम कैटरीन जैकब्सडॉटिर (Katrin Jakobsdottir) है. उन्होंने कुछ समय पहले सार्वजनिक मंच से ये बात स्वीकारी थी कि आइसलैंड में महिलाओं से भेदभाव होता है. ऐसे में कैटरीन ने भी महिलाओं की इस हड़ताल का समर्थन करते हुए घर पर रहने का फैसला लेते हुए अपनी कैबिनेट और सरकार की दूसरी महिलाओं को भी घर रहने की अपील की थी.
अब इस हड़ताल का सामंती मानसिकता रखने वालों पर क्या असर पड़ता है. ये तो फिलहाल कोई नहीं जानता लेकिन ये जरूर तय है कि महिलाएं अब अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो चुकी हैं. और महिलाओं से हिंसा करने वालों को कड़ी सजा दिलाने का वक्त आ चुका है.